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केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं? केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप के प्रकार

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं
केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप से आप क्या समझते हैं?

केन्द्रीय प्रवृत्ति का मतलब वैसे सूचकों से होता है जो किसी समूह के प्राप्तांकों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे सूचक हमेशा प्राप्तांकों के केन्द्रीय मान (Central Value) को बतलाते हैं। इस मध्य के मान को हमलोग सांख्यिकी में केन्द्रीय मान तथा बोलचाल की भाषा में औसत कहते हैं। यह तीन प्रकार का होता है—मध्यमान (mean), माध्यिका (Median) तथा बहुलक (Mode)।

Mean- The mean of series is equal to the sum of individuals measures in the divided by the number of measures of series.”

Median-“The median is that point in the distribution above which and below which 50% of cases lie.” Mode-Mode is that point of distribution which appears frequently.”

केन्द्रीय प्रवृत्ति की परिभाषा शिक्षाविदों ने इस प्रकार दी है―”केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति द्वारा हम बहुत-सी संख्याओं में से एक ऐसी संख्या प्राप्त करते हैं, जिससे सम्पूर्ण संख्याओं के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त हो जाता है।”

जब आवृत्ति वितरण में प्राप्तांकों अथवा मापनों (Measures) का सारणीयन (Tabulation) हो जाता है, तब दूसरा सामान्य कार्य केन्द्रीय प्रवृत्तियों की गणना करना होता है । केन्द्रीय प्रवृत्तियों के मापन का दोहरा मूल्य है-

(i) यह एक औसत है जो समूह के सभी प्राप्तांकों का प्रतिनिधित्व करती है। इस प्रकार यह समूचे समूह की निष्पत्ति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है।

(ii) यह दो या दो से अधिक समूह की विशिष्ट निष्पत्तियों की तुलना के योग्य बनाती है। केन्द्रीय प्रवृत्ति में तीन प्रकार के औसत या मापन सामान्यता प्रस्तुत किए जाते हैं- मध्यमान माध्यिका तथा बहुलक।

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप के प्रकार (Different measures of central tendency)

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप के लिये संख्या-शास्त्र में तीन प्रकार के मानों का प्रचलन हैं-

(क) मध्यमान (Mean)

मध्यमान किसी समूह की केन्द्रीय प्रवृत्ति को प्रकट करने वाला वह मान है जिसके दोनों ओर विचलन समान होते हैं।

माध्यिका के दोनों ओर विचलन का योग शून्य के बराबर होता है। इसका प्रयोग व्यवस्थित तथा अव्यवस्थित (Grouped and ungrouped)- दोनों प्रकार के प्रदत्तों (data) में होता है विभिन्न आँकड़ों के कुल जोड़ को उनकी संख्या से भाग देकर मध्यमान या औसत मान निकाला जाता है।

गणितीय भाषा में मध्यमान वह मान अथवा राशि है जो किसी दी हुई राशियों अथवा प्राप्तांकों के योगफल को उन राशियों की संख्या से ही भाग देने पर प्राप्त होती है।

संक्षेप में हम कह सकते हैं, अंकगणित मध्यमान (Arithmetic mean) किसी समंक श्रेणी का वह मूल होता है, जो उस श्रेणी के समस्त मूल्यों के योग को उनकी संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है। यह केन्द्रीय मापों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं लोकप्रिय माप है । वस्तुत: जब सामान्य बोलचाल की भाषा में ‘ औसत’ शब्द का प्रयोग किया जाता है तो उसका तात्पर्य अंकगणित मध्यमान से ही होता है। इसके निकालने की विधियाँ हैं-

(i) दीर्घ विधि (Long Method) – इस विधि के अनुसार समंक श्रेणी के समस्त मूल्यों को जोड़कर, दीर्घ योग को उनकी संख्या से श्रेणियों में ही उचित होता है, जिनमें चर-मूल्यों की संख्या कम हो तथा वे दशमलव में न हों।

(ii) लघु विधि (Short Method)- जब मूल्यों की संख्या अधिक हो और वे प्रायः दशमलव में हों तो तब इस विधि द्वारा समानान्तर माध्यम का परिकलन किया जाना है ।

उदाहरण- अंकगणितीय मध्यमान यदि 8वीं कक्षा के 6 बालक इतिहास में क्रमशः 50, 75, 80, 81, 85 और 25 अंक प्राप्त करते हैं तो इनके अंकों का मध्यमान इस प्रकार रहेगा-

क्रम संख्या प्राप्तांक
1 50
2 75
3 80
4 81
5 85
6 25
  योग = 396

∴ मध्यमान (mean) = 396/6 = 66

मध्यमान विचलन – मध्यमान के प्राप्तांकों का विचलन ज्ञात करने के लिए प्राप्तांक और मध्यमान ज्ञात कर लिया जाता है। प्रस्तुत उदाहरण में विचलन का ब्योरा इस प्रकार है-

प्राप्तांक 50 75 80 81 85 25
मध्यमान 66 66 66 66 66 66
अंतर -16 +9 +14 +15 +19 -41

अंतर का योग     -57

                   +57

                   0 (शून्य)

इससे स्पष्ट होता है कि मध्यमान के दोनों ओर विचलन समान होता है। वर्ग मालिका से मध्यमान निम्न प्रकार से ज्ञात करें (Mean from the grouped data)।

ΣΧ मध्यमान (mean)= Σfx/N

जहाँ Σfx = मध्यबिन्दुओं से आवृत्तियों (Frequencies) का गुणा करके उनका योग निकालना ।

N = आवृत्ति योग (Sum of all the Frequencies)।

उदाहरण-

वर्ग-विस्तार(Class Interval)

मध्य-बिन्दु(x)

आवृत्तियाँ(f) म. वि. आ.(fx)
8-12 10 7 70
13-17 15 9 135
18-22 20 9 180
23-27 25 8 200
28-32 30 6 180
33-37 35 6 210
38-42 40 5 200
    N=50 1175

∴ मध्यमान (Mean) = 1175/50 =23.5

मध्यमान निकालने की यह विधि बहुत अधिक समय लेती है और इस विधि से निकाले गये मध्यमान में त्रुटि हो जाने की सम्भावना भी रहती है। इस त्रुटि से बचने के लिए मध्यमान निकालने की अन्य विधियों का सहारा लिया जाता है।

मध्यमान निकालने की संक्षिप्त विधि (Short-cut method to find out the mean)- मध्यमान निकालने की संक्षिप्त विधि में निम्नलिखित सूत्र का उपयोग किया जाता है- मध्यमान (mean) = AM + Ci

 या, AM Σfd/N x i

जहाँ, AM = कल्पित मध्यमान (Assumed mean)

C = आवृत्ति का विचलन (Deviation from mean)

N = आवृत्ति योग (Sum of frequency)

i = वर्ग-विस्तार (Class-Interval)

उदाहरण-

वर्ग-विस्तार(Class Interval) मध्य-बिन्दु(x) आवृत्तियाँ(x) विचलन(d) आ. वि.(df)
8-12 10 7 -3 -21
13-17 15 9 -2 -18
18-22 20 9 -1 9
23-27 25 8 0 0
28-32 30 6 +1 6
33-37 35 6 +2 12
38-42 40 5 +3 15
    N=50   -15

मध्यमान (Mean) = AM + Σfd/N x i

=25+ (-15/50) x 5

=25-3/2

=25-1.5

= 23.5 Ans.

(ख) माध्यिका मान (Median)

जब वितरण के समस्त अंकों को अपने मान के अवरोही या आरोही क्रम के अनुसार एक पैमाने पर विन्यस्त किया जाता है तो पैमाने का वह बिन्दु जिसके ऊपर तथा नीचे आधे-आधे अंक होते हैं, माध्यिका (Median) कहलाती है।

सांख्यिकी आरोही तथा अवरोही क्रम में अनुविन्यासित समंक- श्रेणी विभिन्न पदों के मध्य पद का मूल्य होता है और वह समंक-श्रेणी को दो बराबर भागों में इस प्रकार विभाजित करती है कि उसके एक ओर के समस्त पद उसके कम मूल्य के तथा दूसरी ओर के समस्त पद उससे अधिक मूल्य के होते हैं। प्रो. कैने एवं कीपिंग के अनुसार, माध्यिका वितरण की मध्य मूल्य के रूप में परिभाषित की जाती है—ऐसा मूल्य जिससे कम या अधिक मूल्य समान आवृत्तियों के साथ हो।

माध्यिका किसी वितरण का वह बिन्दु है जिसके ऊपर 50 प्रतिशत तथा नीचे 50 प्रतिशत के रोज आते हैं।

माध्यिका की गणना करने के लिए सर्वप्रथम समंकों को व्यवस्थित करना आवश्यक होता है। पद किसी मापनीय गुण के आधार पर आरोही या अवरोही कर दिए जाते हैं। आरोही क्रम में सबसे छोटे पद को रखते हैं जबकि अवरोही क्रम में ठीक इसके विपरीत पहले सबसे बड़े और अन्त में सबसे छोटे पद को रखते हैं। इस प्रकार अनुविन्यासित श्रेणी में उस पद की माप माध्यिका कहलाती है, जो समंक श्रेणी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि अव्यवस्थित आँकड़ों में जब अंकों की संख्या जोड़ा हो तो पहले दोनों मध्य संख्या का औसत निकालते हैं और फल जो आता है वह मध्यांक मान होता है । ‘“In short we can say that in an ungrouped data when the numbers are even, claculate the mean of the two middle number. The result is median.”

दूसरे शब्दों में, जब संख्याओं को उनके आकार और परिमाण के अनुसार रखा जाता है तो बीच की संख्या मध्यांक ‘मान’ कहलाती है। अर्थात् माध्यिका मान वह अंक बिन्दु है जिसके दोनों ओर बराबर-बराबर संख्याएँ हैं ।

माध्यिका मान निकालने के लिए सर्वप्रथम संख्याओं को आकार के अनुसार व्यवस्थित कर लिया जाता है फिर मध्यांक मान निकाल लिया जाता है। उदाहरण- छठी कक्षा के छात्रों ने अंकगणित में इस प्रकार अंक प्राप्त किए-

20, 23, 6, 13, 21, 7, 15, 16, 9

(i) उपर्युक्त संख्याओं को सबसे पहले आकार के अनुसार व्यवस्थित करेंगे यथा—

6,7,9, 13, 15, 16, 20, 21, 23

(ii) अब बीच का अंक मालूम करेंगे जो 15 है।

यहाँ माध्यिका मान बड़ी आसानी से निकल आया, क्योंकि अंकों की संख्या थोड़ी थी, परंतु जब आँकड़ों की संख्या अधिक होगी तो इस प्रकार से मध्यांक मान निकालने में कठिनाई होगी, अधिक आँकड़े होने पर निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करेंगे —

ऊपर के उदाहरण में कुल संख्याएँ 9 हैं इसलिए मध्यांक मान =(9+1)/2= 5 वाँ अंक।

वर्ग तालिका से मध्यांक मान निकालना (Mean from the grouped data)-

8, 9, 10, 10, 10, 11, 13, 13, 14, 14, 15, 17, 17, 17, 18, 19, 19, 19, 19, 20, 21, 22, 22, 23, 23, 25, 25, 25, 27, 27, 27, 28, 28, 28, 28, 29, 30, 31, 34, 34, 35, 36, 37, 38, 39, 40, 40.

या अंक विस्तार (Range) = 8 से 40 है।

L = वर्ग की निम्नतम सीमा जिसमें मध्यांक मान पड़ता है।

(The lower limit of the class in which the median lies.)

N = सभी आवृत्तियों की संख्या (Sum of total frequencies)

f = मध्यांक मान वाले वर्ग के नीचे सभी वर्गों में आई आवृत्तियों का योग (The total of all frequencies before the median lies)

fm = मध्यांक मान वाले वर्ग में आई हुई आवृत्ति की संख्या (The frequency of the median class)

i = वर्ग-विस्तार (The Class-interval of the median class) ।

(ग) बहुलांक मान (Mode)

बहुलांक मान एक ऐसा आँकड़ा है जो वर्ग मध्यिका में सबसे अधिक आता है। क्रो और क्रो के अनुसार- “दिए हुए प्राप्तांकों के समूह जो प्राप्तांक बहुधा सबसे अधिक आता है, उसे बहुलांक कहते हैं। “

“The in a given set of data that appears most frequently is called the mode.”

बहुलक (Mode)- उस पद का मूल्य या आकार होता है, जिसकी आवृत्ति प्रदत्त श्रेणी में सबसे अधिक हो। अर्थात् सबसे अधिक बार आनेवाले मूल्य को बहुलक कहते हैं। डॉ. ब्राउले के अनुसार—किसी सांख्यिकी समूह में वर्गीकृत मात्रा का वह मूल्य जहाँ पर पंजीकृत संख्याएँ सबसे अधिक हों, बहुलक मूल्य कहलाता हैं। इसे ‘Z’ से प्रदर्शित किया जाता है।

बहुलांक- बहुलांक किसी वितरण का वह बिन्दु है जो सबसे अधिक बार आता है। जब आँकड़े (Datas) असज्जित हों तब बहुलक वह प्राप्तांक (Score) या माप (Measurement) होता है जो सबसे अधिक बार आता है

पियर्सन ने बहुलक को प्रदर्शित करने के लिए एक सूत्र (Formula) भी दिया है जिसे हमलोग प्रयोग में लाते हैं। यह सूत्र उसी समय प्रयोग में लाया जाता है जब आँकड़े बारम्बारता विभाजन (Frequency Distribution) में सजे हुए हों ।

सूत्र (Formula) –

Mode = 3 x median – 2 mean

बहुलक = 3 x माध्यिका – 2 मध्यमान

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