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आवृत्ति वितरण किसे कहते है? अर्थ, परिभाषा, प्रकार | Frequency Distribution in Hindi

आवृत्ति वितरण किसे कहते है
आवृत्ति वितरण किसे कहते है

आवृत्ति वितरण किसे कहते है? (Frequency Distribution in Hindi)

आवृत्ति वितरण का अर्थ (Meaning of Frequency Distribution)- विभिन्न वर्गों में आवृत्तियों को विन्यास करने हेतु मिलान चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।

संकलित तथा वर्गीकृत समंकों को उचित रूप से क्रमबद्ध करके आवृत्ति वितरण में प्रस्तुत किया जाता है। आवृत्ति वितरण एक तालिका होती है जिसमें समंकों को वर्गों में विभक्त किया जाता है तथा प्रत्येक वर्ग में आने वाले पदों की संख्या का लेखा किया जाता है। दूसरे शब्दों में इसमें किसी एक तथ्य (Phenomenon) के विभिन्न मूल्यों की आवृत्तियाँ प्रदर्शित की जाती हैं। आवृत्ति वितरण का गठित तीन प्रमुख कारणों से किया जाता है- (i) समंकों का विश्लेषण सुविधाजनक बनाने के लिए (ii) अज्ञात समग्र वितरण की आवृत्तियों का प्रतिदर्श समंक वितरण से अनुमान लगाने के लिए तथा (iii) विभिन्न सांख्यिकी मापों की गणना सुगम बनाने के लिए ।

आवृत्ति वितरण की परिभाषाएँ (Definitions)

इस सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई प्रमुख परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं:

(1) “समंकों की सारणीकृत व्यवस्था जिसमें वर्ग तथा सम्बन्धित वर्ग आवृत्तियाँ साथ-दिखायी जाती हैं, को आवृत्ति वितरण या आवृत्ति तालिका कहा जाता है।”– मुरे आर. स्पीगल

(2) एक आवृत्ति वितरण या आवृत्ति तालिका मात्र है एक तालिका है जिसमें समंकों को वर्गों के रूप में समूहबद्ध किया जाता है और प्रत्येक वर्ग में आने वाली इकाइयों की संख्या को अंकित कर लिया जाता है जो उन वर्गों की आवृत्तियाँ कहलाती है।” – मौरिस हम्बर्ग

आवृत्ति वितरण के प्रकार (Kinds of Frequency Distribution)

आवृत्ति वितरण मूल रूप से दो प्रकार का होता है:

(I) एकचरीय आवृत्ति वितरण (Univariate Frequency Distribution),

(II) द्विचरीय आवृत्ति वितरण (Bivariate Frequency Distribution)

(I) एकचरीय आवृत्ति वितरण (Univeriate Frequency Distribution)

एकचरीय आवृत्ति वितरण तीन प्रकार का हो सकता है—

(i) व्यक्तिगत अवलोकनों की श्रेणी (Series of individual Observations) के रूप में,

(ii) खण्डित श्रेणी (Discreate Series) के रूप में तथा

(iii) सतत् श्रेणी (Continuous Series) के रूप में।

(i) व्यक्तिगत अवलोकनों की श्रेणी (Series of Individual Observations)-

व्यक्तिगत अवलोकनों की श्रेणी में प्रत्येक पद का अलग-अलग माप दिया जाता है। यदि 20 विद्यार्थियों के किसी विषय के अलग-अलग प्राप्तांक लिखे जायेंगे या 10 परिवारों की मासिक आय अलग-अलग लिखी जाये या 7 व्यक्तियों की अलग-अलग लम्बाई लिखी जाये तो वह व्यक्तिगत अवलोकनों की श्रेणी कहलायेगी। जैसे-

निम्नलिखित व्यक्तिगत अवलोकनों की श्रेणी का एक और उदाहरण है :

दिल्ली विश्वविद्यालय की एक परीक्षा में सांख्यिकी में 20 छात्रों द्वारा प्राप्त अंक

अनुक्रमांक

(Roll No)

प्राप्तांक

(Marks)

अनुक्रमांक

(Roll No)

प्राप्तांक

(Marks)

1 60 11 85
2 71 12 35
3 80 13 61
4 41 14 55
5 94 15 98
6 33 16 52
7 81 17 50
8 41 18 01
9 78 19 48
10 66 20 66

अनेक सांख्यिकीय गणनाओं के लिए व्यक्तिगत अवलोकनों की श्रेणी को क्रम में लगाना पड़ता है। इसे क्रमागत ( array) कहा जाता है। एक श्रेणी को चढ़ते हुए क्रम (Ascending order) में अथवा घटते हुए क्रम (descending order) क्रमागत किया जा सकता है। उपर्युक्त श्रेणी को निम्नलिखित रूप से क्रमागत किया जायेगा:

बढ़ते क्रम में क्रमागत (Marks Arranged in Ascending Order)

71 76 81 89
73 77 84 91
73 77 85 94
74 78 85 94
74 80 88 98

घटते क्रम में क्रमागत (Marks Arranged in Descending Order)

98 88 80 74
94 85 78 74
94 85 77 73
89 81 76 71

(ii) खण्डित श्रेणी (Discrete Series) – खण्डित अथवा विच्छन्न सांख्यिकी श्रेणी में प्रत्येक इकाई का यथार्थ माप (Exact measurement) किया जाता है तथा विभिन्न पदों के चर मूल्यों में निश्चित अंतर होता है। इसमें पद अधिकतर एक-दूसरे से निश्चित मात्रा में होते हैं। प्रो. बॉडिगटन के अनुसार, “एक खण्डित श्रेणी वह है जिसमें व्यक्तिगत मूल्य एक-दूसरे से निश्चित मात्रा में भिन्न होते हैं।” (A discrete variable in one where the variable individual values-differ from each other by definite amount) विभिन्न पक्षों में निश्चित अंतर स्पष्ट होते हैं। प्रति परिवार बच्चों की संख्या, प्रति गृह कमरों की संख्या आदि जैसे तथ्यों को इस प्रकार की श्रेणी में प्रस्तुत किया जाता है। खण्डित श्रेणी का एक उदाहरण दिया जा रहा है।

प्रति परिवार बच्चे(X) परिवारों की संख्या(f)
0 10
1 20
2 50
3 60
4 40
5 12
6 8
योग(Total) 200

कभी-कभी शब्दों के अक्षरों की गणना के आधार पर खण्डित श्रेणी का निर्माण करके विभिन्न सांख्यिकीय मापों की गणना की जाती है। ऐसी दशा में विभिन्न शब्दों के अक्षरों की गणना की जाती है फिर उनकी आवृत्तियों (Frequencies) लिखकर खण्डित श्रेणी बना ली जाती है। निम्न उदहारण में हम खण्डित श्रेणी का एक मनोरंजक प्रसंग दे रहे हैं जिसमें शब्दों के अक्षरों को गिनकर खण्डित श्रेणी की रचना की गयी है। इसमें ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण करते समय नारी (औसत) को बनाने में जिन औषधियों गुणों या रसायनों का इस्तेमाल किया था, उसका सुन्दर वर्णन किया गया है। नारी यदि गुलाब की पंखुड़ी से भी अधिक कोमल और शहद से भी ज्यादा मीठी है तो वह फुंफकर मारते सर्प की तरह आक्रामक भी होती है। नारी ममता, त्याग सहनशीलता एवं विनम्रता की प्रतिमूर्ति होती है। उसकी इसी महानता के आगे पुरुष नतमस्तक होने के लिए बाध्य होते हैं।

उदाहरण 1. प्रारम्भ में एक पारसी कवि ने कहा है, “Allah took a rose, a lily a dove a serpent a little honey, a Dead Sea apple and a handful of clay. When  He looked at the amalgam-it was woman.

उपर्युक्त विवरण से एक खण्डित आवृत्ति सारणी बनाइए। From the above passage prepares a discrete frequency table.

हल : अंग्रेजी के गद्यांश के आधार पर प्रत्येक शब्द के अक्षरों की संख्या गिनकर (जैसे in में 2 अक्षर, the में 3 अक्षर) इस प्रकार लिखने चाहिए :

2, 3, 9, 4, 1, 7, 4, 5, 4, 1, 4, 1, 4, 1, 4, 1, 7, 1, 6, 5, 1, 4, 3, 5, 3, 1, 7, 2, 44, 2, 6, 2, 3, 7, 2, 3, 1, 5, = 39 Words.

इसके बाद इन अंकों को निम्न प्रकार खण्डित श्रेणी में लिखा जायेगा ।

अक्षरों की संख्या(Number of Letters (Size)’ X’ 1 2 3 4 5 6 7 8 9 योग(Total)
शब्दों की संख्याNumbers of Words (Frequency) f 9 5 5 9 4 2 4 0 1 N=39

उदाहरण 2. निम्न प्राप्तांकों को खण्डित आवृत्ति वितरण के रूप में प्रस्तुत कीजिए Present the following obtained marks in the for of diserete frequency distribution.

2 3 9 4 1 7 4 5 4 1
4 1 4 1 4 1 7 1 5 5
1 4 3 5 3 1 7 2 4 4
2 6 2 3 7 2 3 1 5 8

हल : खण्डित आवृत्ति वितरण तालिका (Discrete Frequency Distribution Table)

संकेत उदाहरण 1 तथा 2 में मिलान चिह्नों के माध्यम से आवृत्तियाँ ज्ञात की जाती है। उदाहरण (2) में दिये गये सभी प्राप्तांकों को देखकर यह निश्चित किया जायेगा कि सबसे बड़ा तथा सबसे छोटा प्राप्तांक कौन-कौन सा है। इसके बाद प्राप्तांकों के सामने मिलान चिह्न लगाये जायेंगे। जैसे पहला प्राप्तांक 2 है तो 2 है तो 2 के सामने एक मिलान लगेगा और इसके बाद 3 के सामने, 9 के सामने 4 के सामने और इसी प्रकार अन्य प्राप्तांकों के सामने एक-एक करके मिलान चिह्न लगाये जायेंगे। इस प्रकार हमें प्रत्येक प्राप्तांक की आवृत्ति या बारम्बारता (Frequency) ज्ञात हो जायेगी।

मिलान चिह्न लगाते समय यह ध्यान रखना है कि यदि 4 मिलान लगाने हैं तो मिलान (||||) इस प्रकार होंगे और यदि 5वां मिलान भी लगाना हो तो पहले 4 मिलान (||||) के ऊपर एक तिर्यक रेखा  इस प्रकार से खींची जायेगी ।

(iii) सतत् श्रेणी (Continuous Series) – सतत् श्रेणी में माप निश्चित नहीं होती बल्कि दो संख्याओं के मध्य, एक वर्गान्तर में होती है। इससे माप सतत् बनी रहती है। प्रो. बॉडिगटन के अनुसार, “सतत् श्रेणी में चर, वितरण के अधिकतम व न्यूनतम मूल्यों के मध्य किसी भी बीच के मूल्य को ले सकता है।” (The variable can take any intermediate value between the smallest and largest value in the distribution.) सतत् आवृत्ति वितरण में वर्गान्तर सैद्धान्तिक रूप से, आवृत्ति वितरण के प्रारम्भ से लेकर अंत तक बिना खण्डित हुए जारी रहते हैं। सतत् आवृत्ति वितरण और खण्डित आवृत्ति वितरण से इस प्रकार अंतर किया जा सकता है कि पहले में माप वर्गान्तरों में विभक्त होती है और प्रत्येक वर्गान्तर की एक ऊपरी सीमा (upper limit) तथा एक निचली सीमा (lower limit) होती है, जबकि खण्डित श्रेणी में माप का वर्गीकरण एक निश्चित संख्या ही होती है। सतत् श्रेणी का एक उदाहरण नीचे दिया जा रहा है :

प्राप्तांक

(Marks Obtained)

0-20 20-40 40-60 60-80 80-100 योग

विद्यार्थियों की संख्या

(No.of Students)

10 15 30 15 10 80

वर्गान्तरों (Class-Intervals) अथवा समूहों में वर्गीकरण

सांख्यिकीय तथ्यों की प्रत्यक्ष संख्यात्मक माप सम्भव होने पर ही वर्गान्तरों में वर्गीकरण सम्भव होता है ऊँचाई, भार, आय, निर्यात, उत्पादन आदि से सम्बन्धित समंकों का ही इस प्रकार का वर्गीकरण सम्भव होता है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी विश्वविद्यालय के 1,000 विद्यार्थियों के मासिक व्यय का अध्ययन किया जाये तो लगभग 500 रु. से लेकर 2,000 रु. तक की 1,000 संख्याओं का संकलन हो जायेगा। इन संख्याओं को इस प्रकार वर्गान्तरों में विभाजित किया जायेगा जिससे वे सक्ष्म हो जाये और उनको आसानी से समझा जा सके। यदि व्यय के वर्गों को 250 रु. के अंतर से बनाया गया तो निम्न प्रकार श्रेणी का निर्माण होगा :

(II) द्विचरीय आवृत्ति वितरण (Bivariate Frequency Distribution) – द्विचय आवृत्ति वितरण से आशय इस प्रकार के आवृत्ति वितरण से है जिसमें समंकों का वर्गीकरण दो चरों अथवा मूल्यों को एक ही साथ ध्यान में रखकर करना पड़ता है। यह दो चरों के अवलोकित मूल्यों के युग्मों का उनकी आवृत्तियों के अनुसार वर्गीकरण होता है। उदाहरण के लिए ऐसे पति-पत्नियों की संख्या को प्रदर्शित करना जो अमुक आयु वर्ग के मध्य हों इसी प्रकार व्यक्तियों को उनकी ऊँचाई एवं भार के अनुसार साथ-ही-साथ प्रदर्शित करना।

द्विचरीय आवृत्ति के लिए द्विमार्गीय आवृत्ति सारणी की निर्माण करना होता है । एक चर को उदग्र रूप में रखा जाता है, जबकि दूसरे चर को समानान्तर रूप में रखा जाता है निम्न उदाहरण में द्विचरीय आवृत्ति वितरण को स्पष्ट किया गया है :

उदाहरण 3. कक्ष परीक्षण में 20 छात्रों की परीक्षा ली गई और उनके प्राप्तांक (50 में से) रोल नम्बर के अनुसार दिये गये हैं । 10 के वर्गान्तर में एक द्विचर सारणी तैयार कीजिए।

(In class test 20, students were examined and their marks (out of 50 ) are given roll numberawise. Prepae a bivariate table in the class interval of 10:

हल: मिलान चिह्न तालिका (Tally – Sheet)

अर्थशास्त्र (X) में प्राप्तांक (Marks in Economics (‘X’)]

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