क्रिया किसे कहते हैं?
वे शब्द, जिनसे किसी कार्य का होना या करना पाया जाय, क्रिया कहलाते हैं; जैसे – (1) जह आदमी है। (ब) वह पाठ पढ़ती है। ‘है’ शब्द से होने का बोध होता है, ‘ पढ़ती है’ शब्द से पढ़ने का बोध होता है। अतः ये शब्द क्रिया शब्द हैं।
क्रिया के भेद
क्रिया के दो भेद होते हैं – (1) अकर्मक क्रिया तथा (2) सकर्मक क्रिया।
1. अकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं से कार्य (व्यापार) का फल सीधा कर्त्ता में ही रहता है, वे क्रियाएँ अकर्मक कहलाती हैं।
2. सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं के कार्य का फल कर्त्ता को छोड़कर काम पर पड़ता है, वे सकर्मक क्रियाएँ होती हैं; जैसे-राम सो रहा है, अकर्मक क्रिया है, राम पुस्तक पढ़ रहा है, सकर्मक क्रिया है।
Related Link
- तुलसीदास की समन्वय भावना
- तुलसी भारतीय संस्कृति के उन्नायक कवि हैं।
- तुलसीदास की भक्ति-भावना
- तुलसीदास के काव्य की काव्यगत विशेषताएँ
- जायसी का रहस्य भावना
- जायसी का विरह वर्णन
- मलिक मुहम्मद जायसी का प्रेम तत्त्व
- मलिक मुहम्मद जायसी का काव्य-शिल्प
- कबीर एक समाज सुधारक ( kabir ek samaj sudharak in hindi)
- सगुण भक्ति काव्य धारा की विशेषताएं | सगुण भक्ति काव्य धारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- सन्त काव्य की प्रमुख सामान्य प्रवृत्तियां/विशेषताएं
- आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ/आदिकाल की विशेषताएं
- राम काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रामकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ
- सूफ़ी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
Disclaimer
Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com