संज्ञा का अर्थ परिभाषा
वे शब्द, जिनसे किसी व्यक्ति, स्थान, प्राणी, गुण, काम अथवा भाव का बोध होता है, उन्हें नाम या संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण- (1) व्यक्ति का नाम – मोहन, श्याम। (2) स्थान का नाम – आगरा, मथुरा। टिप्पणी- स्वयं वस्तु संज्ञा नहीं होती। वस्तु का नाम ही संज्ञा होता है।
संज्ञा के प्रकार
संज्ञा शब्दों के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं-
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा
वे शब्द जिनसे एक ही वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि का बोध होता है, व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-
व्यक्तियों के नाम-राम, कृष्ण, मोहन तथा गाँधी स्थानों के नाम- आगरा, मथुरा। ग्रथों के नाम-रामायण, कादम्बरी एवं कामायनी ।
(2) जातिवाचक संज्ञा
वे शब्द जिनसे किसी एक जाति की अनेक वस्तुओं का बोध होता है, जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे- भाई, पिता, घोड़ा, घड़ी आदि ।
(3) भाववाचक संज्ञा
वे शब्द जिनमें किसी वस्तु के गुण, दशा, व्यापार आदि का बोध होता है, भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे- गुण-मिठास, खटास आदि। दशा- गरीबी, अमीरी आदि।
उपरोक्त तीन संज्ञाएँ संस्कृत व्याकरण के अनुसार हिन्दी में प्रचलित हैं लेकिन अंग्रेजी विद्वानों के अनुसार दो अन्य संज्ञाओं को भी मान्यता दी जाती है-
(4) समूहवाचक संज्ञा
वे शब्द जिनसे एक ही जाति के समूह का बोध होता है, समूह वाचक संज्ञा शब्द कहलाते हैं; जैसे- कक्षा, सेना, संघ, गिरोह, दल आदि ।
(5) द्रव्यवाचक संज्ञा
वे पदार्थ द्रव्य कहलाते हैं, जिन्हें नाप-तौल तो सकते हैं किन्तु गिन नहीं सकते हैं; जैसे-लोहा, सोना, चाँदी आदि ।
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