विराम चिह्नों की त्रुटियों के प्रमुख कारण
विराम सम्बन्धी समस्या के प्रमुख कारणों को निम्नलिखित रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है-
1. विराम चिह्नों का ज्ञान न होना- जब छात्रों को विराम चिह्नों का उचित ज्ञान नहीं होता। है तो वह पूर्ण विराम के चिह्न पर अधिक देर तथा कौमा पर कुछ देर का विराम लेते हैं जो कि अनुचित है। इस प्रकार की स्थिति नियम एवं सिद्धान्तों के सन्दर्भ में भ्रम के कारण उत्पन्न होती है।
2. वाक्यों के बीच में विराम- जब पाठक द्वारा किसी गद्यांश या पद्यांश के दो वाक्यों या पंक्ति के बीच में आवश्यकता से अधिक विराम लिया जाता है तो उसमें पठन का आनन्द समाप्त हो जाता है तथा जो उसको श्रवण करता है उसको भी उसका पूर्ण आनन्द नहीं आता।
3. आत्मविश्वास का अभाव – अनेक अवसरों पर यह देखा जाता है कि पाठक विषयवस्तु के सन्दर्भ में पूर्ण ज्ञान रखता है तथा उसको धाराप्रवाह रूप में पढ़ सकता है परन्तु आत्मविश्वास के अभाव के कारण पाठ्यवस्तु को रुक-रुककर पढ़ता है। इससे पठन क्रिया पूर्णत: बाधित हो जाती है।
4. स्तरानुकूल पाठ्य सामग्री का अभाव – अनेक अवसरों पर पठन में विराम की स्थिति उस समय उत्पन्न हो जाती है जब पाठ्यवस्तु छात्रों की योग्यता एवं मानसिकता से उच्च होती है। ऐसी स्थिति में वह शब्दों को समझ समझ कर पढ़ता है जिससे शब्दगत् विराम इतना अधिक हो जाता है कि पठन की सार्थकता समाप्त हो जाती है।
5. उचित गति का अभाव- यदि पठन के अभ्यास के समय ही शिक्षक द्वारा छात्रों को निर्देशन एवं परामर्श प्रदान नहीं किया जाता तो इससे उनके पठन में उचित गति या धाराप्रवाह का विकास नहीं हो जाता। इस प्रकार छात्र प्रत्येक पठन सामग्री को विराम के साथ पढ़ना प्रारम्भ कर देता है जिससे पठन के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है।
6. मनोयोग का अभाव – अनेक अवसरों पर छात्र अपनी पारिवारिक एवं व्यक्तिगत समस्याओं से ग्रस्त होता है। ऐसी स्थिति में उसके द्वारा पठन की क्रिया में विराम आना स्वाभाविक है क्योंकि पठन के समय उसका मस्तिष्क पाठ्यवस्तु से हटकर उस समस्या की ओर चला जाता है। दूसरे शब्दों में इस स्थिति में छात्र द्वारा पठन में पूर्ण मनोयोग का प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। इस प्रकार विराम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
विराम सम्बन्धी पठन की समस्या के समाधान
विराम सम्बन्धी पठन की समस्या के समाधान हेतु कक्षा-कक्ष में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन करके समस्याओं का समाधान किया जा सकता है-
(1) विराम चिह्नों के ज्ञान के लिये छात्रों को विभिन्न प्रकार के चार्ट एवं पोस्टरों का निर्माण करने के लिये कहा जा सकता है तथा जो छात्र उचित रूप से पठन करते हैं उनसे आदर्श वाचन कराया जा सकता है। इससे छात्रों को विराम चिह्नों के सम्बन्ध में सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
(2) वाक्यों के बीच में विराम को कम करने के लिये छात्रों को तीव्र गति से पढ़ने के लिये प्रेरित करना चाहिये तथा शिक्षक द्वारा उचित धारा प्रवाह के रूप में छात्रों के समक्ष स्वयं पठन करना चाहिये।
(3) छात्रों में आत्मविश्वास जाग्रत करने के लिये शिक्षक को कक्षा-कक्ष में छात्रों के मध्य वाद-विवाद, बालसभा एवं कहानी कथन प्रतियोगिताओं का आयोजन कराना चाहिये जिससे छात्रों में आत्मविश्वास जाग्रत हो।
(4) छात्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं के विषय उनके स्तरानुकूल होने चाहिये जिससे कि वे उसमें पूर्ण मनोयोग का प्रदर्शन करते हुए भाग ले सकें; जैसे-परिवेशीय स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वच्छता आदि।
(5) छात्रों को विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये उन्हें पृष्ठपोषण प्रदान करना चाहिये जिससे कि छात्र विराम सम्बन्धी दोषों को त्यागकर उचित रूप में पठन कर सकें।
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