भारतीय कृषि के महत्त्व
भारतीय कृषि के महत्त्व को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-
1. रोजगार का मुख्य साधन (Main means of employment)
फसल की कटाई, धान की रुपाई एवं अन्य दलहन फसलों के समय एक ही कृषक के यहाँ पर सैकड़ों ग्रामीण स्त्री-पुरुषों को रोजगार मिलता है।
2. खाद्य सामग्री की आपूर्ति (Supply of food grains)
भारतीय कृषि में लोगों को दाल, रोटी एवं चावल, फल एवं सब्जियाँ भी कृषि से ही प्राप्त होती हैं, जिनमें अनेक प्रकार के विटामिन एवं पोषक तत्त्व पाये जाते हैं।
3. पशुओं के लिये चारा (Fodder for cattle)
ज्वार, बाजरा, चरी एवं बरसीम, भूसा आदि पदार्थ पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। इस चारे से पशु पालन में सहायता मिलती है तथा पशुओं के दूध से ही डेयरी उद्योग चलता है जिनमें लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
5. यातायात व्यवस्था द्वारा रोजगार (Base of transport system)
चाय बागानों से उत्पादित चाय देश के सम्पूर्ण भागों में पहुँचायी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादित गेहूँ एवं चावल देश के अनेक भागों में पहुँचाया जाता है।
6. मूल आवश्यकता की पूर्ति (Completion of basic need)
रोटी, कपड़ा एवं मकान में कृषि उत्पादों का व्यापक प्रयोग होता है। इस प्रकार कृषि को मूल आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में स्वीकार किया जाता है।
7. औद्योगिक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण (Important for industrial develop ment)
कृषि को उन्नतिशील बनाया जाये क्योंकि अनेक उद्योग पूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर करते हैं; जैसे- चीनी की मिलों की स्थापना, सूती वस्त्र उद्योग आदि ।
8. आर्थिक विकास में महत्त्व (Importance in economic development)
कृषि के माध्यम से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तथा निर्यात व्यापार को बढ़ावा मिलता है। प्रमुख कृषि ‘उत्पादों की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में माँग है; जैसे- चाय, तिलहन, तम्बाकू, मसाले, कहवा, रुई, जूट एवं गुड़ आदि ।
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