भारतीय कृषि की मुख्य विशेषताएँ
अर्थव्यवस्था में भारतीय कृषि व्यवस्था का अवलोकन एवं विश्लेषण करने के पश्चात् इसमें अनेक उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण तथ्य दृष्टिगोचर होते हैं। अतः भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताओं को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अधिकांश जनसंख्या की आजीविका का साधन (Means of livelihood of most of the population)
जनगणना के आँकड़ों के अनुसार 64.8% जनसंख्या कृषि से आजीविका प्राप्त करती है, जिसमें 38.7% कृषक के रूप में तथा 26.1% मजदूर के रूप में आजीविका प्राप्त करते हैं। इस प्रकार मजदूरी एवं कृषक के रूप में अधिकांश जनसंख्या अपनी आजीविका प्राप्त करती हैं। इतनी अधिक जनसंख्या को रोजगार किसी अन्य क्षेत्र में प्राप्त नहीं होता।
2. खाद्यान्न फसलों की प्रमुखता (Dominance of food grain crops)
भारतीय कृषि में 69-8% भाग खाद्यान्न फसलों के रूप में भूमि पर उगाया जाता है तथा 32-2% भाग व्यापारिक फसलों के रूप में होता है। इसलिये भारतीय किसानों को आर्थिक लाभ कम होता है।
3. भारतीय कृषि में श्रम की अधिकता (Labour intensive in Indian agricul ture)
फसल की कटाई का समय होता है तब अधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है। मजदूर न मिलने के कारण फसल खेतों में ही गिरने लगती है, जबकि विदेशों में आधुनिक यन्त्र हार्वेस्टर का प्रयोग किया जाता है, जिससे कटाई में मजदूरों की आवश्यकता नहीं होती है। भारतीय कृषि व्यवस्था में प्रत्येक स्तर पर श्रम की अधिक आवश्यकता होती है।
4. कृषि जोत का छोटा होना (Small size of agriculture holding)
एक बीघा जमीन वाला किसान हल से ही खेत जोतने का प्रयास करता है क्योंकि ट्रैक्टर खरीदने के लिये न तो उसके पास धन होता है और न ही उसको ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है।
5. किसानों की सीमित सोच (Limited thinking of farmers)
भारत में किसान अपनी जीविका चलाने के उद्देश्य से कृषि करता है। इसके परिणामस्वरूप वह खेती की विविध विधियों एवं तकनीकी का प्रयोग नहीं करता।
6. सीमित दिनों का रोजगार (Employment of limited days)
कृषि व्यवस्था में कृषि मजदूरों को सीमित दिन का रोजगार मिल जाता है। जब किसान के खेत खाली होते हैं तब किसान एवं मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाता है।
7. निम्न कृषि उत्पादकता (Low agriculture productivity)
निम्न कृषि उत्पादकता के रूप में भारतीय कृषि के क्षेत्र में उर्वरकों का प्रयोग देशी खाद के रूप में किया जाता है, जबकि रासायनिक उर्वरक उत्पादन की क्षमता में वृद्धि करते हैं।
8. मानसून पर निर्भरता (Dependence on monsoon)
भारतीय कृषि की उत्पादकता मानसून पर निर्भर करती है। इसलिये भारतीय कृषि को मानसूनी जुआ भी कहते हैं। भारत का लगभग 30% क्षेत्र ही सिंचित है, जबकि 70% क्षेत्रफल मानसूनी वर्षा पर निर्भर करता है।
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