अर्थशास्त्र का क्षेत्र एवं स्वभाव
अर्थशास्त्र का क्षेत्र
वह विषयवस्तु जिसका अध्ययन हम अर्थशास्त्र में करते हैं उसे अर्थशास्त्र का क्षेत्र कहा जाता है। अर्थशास्त्र की विभिन्न परिभाषाओं के अध्ययन से हमें काफी कुछ उसके क्षेत्र एवं स्वभाव के बारे में पता चलता है। वाइनर के अनुसार “वही अर्थशास्त्र की विषयवस्तु है एवं उसका क्षेत्र है, जिसका अध्यन एक अर्थशास्त्री करता है। अर्थशास्त्र का क्षेत्र परिस्थितियों तथा समस्याओं के अनुसार परिवर्तनशील है। माननीय आर्थिक कल्याण से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं को दो भागों में बांटा जा सकता है – वर्तमान साधनों के आवंटन की समस्या तथा उत्पादन के साधनों की वृद्धि की समस्या। इस उद्देश्य से एक अर्थशास्त्री विभिन्न प्रश्नों के समाधान ढूंढता है। जैसे-
- अर्थव्यवस्था में उपलब्ध सभी साधनों का क्या पूर्ण प्रयोग हो चुका है। यह देखा जाता है कि सीमित दुर्लभ साधनों का पूर्ण प्रयोग हो रहा है या नहीं।
- साधनों के आवंटन की समस्या यानि उपलब्ध साधनों से किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाय क्योंकि साधन सीमित हैं?
- वस्तुओं के उत्पादन की प्राविधि क्या हो अर्थात वस्तुओं का उत्पादन कैसे करें?
- राष्ट्रीय उत्पादन का समाज के विभिन्न वर्गों के बीच राष्ट्रीय उत्पाद का वितरण कैसे हो यानि किसके लिए उत्पादन किया जाय?
- साधनों के अनकूलतम प्रयोग की समस्या। इसके लिए अर्थव्यवस्था को सदैव कुछ वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन का त्याग करके कुछ अन्य का उत्पादन बढ़ाना चाहिए।
- अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है या कमी? इसके अन्तर्गत आर्थिक विकास एवं संवृद्धि का अध्ययन किया जाता है। वृद्धि को तेज करने के लिए पूँजी निर्माण की दर को ऊँचा करना एवं नवप्रवर्तन और अधिक दक्ष तकनीकों के माध्यम से उत्पादन को बढ़ाने पर बल देना चाहिए।
अर्थशास्त्र का स्वभाव – विज्ञान या कला
इससे पहले कि हम यह विचार करें कि अर्थशास्त्र कला है या विज्ञान, वास्तविक विज्ञान या आदर्श विज्ञान हम यह जाने कि विज्ञान तथा कला का क्या अर्थ है?
विज्ञान किसी विषय के ज्ञान का व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध अध्ययन है। पोइनकेअर “जिस प्रकार एक मकान का निर्माण ईंटों द्वारा होता है उसी प्रकार विज्ञान तथ्यों द्वारा निर्मित है पर जिस प्रकार ईंटों का ढेर मकान नहीं है उसी प्रकार से मात्र तथ्यों को एकत्रित करना विज्ञान नहीं है। उद्देश्य, पर्यवेक्षण, प्रयोग तथा विश्लेषण के द्वारा सत्य की खोज करना विज्ञान है।”
अर्थशास्त्र विज्ञान है क्योंकि इसके अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों का पालन किया जाता है। पर्यवेक्षण, तथ्यों का एकत्रीकरण, विश्लेषण, वर्गीकरण तथा उसके आधार पर नियम का निर्देशन अर्थशास्त्र में किया जाता है। अन्य प्राकृतिक विज्ञानों की तरह इसमें भी नियम है किन्तु ये उतने सत्य नहीं होते जितने प्राकृतिक विज्ञानों के नियम होते हैं। अर्थशास्त्र के नियम कुछ मान्यताओं पर आधारित है अगर ये मान्यतायें अपरिवर्तित रहीं तो नियम लागू होगा। इसलिए अर्थशास्त्र को विज्ञान मानना ही ठीक होगा।
कला विज्ञान का व्यवहारिक पहलू है अर्थात कला विज्ञान का क्रियात्मक रूप है। कला एवं विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। किसी विषय का यदि क्रमबद्ध ज्ञान प्राप्त करते हैं तो वह विज्ञान है परन्तु उसका क्रमबद्ध तथा उत्तम प्रयोग कला है। अर्थशास्त्र का अपना व्यावहारिक पहलू भी है इसलिए अर्थशास्त्र का कला पक्ष भी है। क्लासिकल अर्थशास्त्रियों ने नियमों का निर्देशन करना ही अर्थशास्त्री का कार्य माना अतः इन्होंने अर्थशास्त्र को अन्य प्राकृतिक विज्ञानों की ही श्रेणी में रखा। समाजवाद के समर्थकों ने सिद्धान्त पक्ष की उपेक्षा व्यवहार पक्ष पर विशेष बल दिया और विज्ञान के ऊपर कला की प्रभुसत्ता स्थापित की क्योंकि अर्थव्यवस्था में कई सुधार लाने थे।
नियोक्लासिकल अर्थशास्त्री मार्शल ने दोनों के बीच का रास्ता अपनाया। मार्शल इस विचार के थे कि अर्थशास्त्र को विज्ञान एवं कला’ कहने से उत्तम होगा कि इसे विशुद्ध एवं व्यावहारिक विज्ञान कहें। रॉबिन्स अर्थशास्त्र को विज्ञान मानते थे पर आजकल अर्थशास्त्र का व्यावहारिक महत्व बढ़ता जा रहा है। अतः अर्थशास्त्र का कला पक्ष पुनः प्रभावपूर्ण हो गया है। हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र एक विज्ञान है जिसके व्यावहारिक पक्ष अथवा कला पक्ष की अवहेलना नहीं की जा सकती।
वास्तविक विज्ञान अथवा आदर्श विज्ञान
वास्तविक विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो कारण तथा परिणाम में सम्बन्ध स्थापित करता है। यह “क्या है’ का उत्तर खोजता है। वास्तविक विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य सत्य की खोज करना तथा उसका विश्लेषण करना है।
आदर्श विज्ञान “क्या होना चाहिए” “क्या नहीं होना चाहिए” का भी अध्ययन करता है। यह ज्ञान का विश्लेषण करता है और कुछ पूर्व निश्चित मानकों के आधार पर अपने सुझाव प्रस्तुत करता है। कीन्स के अनुसार, “वास्तविक विज्ञान एक ऐसा क्रमबद्ध ज्ञान है जो क्या है से सम्बन्धित है आदर्श विज्ञान या नियंत्रित विज्ञान क्रमबद्ध ज्ञान का वह रूप है जो क्या होना चाहिए से सम्बन्धित है तथा यह यथार्थ के स्थान पर आदर्श से सम्बद्ध है।”
क्लासिकल अर्थशास्त्री – रिकार्डों, सीनियर, जे.बी. से अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान मानते हैं जबकि मार्शल तथा पीगू अर्थशास्त्र को वास्तविक तथा आदर्श विज्ञान दोनों के रूप में देखते हैं। हाब्सन, हाटे”, कैयनक्रास भी अर्थशास्त्र को आदर्श विज्ञान मानते हैं।
वास्तविक विज्ञान होने के पक्ष में तर्कः
- अर्थशास्त्र एक विज्ञान है और विज्ञान अनिवार्यतः तर्कशास्त्र पर आधारित रहता है, यह निर्णय नहीं दे सकता क्या होना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए यदि हम अर्थशास्त्र को विज्ञान मानते हैं तो इससे आदर्शवादी दृष्टिकोण निकाल दिया जाना चाहिए।
- अर्थशास्त्र को आदर्श विज्ञान मानने पर उसकी विषयवस्तु अनिश्चित हो जायेगी।
- वास्तविक विज्ञान तथा आदर्श विज्ञान दोनों सर्वथा अलग हैं क्योंकि एक का आधार यथार्थ है और दूसरे का आधार है आदर्श (काल्पनिक मान्यता)। इसलिए यदि दोनों को मिला दिया जायेगा तो भ्रम पैदा हो जायेगा।
अर्थशास्त्र के आदर्श विज्ञान होने के पक्ष में तर्क
1. रॉबिन्स यदि मानव व्यवहार का अध्ययन करता है तो उसे यह मानना पड़ेगा कि मनुष्य तर्कपूर्ण होने के साथ- साथ भावुक भी हैं। इसलिए अर्थशास्त्र को दोनों ही मानना पड़ेगा – तर्क पर आधारित वास्तविक विज्ञान और भावुकता पर आधारित आदर्श विज्ञान।
2. जब हम किसी मानवीय आर्थिक क्रिया का विश्लेषण करें तो पायेंगे कि अन्त में पहुंचने पर अन्तिम निर्णय व्यक्तिगत भावना पर निर्भर कर जाता है और इस अन्तिम निर्णय से पूर्व ही अर्थशास्त्र की सीमा समाप्त हो जाती है यदि हम अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान मानते हैं अर्थात् अन्तिम निर्णय का श्रेय नीतिशास्त्र को मिल जायेगा। इसलिए अर्थशास्त्र आदर्श विज्ञान भी है।
3. रॉबिन्स के अनुसार अर्थशास्त्र अन्य प्राकृतिक विज्ञानों की तरह साध्यों के सम्बन्ध में तटस्थ है किन्तु अनेक अर्थशास्त्री मानते हैं कि अर्थशास्त्र नीति शास्त्र का एक अभिन्न अंग है। पीगू नेअर्थशास्त्र को नीतिशास्त्र की सहायिका तथा व्यवहार का दास कहा।
4. वर्तमान में अनेक आर्थिक समस्याएं भयावह रूप हो चुकी है आय की असमानता, बेरोजगारी, भुखमरी, सामाजिक कल्याण को बढ़ाने का मुद्दा। इन सबका निवारण अर्थशास्त्र का आदर्शात्मक पहलू है।
5. विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक नियोजन अपनाया जाता है जो अर्थशास्त्र का आदर्शवादी पहलू है।
6. कल्याणवादी अर्थशास्त्र के विकास से भी इस धारणा को बल मिलता है कि अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान न होकर इसका आदर्शवादी पहलू भी महत्वपूर्ण है।
आदर्शवाद विज्ञान तथा वास्तविक विज्ञान अर्थशास्त्र के दो अलग-अलग भाग नहीं, दो पहलू हैं, वास्तविक विज्ञान अर्थशास्त्र का सैद्धान्तिक पहलू है जबकि आदर्श विज्ञान उसका व्यावहारिक पहलू।
Important Links
- मनोवैज्ञानिक निश्चयवाद के अनुकरण आधारित व्याख्या में टार्डे के विचार- in Hindi
- रेखा चित्र व दण्ड चित्र पर लेख |दण्ड चित्र के प्रकार in Hindi
- सामाजिक तथ्यों की अध्ययन पद्धतिया | Study Method of Social Facts in Hindi
- तथ्यों के संकलन का महत्व/उपयोगिता | Importance / utility of the collection of Facts in Hindi
- तथ्य संकलन के प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोत | primary & secondary Sources of fact collection in Hindi
- वैज्ञानिक पद्धति में तथ्य संकलन | Facts in Scientific Method in Hindi
- अनुसंधान अभिकल्प क्या है ? तथा इसकी प्रकृति |Meaning & Nature of Research design in Hindi
- वैदिक साहित्य के प्रमुख वेद – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद in Hindi
- सामाजिक सर्वेक्षण के गुण व सीमाएँ | Qualities and limitation of social survey in Hindi
- परिकल्पना या उपकल्पना के प्रकार | Types of Hypothesis in Hindi
- उपकल्पना का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी विशेषताएँ और प्रकृति – Sociology in Hindi
- भारतीय जनजातियों के भौगोलिक वर्गीकरण | Geographical classification of Indian tribes
- मैक्स वेबर की सत्ता की अवधारणा और इसके प्रकार | Concept of Power & its Variants
- मैक्स वेबर के आदर्श-प्रारूप की धारणा | Max Weber’s Ideal Format Assumption in Hindi
- स्पेन्सर के सामाजिक संगठन के ऐतिहासिक विकासवाद | Historical Evolutionism in Hindi
- स्पेन्सर के समाज एवं सावयव के बीच समानता | Similarities between Spencer’s society & matter
- मार्क्स के वर्ग-संघर्ष सिद्धांत | Marx’s class struggle Theory in Hindi
- आधुनिक पूँजीवादी व्यवस्था में मार्क्स के वर्ग-संघर्ष | Modern capitalist system in Hindi
- अगस्त कॉम्टे के ‘प्रत्यक्षवाद’ एवं कॉम्टे के चिन्तन की अवस्थाओं के नियम
- आगस्ट कॉम्टे ‘प्रत्यक्षवाद’ की मान्यताएँ अथवा विशेषताएँ | Auguste Comte of Positivism in Hindi
- कॉम्ट के विज्ञानों के संस्तरण | Extent of Science of Comte in Hindi
- कॉम्ट के सामाजिक स्थिति विज्ञान एवं सामाजिक गति विज्ञान – social dynamics in Hindi
- सामाजिक सर्वेक्षण की अवधारणा और इसकी प्रकृति Social Survey in Hindi
- हरबर्ट स्पेन्सर का सावयवि सिद्धान्त एवं सावयवि सिद्धान्त के विशेषताएँ