पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति और उद्देश्य
पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति एवं उद्देश्य- हम जानते हैं कि पर्यावरण एक व्यापक संकल्पना है जिसका अध्ययन करना भूगोल का मुख्य उद्देश्य है क्योंकि इसी के आधार पर मानवीय गतिविधियों एवं क्षेत्रीयता को समझा जा सकता है।
उपर्युक्त विषय के आधार पर कह सकते हैं कि पर्यावरण का अध्ययन करके इनके घटकों को वर्गीकृत कर लिया जा सकता है। वर्गीकृत शाखाओं और उपशाखाओं का अध्ययन सम्मिलित रूप से भूगोल विषय के अन्तर्गत किया जा सकता है। जो हमें यह बताता है कि उपर्युक्त शाखाओं के तत्त्वों को मिश्रित प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है और हम स्वयं इन तत्त्वों को प्रभावित करते हैं। अपनी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूत्रि के लिये हम मनुष्य लगातार पर्यावरण पर निर्भर होते जा रहे हैं। हमारे शोषण की इस प्रवृत्ति की वजह से पर्यावरण पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। फलतः पर्यावरण की गुणवत्ता में सतत् कमी आती जा रही है। अपनी महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति के क्रम में हम मनुष्यों ने पर्यावरण की जी भर उपेक्षा की है जो हमारे लिये नुकसानदायक साबित होती जा रही है। इस नुकसानदायक स्थिति से निबटने के लिये पर्यावरण का संरक्षण, पुनर्जनन एवं विकास करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है। फलतः पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य बहुआयामी और व्यापक हो गया है। वर्तमान समय में पर्यावरण का अध्ययन करते हैं तो कुछ विषय एक से अधिक घटकों के बारे में जानकारी देते हैं। पर्यावरण की इन्हीं विशेषताओं के कारण कहा जा सकता है कि यह अंतर्विषयक बन गया है।
अगर हम मनुष्यों की गतिविधियों एवं उनकी महत्त्वाकांक्षाओं के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके लिये हमें समाजशास्त्र राजनीतिविज्ञान, इतिहास, साहित्य, कला, धर्म इत्यादि विषयों को भी प्रमुख स्थान देना होगा। इस प्रकार से विभिन्न विषयों के सन्दर्भ में पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति अंतर्विषयक एवं बहुआयामी है।
आज हमारी इच्छा और आकांक्षाओं के चलते विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं उसके लिये जरूरी है कि हम पर्यावरण और इसके विभिन्न घटकों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। आज हमने पर्यावरण को इस कदर हानि पहुँचायी है कि हम मनुष्य सहित सभी जीव-जन्तुओं के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
हम मनुष्यों द्वारा पर्यावरण के प्रति उपेक्षा का भाव महाप्रलय का कारण बन सकता है। संक्षिप्त में हम पर्यावरण के अध्ययन के उद्देश्यों को निम्न प्रकार से सूचीबद्ध कर सकते हैं-
(i) पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य बहुआयामी और व्यापक है। इसके लिये हमें विभिन्न विषयों के माध्यम से इनके घटकों को समझना होगा।
(ii) हमें अपनी उन गतिविधियों पर नियंत्रण करना पड़ेगा जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है और पर्यावरण संरक्षण का प्रयास करना होगा।
(iii) पर्यावरण जो हमारे जीवन का आधार है उसका पुनर्जनन एवं विकास कर ही हम अपने जीवन का अस्तित्व सुरक्षित कर सकते हैं।
(iv) हमें ये भी समझना होगा कि पर्यावरण के सभी घटक संतुलित रहेंगे तभी हम सुरक्षित रह सकेंगे।
Important Links
- अध्यापक का स्वयं मूल्यांकन किस प्रकार किया जाना चाहिए, प्रारूप दीजिये।
- सामाजिक विज्ञान के अध्यापक को अपने कर्त्तव्यों का पालन भी अवश्य करना चाहिए। स्पष्ट कीजिये।
- सामाजिक अध्ययन विषय के शिक्षक में व्यक्तित्व से सम्बन्धित गुण
- शिक्षक की प्रतिबद्धता के क्षेत्र कौन से है
- सामाजिक विज्ञान शिक्षण में सहायक सामग्री का अर्थ एंव इसकी आवश्यकता एंव महत्व
- मानचित्र का अर्थ | मानचित्र के उपयोग
- चार्ट का अर्थ | चार्ट के प्रकार | चार्टो का प्रभावपूर्ण उपयोग
- ग्राफ का अर्थ | ग्राफ के प्रकार | ग्राफ की शैक्षिक उपयोगिता
- पाठ्यचर्या का अर्थ और परिभाषा
- फिल्म खण्डों के शैक्षिक मूल्य
- मापन और मूल्यांकन में अंतर
- मापन का महत्व
- मापन की विशेषताएँ
- व्यक्तित्व का अर्थ एवं स्वरूप | व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएं
- व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- व्यक्तित्व क्या है? | व्यक्तित्व के शीलगुण सिद्धान्त
- व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ और स्वरूप
- व्यक्तिगत विभिन्नता अर्थ और प्रकृति
- व्यक्तिगत विभिन्नता का क्षेत्र और प्रकार