पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ व मूल्यांकन का आधार
पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ- पाठ्य-पुस्तक का चुनाव करते समय अध्यापक को विशेष सावधानी से काम लेना चाहिए। उसे सदा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पाठ्य-पुस्तक में कही गलत तथ्यों का संकलन तो नही है। पाठ्य-पुस्तक का चुनाव करते समय अध्यापक को निम्न बातो पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
(1) पुस्तक का लेखक:- पाठ्यपुस्तक के चुनाव के समय सर्वप्रथम यह बात ध्यान में रखने की है, कि पुस्तक का लेखक अनुभवी तथा पूर्णतया निपुण हो।
(2) मनोवैज्ञानिक शैली:- पुस्तक की शैली का मनोवैज्ञानिक होना परम आवश्यक है। विषय के सिद्धान्तों का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक ढंग से समझकर किया जाय। विषय वस्तु को अत्यन्त तार्किक तथा सुव्यवस्थित ढंग से संजोना आवश्यक है। विभिन्न समस्याओं का प्रस्तुतीकरण रोचक ढंग से किया जाये।
( 3 ) पाठ्यपुस्तक का संकलन:- उत्तम पाठ्य-पुस्तकों में पाठ्य-वस्तु का संकलन अत्यन्त सोच समझकर पाठ्यक्रमानुसार किया जाता है। उसमें वर्णित विषय वस्तु बालको के वातावरण, रूचियों तथा क्रियाओं से सम्बन्धित होती है।
पाठ्य-वस्तु का शुद्ध तथा स्पष्ट होना परम आवश्यक है। संक्षेप में पाठ्य-वस्तु में निम्न योग्यताओं का होना आवश्यक है-
(i) पाठ्य-सामग्री छात्रों की मानसिक योग्यता के अनुकूल हो।
(ii) पाठ्य-पुस्तक की पाठ्य-वस्तु बालकों की जिज्ञासा तथा निरीक्षणात्मक शक्तियों को जाग्रत करने वाली हो।
(iii) पाठ्य-वस्तु व्यवस्थापन इस प्रकार का हो कि प्रकरणो तथा पाठों का तारतम्य बना रहे।
(iv) पाठ्य-वस्तु का बालकों के जीवन से सम्बन्धित होना परम आवश्यक है।
(v) पाठ्य-वस्तु का प्रतिपाद सरल तथा रोचक ढंग से किया जाये।
(4) पाठ्य पुस्तक की आन्तरिक साज-सज्जा:- बालकों में रूचि तथा विषय के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने के लिए उचित मात्रा में उदाहरणों, चित्रों, ग्राफों, मानचित्रों तथा रेखाचित्र का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया गया हो। छोटी कक्षा के छात्रों की पुस्तकों में रंगीन आकर्षक चित्रो का संकलन होना चाहिए।
(5) पुस्तक की छपाई:- पाठ्यपुस्तक का मुद्रण छात्रों की आयु के अनुकूल हो । शीर्षक बड़े तथा छोटे टाइप में आवश्यकतानुसार दिए जाये।
(6) पुस्तक का गेट-अप (Get-up ):- पाठ्य पुस्तक का कागज सुन्दर तथा मजबूत होना चाहिए। उसकी जिल्द भी मजबूत होनी चाहिए। पुस्तक आकार में न तो अधिक लम्बी हो और न ही अधिक भारी परन्तु आकर में इस प्रकार की हो कि छात्र उसे सरलता से ला और ले जा सके। देखने में आकर्षक होनी आवश्यक है।
( 7 ) अन्य ध्यान देने योग्य बाते:
(i) पुस्तक का मूल्य अधिक न हो।
(ii) पुस्तक के आरम्भ में विषय-सूची (Contents) तथा अन्त में अनुक्रमणिका (Index) भी होनी चाहिए।
(iii) पाठ के अन्त में दिए गए प्रश्न शुद्ध हो।
(iv) गृह-कार्य का उल्लेख भी हो।
(v) पाठ्य-पुस्तक पाठ्यक्रम को पूरा करने वाली हो ।
(vi) यह भी देखना परम आवश्यक है कि पाठ्यपुस्तक की रचना में समन्वय के सिद्धान्त को अपनाया गया है अथवा नहीं।
(vii) विद्यालय में पढ़ाई आरम्भ होने से पहले बाजार में उपलब्ध होनी चाहिए।
पाठ्य-पुस्तक का मूल्यांकन ( Evaluation of Text Book )
यों तो पाठ्य पुस्तक के मूल्यांकन हेतु कई विधियाँ है जिसके द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। पुस्तक का स्तर अंको द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। यहाँ कुछ मुख्य बिन्दुओं को बताया जा रहा है। जिसके आधार पर पाठ्य पुस्तक का मूल्यांकन किया जा सकता है।
(A) पुस्तक की विषय सामग्री
(i) पुस्तक की योजना की रूपरेखा, (ii) विषय-सामग्री का चयन (iii) विषय सामग्री का प्रस्तुतीकरण (iv) सहायक सामग्री की उपयोगिता ।
(B) पुस्तक का भौतिकाधार
(i) पुस्तक का आकार (ii) कागज की गुणवत्ता (iii) छपाई व चित्र (iv) सिलाई व बंधाई (v) जिल्द की गुणवत्ता, (vi) मूल्य
(C) पाठ्यपुस्तक नियोजन
(i) पृष्ठ संख्या (ii) इकाइयों में विभाजन (iii) इकाइयों की तार्किक क्रमबद्धता (iv) सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की पूर्णता (v) पाठांत में सारांश ।
(D) विषय सामग्री का चयन
(i) पूर्व कक्षा तथा अगली कक्षा के लिए कड़ी के रूप में।
(ii) प्रत्येक इकाई की सामग्री निर्धारित समय के लिए उपयुक्त।
(iii) इकाइयों के भार में आनुपातिक सम्बन्ध |
(iv) रूचि, आयु, अंचल (ग्रामीण/शहरी) का परिपक्वता के अनुसार शब्दावली का प्रयोग।
(v) स्थानीय पर्यावरण पर आधारित विषय-सामग्री।
(vi) विज्ञान की मानक शब्दावलियो का प्रयोग।
(vii) नये चित्र, नए तथ्य व अवधारणाओं का समावेश
(viii) विषयों में सह-सम्बन्ध ।
(E) विषय सामग्री का प्रस्तुतीकरण
(i) विषय के उद्देश्यानुसार,
(ii) सीखने के सिद्धान्तों पर आधारित,
(iii) प्रभावशाली सम्प्रेषण (Communication)
(iv) सरल, सुबोध, स्पष्ट भाषा का प्रयोग,
(v) सम्प्रत्ययो को समझने में सहायक,
(vi) विषय में रूचि बढ़ाने में सहायक,
(vii) वैज्ञानिक अभिवृत्ति एंव दृष्टिकोण विकास में सहायक,
(viii) समस्या समाधान व प्रयोग कौशल के विकास में सहायक,
(ix) खोज प्रवृत्ति के विकास में सहायक,
(x) विकासात्मक दृष्टिकोण के प्रति उन्मुखता।
(F) सहायक सामग्री की उपयोगिता
(i) प्रत्येक इकाई में पर्याप्त संख्या में चित्र व उदाहरण
(ii) चित्र, आरेख आदि में विविधता।
(iii) रंगीन तथा आकर्षक चित्र या आरेख।
(iv) नामांकित स्वच्छ व स्पष्ट चित्र भी
एक अध्यापक सरलतापूर्वक उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर एक विषय की पुस्तक के लिए मूल्यांकन का मापदण्ड बना सकता है तथा मूल्यांकन के आधार पर अच्छी पुस्तक का चयन कर सकता है।
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