सेवारत् अध्यापक शिक्षा की आवश्यकता
(1) अध्यापको के व्यावसायिक जीवन में प्रशिक्षण की व्यवस्था का योजनाबद्ध एवं क्रमिक नियोजन ।
(2) शैक्षिक विस्तार के द्वारा शिक्षको की गुणवत्ता में विकास।
(3) शिक्षको को सेवापूर्व प्रशिक्षण के द्वारा दी गयी शिक्षा उनके व्यावसायिक जीवन में उचित एवं पर्याप्त ढंग से प्रयोग नहीं हो पाती।
(4) मानवीय व्यवहारों में ऐसे बहुत से क्षेत्र है, जिनमें नित्य नये-नये परिवर्तन हो रहे है, इसके लिये आवश्यक है कि शिक्षक निरन्तर उन परिवर्तनों में भली-भाँति परिचित होता रहे। परिवर्तनों के फलस्वरूप शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रमों, शिक्षण विधियों, अनुदेशन सामग्रियों के द्वारा शिक्षा प्रक्रिया को आवश्यक रूप से अत्याधुनिक एवं गतिशील बनाया जा सकता है। सेवारत् अध्यापक शिक्षा के विस्तार द्वारा उनके अपेक्षित व्यवहारो में परिवर्तन लाया जा सकता है।
(5) शिक्षा में परिवर्तन करने के लिए, अन्य विषय क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तनों से सेवारत् अध्यापक के गुणों में विकास एंव परिवर्तन ।
(6) सेवारत् अध्यापक शिक्षा के प्रसार द्वारा यह प्रयास किया जाता है कि शिक्षा में जो परिवर्तन हो रहे है उनसे विद्यालय के अध्यापक को अवगत कराया जायें जिससे वह नये परिवेश की शैक्षिक समस्याओं को भली प्रकार समझकर उनका समाधान कर सकें।
सेवारत् अध्यापक शिक्षा के उद्देश्य
(i) शिक्षक की कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए नये-नये उद्दीपनों को प्रदान करना।
(ii) शिक्षकों को अपनी समस्याओं के प्रति जानकारी प्रदान करना तथा उनको हल करने के लिये उनके ज्ञान एवं बोध का उपयोग करने में सहायता प्रदान करना ।
(iii) प्रभावशाली शिक्षण प्रविधियों के उपयोग में सहायता प्रदान करना है।
(iv) शिक्षा में हो रही नयी शिक्षण प्रविधियो एवं आविष्कारों से सेवारत् अध्यापक को अवगत कराना।
(v) शिक्षक के मानसिक दृष्टिकोण में विस्तार करना ।
(vi) सेवारत् अध्यापकों को मूल्यांकन प्रविधियों एवं पाठ्यक्रम के विषय में जानकारी प्रदान करना ।
(vii) शिक्षकों को उनके व्यावसायिक गुणों में वृद्धि करना ।
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