स्किनर के क्रिया प्रसूत अनुबन्धन या सक्रिय अनुबन्धन सिद्धान्त
उत्तेजक प्रतिक्रिया अधिगम सिद्धान्तों की कोटि में बी.एफ. स्किनर ने सन् 1938 में क्रिया प्रसूत अधिगम प्रतिक्रिया को विशेष आधार देकर महान् योगदान दिया। स्किनर ने इस प्रक्रिया को प्रमाणित करने के लिये मंजूषा का निर्माण किया, जिसे स्किनर बॉक्स के नाम, से जाना जाता है। स्किनर ने अधिगम की व्याख्या दो रूपों में की है।
(1) प्रतिक्रियात्मक व्यवहार।
(2) क्रिया प्रसूत व्यवहार।
इन दोनों ही प्रकार के व्यवहारों की व्याख्या करते हुए स्किनर ने यह मत व्यक्त किया है कि प्रतिक्रियात्मक व्यवहार प्रत्यक्ष रूप से उत्तेजक के नियन्त्रित होता है, जैसे पॉवलाव के अधिगम सिद्धान्त की व्याख्या में भोजन प्रस्तुत करते समय लार-स्राव होना, जिसे प्रतिक्षेप क्रिया का होना कहा गया है। इसका अभिप्राय यह है कि प्राकृतिक व्यवहार प्राकृतिक उत्तेजक की देन है। इस प्रक्रिया के अन्य उदाहरण भी हो सकते हैं; जैसे-रोशनी के अचानक आ जाने पर पलक झपक जाना तथा आलपिन चुभाने पर शरीर के अंगों का मुड़ जाना आदि प्रतिक्रियात्मक व्यवहार के उदहारण हैं। क्रिया प्रसूत व्यवहार की व्याख्या स्किनर ने कुछ इस प्रकार की हैं कि क्रिया प्रसूत व्यवहार किसी उत्तेजक के प्रति मात्र प्रतिक्रियात्मक न होकर कुछ भिन्न होता है। ऐसा व्यवहार स्वेच्छा से होता है तथा किसी उत्तेजक के प्रतिक्रियात्मक नियन्त्रण में नहीं होता, उदाहरणार्थ-यदि टेलीफोन की घण्टी बज रही हो तो उसके प्रति प्रतिक्रिया व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करती है, क्योंकि टेलीफोन की घण्टी किसी प्रकार से व्यक्ति को इच्छा के विपरीत उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकती तथा जब तक व्यक्ति स्वयं अपनी इच्छा से इस प्रकार का व्यवहार करने के लिये बाध्य नहीं होता, उसका व्यवहार क्रिया प्रसूत व्यवहार के रूप में घटित करता है। अधिगम या अनुबन्धन प्रक्रिया इसी से जुड़ी हुई है। इस प्रकार के व्यवहार को मनोवैज्ञानिकों ने नैमित्तिक व्यवहार की संज्ञा दी है।
प्रयोग- अपनी प्रयोग प्रक्रिया में स्किनर ने जिस मंजूषा का निर्माण किया, उसे स्किनर बॉक्स के नाम हम जानते हैं। भूखे चूहे को इस बॉक्स में रखा गया तथा भोजन के लिए तश्तरी रखी गयी जिसमें भोजन गिरता था। स्किनर ने चूहे की क्रियाओं पर विचार व्यक्त करते हुए लिखा है चूहा इस बॉक्स के चारों ओर घूमता है तथा लगी हुई छड़ों पर खड़ा हो जाता है। इन गतिविधियों में छड़ रूपी लीवर दब जाता है और ध्वनि निकलती है और भोजन की तश्तरी में भोजन गिरता है, जिसे प्रथम बार चूहा देख नहीं पाता है। ऐसी स्थितियों में चूहा अपनी गतिविधियों को जारी रखता है। कुछ समय बाद चूहा भोजन को देखता है और उसे प्राप्त करता है। उसके बाद चूहा लीवर को पुनः दबाता है और भोजन की तश्तरी में भोजन गिरता है चूहा खाना देख लेता है और खा लेता है। कुछ प्रयासों के बाद चूहा लीवर दबाकर शीघ्र भोजन प्राप्त कर लेता है। इन क्रियाओं का अर्थ यह है कि चूहे ने लीवर को दबाना सीख लिया है। जिसे क्रिया प्रसूत अनुबन्धन के अन्तर्गत माना जाता है। स्किनर मंजूषा में चूहे को क्रिया-प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्डिंग यन्त्र से नापा जा सकता है।
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