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चिन्तन का अर्थ तथा परिभाषा | Thinking in Hindi

चिन्तन का अर्थ तथा परिभाषा
चिन्तन का अर्थ तथा परिभाषा

चिन्तन का अर्थ तथा परिभाषा लिखिए।

एक शिक्षक के लिए चिन्तन अनिवार्य है। साधारण व्यक्ति के लिए भी चिन्तन आवश्यक है। समाज में सम्माननीय जीवन व्यतीत करने के लिए चिन्तन करना पड़ता है। जब व्यक्ति के समक्ष कोई समस्या आती है तो उसे चिन्तन करना पड़ता है। वह यह सोचता है कि समस्या का समाधान किस प्रकार किया जाए। जब व्यक्ति इस प्रकार से सोचता है तब उसे चिन्तन कहते हैं।

चिन्तन का अर्थ

चिन्तन एक ज्ञानात्मक प्रक्रिया है। इसका आधार प्रत्यक्षीकरण और स्मृति होता है। जब व्यक्ति के समक्ष कोई समस्या आती है तो उसके मस्तिष्क में अनेक प्रकार के समाधान उत्पन्न होते हैं। व्यक्ति समस्या के हल के विषय में लगातार सोचता है। इस प्रकार से ही वह निष्कर्ष पर पहुँचता है। चिन्तन से व्यक्ति के निरीक्षण के क्षेत्र में वृद्धि होती है। चिन्तन का उद्देश्य किसी समस्या का हल निकालना अथवा किसी बाधा का निराकरण करना होता है। चिन्तन को एक सप्रोजन मानसिक क्रिया कह सकते हैं। यह प्रक्रिया किसी समस्या के उपस्थित हो जाने के कारण प्रारम्भ होती है और उसके अन्त तक चलती रहती है।

चिन्तन की परिभाषा

चिन्तन की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

( 1 ) गिलफोर्ड- “चिन्तन प्रतीकात्मक व्यवहार है। यह सभी प्रकार के प्रतिस्थापन से सम्बन्धित है। “

( 2 ) कॉलसनिक- “चिन्तन प्रत्ययों को फिर से संगठित करता है।”

( 3 ) रॉस-“चिन्तन मानसिक क्रिया का ज्ञानात्मक पहलू है अथवा मस्तिष्क की बातों से सम्बन्धित एक मानसिक क्रिया है।”

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