विस्मृति (विस्मरण) का अर्थ
स्मृति और विस्मृति दोनों का जीवन में बहुत महत्व है। पूर्ण विस्मृति या भूल जाना असंभव है। अगर विस्मृति न होती तो जीवन दुखों से भरा होता। साथ ही यह भी आवश्यक है कि मनुष्य जल्दी-जल्दी कोई बात न भूले, नहीं तो उसे जिंदगी में कार्य करना कठिन हो जाएगा, इसलिए विस्मृति भी उचित मात्रा में होनी चाहिए।
जब हम कोई नई बात सीखते हैं या नया अनुभव प्राप्त करते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसका चित्र अंकित हो जाता है। हम अपनी स्मृति की सहायता से उस अनुभव को अपनी चेतना में फिर लाकर उसका स्मरण कर सकते हैं। पर कभी-कभी हम ऐसा करने में सफल नहीं होते हैं। हमारी यही असफल क्रिया “विस्मृति” कहलाती है। दूसरे शब्दों में – ” भूतकाल के किसी अनुभव को वर्तमान चेतना में लाने की असफलता को विस्मृति’ कहते हैं।”
एविगनहास ने विस्मृति पर कई प्रयोग किए और यह परिणाम निकाला-
20 मिनट के पश्चात् 72% याद रहता है।
1 घंटे के पश्चात् 44% याद रहता है।
6 दिन के पश्चात् 36% याद रहता है।
1 महीने के पश्चात् 21% याद रहता है।
विस्मृति की परिभाषाएँ
विस्मृति के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिये विद्वानों ने कुछ परिभाषाएँ दी हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार है –
1. फ्रायड – “विस्मरण वह प्रवृत्ति है जिसके द्वारा दुःखद अनुभवों की स्मृति से अलग कर दिया जाता है।”
2. मन “सीखी हुई बात को स्मरण रखने या पुनः स्मरण करने की असफलता को विस्मृति कहते हैं।”
3. ड्रेवर – “विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी कार्य को करने में असफलता।”
विस्मृति के प्रकार
विस्मृति दो प्रकार की होती है, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
1. सक्रिय विस्मृति- इस विस्मृति का कारण व्यक्ति है। वह स्वयं किसी बात को भूलने का प्रयत्न करके उसे भुला देता है। फ्रायड का कथन है- “हम विस्मृति की क्रिया द्वारा अपने दुःखद अनुभव को स्मृति से निकाल देते हैं।”
2. निष्क्रिय विस्मृति- इस विस्मृति का कारण व्यक्ति नहीं है। वह प्रयास न करने पर भी किसी बात को स्वयं भूल जाता है।
विस्मृति के कारण
विस्मृति या ‘विस्मरण’ के कारणों को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं –
(क) सैद्धान्तिक कारण- बाधा, दमन और अनभ्यास के सिद्धान्त।
(ख) सामान्य कारण- समय का प्रभाव, रूचि का अभाव, विषय की मात्रा इत्यादि। उपर्युक्त कारणों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
1. बाधा का सिद्धान्त- इस सिद्धान्त के अनुसार, यदि हम एक पाठ को याद करने के – बाद दूसरा पाठ याद करने लगते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में पहले पाठ के स्मृति चिन्हों में बाधा पड़ती है। फलस्वरूप, वे निर्बल होते चले जाते हैं और हम पहले पाठ को भूल जाते हैं।
2. दमन का सिद्धान्त- इस सिद्धान्त के अनुसार, हम दुःखद और अपमानजनक घटनाओं को याद नहीं रखना चाहते हैं। अतः हम उनका दमन करते हैं। परिणामतः वे हमारे अचेतन मन में चली जाती हैं और हम उनको भूल जाते हैं।
3. अनभ्यास का सिद्धान्त – थार्नडाइक एवं एबिंगहॉस ने विस्मृति का कारण अभ्यास का अभाव बताया है। यदि हम सीखी हुई बात का बार-बार अभ्यास करते हैं, तो हम उसको भूल जाते हैं।
4. समय का प्रभाव- हैरिस के अनुसार- “सीखी हुई बात पर समय का प्रभाव पड़ता है। अधिक समय पहले सीखी हुई बात अधिक और कम समय पहले सीखी हुई बात कम भूलती है।”
5. रूचि, ध्यान व इच्छा का अभाव- जिस कार्य को हम जितनी कम रूचि, ध्यान और इच्छा से सीखते हैं, उतनी ही जल्दी हम उसको भूलते हैं। स्टाउट के अनुसार-“जिन बातों के प्रति हमारा ध्यान रहता है, उन्हें हम स्मरण रखते हैं।”
6. विषय की मात्रा – विस्मरण, विषय की मात्रा के कारण भी होता है। हम छोटे विषय को देर में और लम्बे विषय को जल्दी भूलते हैं।
7. सीखने मे कमी- हम कम सीखी हुई बात को शीघ्र और भली प्रकार सीखी हुई बात को विलम्ब से भूलते हैं।
8. मानसिक द्वन्द्व – मानसिक द्वन्द्व के कारण मस्तिष्क में किसी न किसी प्रकार की परेशानी उत्पन्न हो जाती है। यह परेशानी, विस्मृति का कारण बनती है।
9. मानसिक रोग- कुछ मानसिक रोग ऐसे हैं, जो स्मरण शक्ति को निर्बल बना देते हैं, जिसके फलस्वरूप विस्मरण की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार का एक मानसिक रोग दुःसाध्य उन्माद है।
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