संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय पर संक्षिप्त लेख लिखिये।
सचिवालय संयुक्त राष्ट्र संघ के छः प्रमुख अंगों में से एक है। अन्तर्राष्ट्रीय लोक सेवा ही इसकी अन्तर्राष्ट्रीय विशेषता है। संयुक्त राष्ट्र के अन्य प्रमुख अंग अपने-अपने कार्यकाल के अनुसार सदैव बदलते रहते हैं पर सचिवालय के साथ यह बात नहीं है। इसमें स्थायी सेवाओं के व्यक्ति काम करते हैं। फलतः यह एक स्थायी संस्था है जिसका काम निरन्तर चलत रहता है। इसकी महत्ता के विषय में मैक्सवेल कोहन ने ठीक ही लिखा है, “संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों की अपेक्षा कहीं अधिक महत्त्व वाला अंग सचिवालय ही है, जो महासभा एवं सुरक्षा परिषद् के नियतकालिक अधिवेशनों को वास्तविक, स्थायी एवं शाश्वत स्वरूप प्रदान करता है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में वह केन्द्र-बिन्दु है। इसके अभाव में सम्पूर्ण संयुक्त राष्ट्र सूचना व सहयोग के केन्द्रों से वंचित हो जायेगा।”
सचिवालय का संगठन
सचिवालय संयुक्त राष्ट्र का एक प्रशासनिक अंग है। सचिवालय में महासचिव तथा अन्य कर्मचारी होते हैं। महासचिव की नियुक्ति 5 वर्षों के लिए सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा होती है। उनको वार्षिक वेतन 20 हजार डालर है और यह राशि कर-मुक्त है। वह संघ का मुख्य प्रशासकीय अधिकारी होता है। महासभा द्वारा बनाये गये विनियमों के अनुसार महासचिव सचिवालय के कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्, न्यास परिषद् तथा आवश्यकतानुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य अंगों के लिए आवश्यक कर्मचारी नियुक्त होते हैं, वे सभी सचिवालय के ही भाग होते हैं। इनकी नियुक्ति तथा सेवा की शर्तें सर्वोपरि विचार, कार्यक्षमता, योग्यता एवं ईमानदारी के उच्चतम स्तरों पर की जाती हैं और उनकी नियुक्ति में यथासम्भव भौगोलिक आधार को पर्याप्त रूप से महत्त्व दिया जाता है। इस बात का उपबन्ध चार्टर में विशेष रूप से किया गया है कि न तो महासचिव और न ही कर्मचारी वर्ग किसी राज्य से अथवा संघ से बाहर किसी दूसरे अधिकारी के अनुदेश मांगेंगे और न प्राप्त करेंगे। नियुक्ति के पश्चात् अपने कार्यकाल में सचिवालय के सभी कर्मचारी विश्व नागरिक हो जाते हैं और वे केवल विश्व संस्था के प्रति ही निष्ठावान होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अन्तर्गत सचिवालय का अत्यधिक विस्तार हुआ है। जहाँ राष्ट्र संघ में सचिवालय के कर्मचारियों की अधिकतम संख्या 1,000 से कम ही रही वहां संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय में लगभग 8,700 कर्मचारी नियमित बजट के अन्तर्गत नियुक्ति पाकर न्यूयार्क मुख्यालय और संघ के अन्य केन्द्रों पर कार्यरत हैं।
सचिवालय संयुक्त राष्ट्र का एक वृहत् प्रशासनिक तंत्र है, जिसे आठ विभागों में संगठित किया गया है- 1. सुरक्षा परिषद् सम्बन्धी कार्यों का विभाग, 2. आर्थिक विभाग, 3. सामाजिक कार्यों का विभाग, 4. न्यास एवं स्वशासितेतर क्षेत्रों में सूचना विभाग, 5. सार्वजनिक सूचना विभाग, 6. सम्मेलन तथा सामान्य सेवा विभाग, 7. प्रशासनिक तथा वित्तीय सेवा विभाग, और 8. विधि विभाग।
प्रत्येक का एक अध्यक्ष एवं एक उप-महासचिव होता है। उप-महासचिव के नीचे एकाधिक उच्च पदस्थ निदेशक होता है। उप-महासचिव की नियुक्ति महासचिव द्वारा की जाती है। इनकी नियुक्तियों का आधार इनकी कार्यक्षमता, अर्हता एवं क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व होता है। इनकी नियुक्ति करते समय महासचिव को यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि यथासम्भव विश्व के विभिन्न क्षेत्रों का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
महासचिव
सचिवालय संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख संस्था है जिसके शीर्ष बिन्दु पर महासचिव का पद एवं उसका कार्यालय है। वह केवल सचिवालय का अध्यक्ष ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व संस्था के कार्यों का सूत्रधार कहा जा सकता है। उसे सचिवालय का मुख्य संचालक भी कह सकते हैं।
यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि राष्ट्र संघ के निर्माताओं ने महासचिव को बहुत अधिक अधिकार प्रदान नहीं किये थे। वे अपने विवेक का बहुत कम प्रयोग करने के लिए अधिकृत थे। राष्ट्र संघ में महासचिव को अधिकतर प्रशासकीय अधिकार ही उपलब्ध थे। द्वितीय महायुद्ध के अवसर पर जब नये अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के निर्माण की चर्चा होने लगी तब महासचिव को व्यापक अधिकार दिये जाने पर सक्रिय रूप से विचार किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्गत महासचिव की स्थिति तथा अधिकार राष्ट्र संघ के महासचिव से कहीं महत्त्वपूर्ण हैं। वह न केवल सामान्य प्रशासकीय कार्य करता है वरन् आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षा परिषद् के सामने किसी भी ऐसे मामले को ला सकता है जिसके कारण, उसकी राय में, अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के लिए भय उत्पन्न हो सकता हो। अपने इस अधिकार के आधार पर सं. रा. संघ का महासचिव अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योग देता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कार्य
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) सामान्य प्रशासन- चार्टर के अनुसार महासचिव संस्था का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है। इस हैसियत से महासचिव महासभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद् तथा न्यास परिषद् की सभी बैठकों में भाग लेता है तथा वह सभी कार्य सम्पादित करता है जो इन अंगों द्वारा उसे सौंपे जाते हैं। महासचिव संस्था के कार्य की वार्षिक रिपोर्ट महासभा को प्रेषित करता है। वास्तव प्रारम्भ होता है। महासभा का वार्षिक अधिवेशन महासचिव की रिपोर्ट पर बहस से
(ii) तकनीकी कार्य- महासचिव कतिपय तकनीकी कार्य भी सम्पादित करता है। चार्टर के अनुच्छेद 98 के अनुसार, महासचिव ऐसे अन्य कार्य भी करेगा जो उसे महासभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् तथा न्यास परिषद् द्वारा सौंपे जायेंगे। इन अंगों द्वारा सौंपे गये तकनीकी कार्यों को भी महासचिव सम्पादित करता है। तकनीकी कार्यों में लगभग सभी प्रकार के प्रश्नों पर अध्ययन, रिपोर्ट, सर्वेक्षण आदि शामिल हैं।
(iii) सचिवालय का प्रशासन- महासचिव सचिवालय का प्रमुख अधिकारी होता है। सचिवालय के प्रशासन का पूर्ण उत्तरदायित्व उस पर ही होता है। वह महासभा द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार सचिवालय के कर्मचारियों की नियुक्ति करता है।
(iv) वित्तीय कार्य – महासचिव के कार्यों के अन्तर्गत उसके वित्तीय उत्तरदायित्व भी हैं। सं. राष्ट्र के बजट का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है अथवा नहीं, इसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व महासचिव पर होता है, वह सं. राष्ट्र का बजट तैयार कराता है, जिसे सलाहकार समिति के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। विशेषोद्देश्यीय अभिकरणों तथा अन्य सम्बद्ध संस्थाओं के बजट पर भी उसकी नजर रहती है। वह संयुक्त राष्ट्र की सभी निधियों का अभिरक्षक है और उनके व्यय के लिए उत्तरदायी है।
(v) प्रतिनिध्यात्मक कार्य- सम्पूर्ण राष्ट्र संघ के लिए केवल एक ही महासचिव होता है, जो संघ के एक अभिकर्त्ता (एजेण्ट) या प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। विभिन्न अभिकरणों एवं सरकारों के साथ वार्ताओं में वह संघ का प्रतिनिधित्व करता है और संघ की ओर से करार करता है। lotes
(vi) राजनीतिक कार्य- संयुक्त राष्ट्र का महासचिव कुछ राजनीतिक कार्य भी करता है। चार्टर के 99वें अनुच्छेद में कहा गया है कि “महासचिव किसी ऐसे मामले की ओर सुरक्षा परिषद् का ध्यान दिला सकता है जिससे उसके विचार में अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के बने रहने में संकट उत्पन्न हो सकता हो ।” इस शक्ति तथा कुछ अन्य कारणों से महासचिव संयुक्त राष्ट्र का प्रधान राजनीतिक अभिकर्त्ता बन गया है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की राजनीतिक भूमिका का इतना अधिक विकास हुआ है कि न केवल संयुक्त राष्ट्र के अन्तर्गत यह पद राष्ट्र संघ में इस पद की अपेक्षा कहीं अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली सिद्ध हुआ है, वरन् मॉर्गेन्थाऊ ने तो यहाँ तक कह दिया कि “इस प्रकार महासचिव संयुक्त राष्ट्र का एक प्रकार का प्रधानमंत्री बन गया।”
महासचिव की यह राजनीतिक भूमिका तीन दिशाओं में विकसित हुई। प्रथम, उसे एक अन्तर्राष्ट्रीय वार्ताकार कहा जाने लगा है। दूसरे, वह अनेक अवसरों पर ऐसे प्रतिष्ठा-रक्षक सूत्रों के रचयिता के रूप में सामने आया है, जिन्हें विवाद के विभिन्न पक्षों ने सम्मानजनक रूप से स्वीकार करना सम्भव पाया है। तीसरे, उसे विश्व की आत्मा की आवाज का संरक्षक कहा गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की भूमिका
महासचिव का पद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। उसे केवल प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन ही नहीं करना पड़ता है अपितु राजनीतिक उत्तरदायित्वों को भी पूर करना पड़ता है। ‘उसका कार्य उतना ही विशाल है जितना वह उसे बना सकता है। उसको भूमिका उतनी ही व्यापक है जितने कि उसे वैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, जितनी उसमें योग्यता और क्षमता है। यदि प्रशासनिक कार्यों में उसकी भूमिका एक आरम्भक जैसी है तो राजनीतिक क्षेत्र में उसकी भूमिका मध्यस्थ, वार्ताकर्ता और मतैक्य निर्माता के समान है।
महासभा के अन्तिम सत्र में महासचिव द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्टों का बहुत महत्त्व होता है, जिसमें उसका व्यक्तित्व झलकता है। इसी रिपोर्ट के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति और घटनाचक्रों पर प्रकाश डाला जाता है और अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने के लिए सुझाव दिये जाते हैं। लियोनार्ड के शब्दों में, “महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट अमरीकन राष्ट्रपति के संदेशों के समान प्रभावशाली है। महासभा में प्रस्तुत किये जाने वाले प्रस्तावों को तैयार करने में भी महासचिव की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है।”
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