धर्म एवं सम्प्रदाय में अन्तर (Difference between Religion and Seet)
धर्म एवं सम्प्रदाय में अन्तर निम्नलिखित है-
धर्म
धर्म शब्द का जन्म “धृ” धातु से हुआ है जिसका अर्थ है- धारण करना, पालन करना, से आलम्बन देना। सम्पूर्ण संसार में जीवन को धारण करने वाला तत्व जिसमें सार कुछ संयमित सुव्यवस्थित एवं सुसंचालित रहे और जिसके बिना लोक स्थिति असम्भव हो, वह धर्म कहलाता है। ऋग्वेद में धर्म शब्द का प्रयोग संज्ञा अथवा विश्लेषण के रूप में हुआ है, जिसका अर्थ है प्राण तत्व का पालन-पोषण करने वाला सम्योजक एवं ऊँचा उठाने वाला उनायक है। अर्थवेद में धर्म शब्द का प्रयोग धार्मिक क्रिया संस्कार करने से अर्जित गुण के रूप में हुआ है। ब्राह्मण में धर्म का अर्थ है – धार्मिक कर्मों का सर्वाग स्वरूप।
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सम्प्रदाय
सामान्य अर्थो में सम्प्रदाय का तात्पर्य शाखा से लगाया जाता है। जिस प्रकार एक पेड़ की कई शाखाएँ होती हैं, उसी प्रकार प्रत्येक धर्म की भी अनेक शाखाएँ होती हैं, जोकि सम्प्रदाय कहलाती हैं। जैसे हिन्दू धर्म के सम्प्रदाय हैं शैव सम्प्रदाय व वैष्णव सम्प्रदाय आदि, के इस्लाम धर्म के प्रमुख दो सम्प्रदाय हैं शिया और सुनी तथा ईसाई धर्म के भी प्रमुख दो सम्प्रदाय हैं- रोमन कैथोलिक तथा प्रोटोस्टेन्ट ।
इन दोनों के अन्तर को निम्न प्रकार भी स्पष्ट किया गया है-
क्र.सं. |
धर्म |
सम्प्रदाय |
1. | धर्म संस्कृति पर आधारित है। | सम्प्रदाय को धर्म की शाखाओं के रूप में जाना जाता है। |
2. | धर्म शब्द का जन्म “धृ” धातु से हुआ है, जिसका अर्थ है धारण करना, पालन करना व आलम्बन देना। | सम्प्रदाय का जन्म धर्म से हुआ है। धर्म की शाखाओं को ही सम्प्रदाय कहा जाता है। |
3. | धर्म के अनुयायियों की संख्या अधिक होती है क्योंकि धर्म एक संगठित रूप है। | सम्प्रदाय के अनुयायियों की संख्या कम होती है क्योंकि यह शाखाओं के रूप में बंट जाता है। |
4. | धर्म संस्कृति पर आधारित है। | सम्प्रदाय धर्म पर आधारित है। |
5. | धर्म वह मानदण्ड है, जो विश्व को धारण करता है। | सम्प्रदाय धर्म द्वारा दिये गये निर्देशों को धारण करता है। |
6. | धर्म का क्षेत्र अपेक्षाकृत व्यापक है। | इसका क्षेत्र अपेक्षाकृत संकुचित है। |
7. | धर्म अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली है क्योंकि यह मूल है। | सम्प्रदाय धर्म की शाखा होने के कारण अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली है। |
8. | धर्म के सम्प्रदाय अनेक हो सकते हैं। | एक सम्प्रदाय का धर्म के रूप में कोई भाग नहीं हो सकता है। |
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