परिवार में आधुनिक परिवर्तन (Modern Changes in Family)
परिवार में होने वाले आधुनिक परिवर्तन निम्नलिखित हैं-
1. परिवार के कार्यों में परिवर्तन
पहले परिवार अपने कार्य स्वयं करता था किसी पर आश्रित नहीं था। आज अनेक कार्य संस्थाओं तथा समितियों द्वारा किये जाते हैं। आज परिवार अपना मुख्य कार्य सन्तान की उत्पत्ति भी नहीं करता है वह भी नर्सिंग होम या शिशु ग्रह द्वारा किये जाते हैं। माता-पिता पहले विभिन्न संस्कार तथा विवाह की आयु निश्चित करते थे आज न्यायालय में विवाह होने लगे हैं। अतः स्पष्ट है कि आधुनिक युग में परिवार के कार्यों में ज्यादातर परिवर्तन हुआ है।
2. पारिवारिक सत्ता में परिवर्तन
पहले परिवार की सत्ता बड़े लोगों के हाथ में होती थी, परिवार के सदस्य अपने पारिवारिक सत्ताधारी की सभी बातों को मानते थे। लेकिन आज की सत्ता अर्थाजन करने वाले व्यक्ति के हाथों में होती है। इस प्रकार आधुनिक युग में परिवार की सत्ता तथा परिवार की सत्ताधारी व्यक्ति में पूर्णरूपेण परिवर्तन हुआ है।
3. पारिवारिक स्थिरता में परिवर्तन
नगरीकरण औद्योगीकरण एवं व्यावसायीकरण – सुविधाओं के कारण परिवार की स्थिर प्रकृति में बदलाव हुआ है। आज का परिवार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर रहने लगता है। अतः परिवार पूरी तरह से गतिशील हो गये हैं। संविधान द्वारा विवाह विच्छेद को मान्यता मिलने के कारण जब भी पति-पत्नी में तनाव होता है तो तुरन्त सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है इससे परिवार स्थिर नहीं रह गया है।
4. पारिवारिक सम्बन्धों में परिवर्तन
आज पारिवारिक सम्बन्धों में पहले की अपेक्षा अधिक आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। पति-पत्नी के मध्य सम्बन्धों में प्रेम की कमी हुई है। पहले स्त्रियाँ पति को परमेश्वर मानती थी तथा उसको सेविका और गृहिणी, लेकिन ये मान्यता अब मिथ्या हो गयी हैं आज पति यदि पत्नी को यातना देता है तो पत्नी शीघ्र ही तालाक देने को तत्पर हो जाती है। परिवार में पहले परिवार के सदस्यों के मध्य प्रेम, स्नेह आदि पाया जाता था लेकिन आज समाप्त हो गया है तथा भाई-भाई के मध्य सम्बन्धों में कटुता आ गई है।
5. परिवार के आकार एवं प्रकार में परिवर्तन
औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के परिणामस्वरूप परिवार के आकार में परिवर्तन होता जा रहा है। परिवार के अधिकांश सदस्य नौकरी हेतु नगरों में आते हैं तथा यहीं पर अपने बच्चों के साथ रहने भी लगते हैं जिससे परिवार का आकार छोटा होता रहता है। आज एक नवीन परिवार का प्रारम्भ विवाह के बाद हो जाता है। लोग संयुक्त परिवार में रहना पसन्द नहीं करते हैं तथा ऐशो-आराम का जीवन यापन करना अधिक पसन्द करते हैं। लोग यह धारणा बनाये हैं “कम सन्तान सुखी परिवार” इस सम्बन्ध में प्रो होडार्ड ने कहा है कि –
“आज के माता-पिता एक बेबी की अपेक्षा एक बेबी आस्टिन को लेना अधिक पसन्द करते हैं क्योंकि बेबी आस्टिन अर्थात् कार आरामदायक होती है, जबकि बेबी अर्थात् बच्चा अनेक उत्तरदायित्वों को बढ़ा देता है।”
6. पारिवारिक स्नेह, प्रीति एवं सद्भावना में परिवर्तन
परिवार में पहले जो प्रेम, सद्भावना, स्नेह पाया जाता था, आज वह समाप्त होता जा रहा है। आज लोग न रिश्तेदारों को महत्व देते हैं, न पड़ोसियों को और न ही उक्त सम्बन्धियों को पहले एक कहावत प्रचलित थीं कि “सो गोती न एक पड़ोसी” अर्थात् 100 रक्त सम्बन्धियों के बराबर एक पड़ोसी का सम्मान किया जाता था परंतु आज पड़ोसियों में घृणा, कटुता, ईर्ष्या की भावना अधिक पायी जाती है। आज की पारिवारिक स्थिति यह है कि खून का रिश्ता तथा नाता भी पानी का बनता जा रहा है। अतः स्पष्ट है कि आधुनिक परिवारों में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं तथा एकांकी परिवारों की प्रवृत्ति पूर्णरूप से परिवर्तित हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप परिवार की बनावट तथा उसके कार्यों में भी परिवर्तन हुआ है।
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