समाजशास्‍त्र / Sociology

परिवार की विशेषताएँ | Characteristics of Family in Hindi

परिवार की विशेषताएँ
परिवार की विशेषताएँ

परिवार की विशेषताएँ (Characteristics of Family)

परिवार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

1. सदस्यों का उत्तरदायित्व (Responsibility of the Members)

प्रत्येक परिवार में प्रत्येक सदस्य की परिवार के प्रति कुछ न कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं। इस जिम्मेदारी को परिवार के सभी सदस्य पूर्ण करते हैं और अपनी अवस्था के अनुसार परिवार में अपनी सलाह देते रहते हैं, जिससे परिवार में एकता बनी रहती है। पारिवारिक रिश्ते परिवार के सभी सदस्यों को अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। इसके कारण परिवार की बनावट और क्रियात्मकता में समानता बनी रहती है।

2. भावनात्मक आधार (Emotional Basis)

परिवार का निर्माण भावनात्मक आधारों से हुआ है इसलिए परिवार भावनात्मक सम्बन्धों पर आश्रित होता है। वात्सल्य, सहयोग, त्याग, पति-पत्नी के मध्य माधुर्यपूर्ण सम्बन्ध एवं सन्तान को उत्पन्न करने की भावनाएँ परिवार के आवश्यक तत्व हैं। इन्ही भावनाओं के कारण ही परिवार के सदस्यों के मध्य विश्वसनीय सम्बन्ध पाये जाते हैं। इन भावनाओं के कारण ही परिवार के सदस्य आजीवन पारिवारिक सम्बन्धों में बंधे रहते हैं।

3. सीमित आकार ( Limited Size)

परिवार की सदस्यता रक्त सम्बन्धों पर आधारित होने के कारण परिवार का आकार सीमित होता है। अधिकतर परिवारों में माता-पिता, काल्पनिक रक्त सम्बन्धी तथा माता-पिता की सन्तान ही होते हैं। अधिकांश रूप में एक परिवार में तीन पीढ़ी तक सदस्य पाये जाते हैं जो संख्या में 50 से 60 तक हो सकते हैं।

4. सामाजिक नियम (Social Regulation)

सामाजिक नियमों का पालन-पोषण परिवार में होता है तथा ये नियम सदस्यों के तौर-तरीकों को परम्पराओं, धर्म तथा सामाजिक प्रथाओं द्वारा नियंत्रित करते हैं।

5. रचनात्मक प्रभाव (Formative Influence)

परिवार बच्चों के लिए प्रारम्भिक पाठशाला तथा सभी व्यक्तियों के लिए सामाजिक पर्यावरण होता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का चरित्र निर्माण में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। परिवार में ही बालक प्रेम, त्याग, स्नेह, अनुशासन, भाईचारा तथा कर्त्तव्यपालन आदि आदर्शों को सीखता है। अतः स्पष्ट है कि रचनात्मक प्रभाव अधिकतर परिवार में ही होता है।

6. स्थायी प्रकृति

परिवार समाज की महत्वपूर्ण संस्था होने के कारण सदैव बनी रहती है। व्योवृद्धों के स्वर्गवासी होने से तथा नये सदस्यों के जन्म से परिवार में जन्म-मरण का चक्र चलता रहता है जिससे परिवार में सदस्यों की निरन्तरता बनी रहती है।

  1. नातेदारी का अर्थ एवं परिभाषा | नातेदारी के प्रकार | नातेदारी की श्रेणियाँ
  2. परिवार में आधुनिक परिवर्तन | Modern Changes in Family in Hindi
  3. परिवार की उत्पत्ति का उद्विकासीय सिद्धान्त
  4. परिवार का अर्थ एवं परिभाषा | परिवार के प्रकार | परिवार के कार्य

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment