भारतीय जनजातियों की सामाजिक प्रगति में सामाजिक और सांस्कृतिक बाधायें
विभिन्न मानवशास्त्रियों ने भारतीय जनजातियों की समस्याओं के अध्ययन में पर्याप्त रुचि ली है और वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि जनजातियों की समस्याएँ सीधी, स्पष्ट व सरल नहीं हैं वरन् पर्याप्त जटिल व विस्तृत हैं। इन लोगों की समस्यायें रहन-सहन, आचार-विचार, धर्म-कर्म, कला, भाषा, साहित्य आदि विभिन्न पक्षों से सम्बन्धित हैं। बाहरी संस्कृति के प्रभाव से ये तो अपनी संस्कृति के अमूल्य तत्वों को खोते जा रहे हैं, जीवन के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं, आर्थिक सामाजिक क्षेत्र में अनेक प्रकार के शोषण व अन्धविश्वासों का शिकार होते जा रहे हैं, मजदूरी के लिये अथवा पेट के लिए ठेकदारों व महाजनों के चंगुल में फँसते जा रहे हैं पर्याप्त आय न के कारण ऋणग्रस्त तो हैं ही। साथ ही पर्याप्त व पौष्टिक भोजन के आभाव में अनेक प्रकार के रोगों का शिकार बनते जा रहे हैं और विभिन्न औद्योगिक केन्द्रों में सस्ते प्रलोभनों जैसे- शराब, वेश्यावृत्ति आदि का शिकार बन रहे हैं। इस प्रकार जनजातियों की समस्यायें बहुमुखी व पर्यात जटिल हैं-
भारतीय जनजातियों की सामाजिक प्रगति में आने वाली सामाजिक बाधाएँ
सभ्य समाज के सम्पर्क में आकर जनजातियों में जो समस्याएँ/बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं उनमें से मुख्य सामाजिक समस्याएँ निम्नलिखित हैं
(1) कन्या मूल्य – हिन्दुओं के प्रभाव से जनजातियों में कन्या मूल्य रुपये के रूप में मांगा जाने लगा और दिन-प्रतिदिन यह मूल्य इतना अधिक बढ़ता जा रहा है कि सर्वसाधारण मनुष्यों के लिये विवाह करना कठिन हो गया है। इस कारण कन्या हरण की समयायें बढ़ रही हैं।
(2) बाल विवाह- बाल विवाह की समस्या जनजातियों से हिन्दुओं के सम्पर्क में आने के कारण पैदा हुई। इस समस्या के भयंकर परिणाम आ रहे है।
(3) नैतिकता का पतन- जनजातियों में विवाह पूर्व के और परिवार के बाहर यौन सम्बन्ध बढ़ते जा रहे हैं जिससे विवाह विच्छेदों की संख्या बढ़ रही है। नैतिकता के पुराने मूल्य सांस्कृतिक सम्पर्क की प्रक्रिया से टूट रहे हैं।
(4) वेश्यावृत्ति – जनजातियों की गरीबी से लाभ उठाकर विदेशी व्यापारी, ठेकेदारी, एजेन्ट आदि रूपयों का लोभ दिखाकर उनकी स्त्रियों के साथ अनुचित यौन सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं जिससे वेश्यावृत्ति, गुप्तरोग आदि सामाजिक समस्यायें बढ़ती जा रही हैं। औद्योगिक केन्द्रों में कार्य करने वाले जनजातीय श्रमिक वेश्यागमन आदि में फंस जाते हैं और गुप्तरोग के शिकार बन जाते हैं। अपने गांव में लौटकर वे उन रोगों को अपनी स्त्रियों में भी फैला देते हैं।
भारतीय जनजातियों की सामाजिक प्रगति में आने वाली सांस्कृतिक बाधाएँ
बाहरी संस्कृतियों के सम्पर्क से जनजातियों के जीवन में अनेक गम्भीर सांस्कृतिक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं जिससे उनकी सभ्यता के सामने एक महान संकट उपस्थित हो गया है। मुख्य सांस्कृतिक बाधाएँ/समस्याएँ अग्रलिखित हैं-
(1) युवा-गृहों का निर्बल होना- ईसाई तथा हिन्दु लोगों के सम्पर्क से जनजातियों की अपनी संस्थाएँ नष्ट होती जा रही हैं। युवागृह जो कि जनजातीय सामाजिक जीवन के प्राण थे, धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं।
(2) जनजातीय ललित कलाओं का ह्रास- बाहरी संस्कृतियों के प्रभाव से जनजातीय ललित कलाओं का ह्रास होता जा रहा है। नागाओं में युवा-गृह के लकड़ी के खम्भों पर बहुत सुन्दर काम किया जाता है किन्तु युवागृहों के नष्ट होने से यह कला भी अपने आप में नष्ट होती जा रही है। नृत्य, संगीत, ललित कलायें, लकड़ी पर नक्काशी, आदि का काम दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है। बाह्य संस्कृतियों के सम्पर्क से जनजातियों के मन में इन ललित कलाओं के प्रति उदासीनता और अनादर बढ़ता जा रहा है।
(3) धार्मिक समस्यायें / बाधाएँ – जनजातियों पर हिन्दू और ईसाई धर्म का स्पष्ट प्रभाव पड़ा है। राजस्थान के भील लोगों में हिन्दू धर्म के प्रभाव के कारण एक धार्मिक आन्दोलन ‘भगत आन्दोलन’ चला, जिसने भीलों को भगत और अभगत दो वर्गों में विभाजित कर दिया। बिहार और आसाम की जनजातियाँ ईसाई धर्म से प्रभावित हैं। ईसाई धर्म के कारण एक ही समूह में नहीं वरन् एक ही परिवार में धार्मिक भेदभाव दिखाई पड़ने लगे हैं। जिससे सामुदायिक एकता और संगठन टूटने लगा है और पारिवारिक तनाव, भेदभाव, लडाई-झगड़े बढ़ते जा रहे है। जनजाति के लोग धर्म को अपनी अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के साधन के रूप में प्रयोग करते थे। नये धर्मों से नये विश्वास और संस्कार तो उन लोगों को मिल गये, परन्तु उनकी समस्याओं को सुलझाने के नये साधन न मिल सके। इससे जनजातियों में असन्तोष पैदा होना स्वाभाविक है।
-
आदिम कानून की परिभाषा | जनजातीय समाज में आदिम कानून का महत्व
-
भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं | Major Problems of Indian Tribes in Hindi
- जनजाति का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएँ (Tribes in Hindi)
- भारत की जनजातियों का वर्गीकरण | Classification of Indian Tribes in Hindi
- भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं | Major Problems of Indian Tribes in Hindi
Important Links
- थारू जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज
- गद्दी जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज Gaddi Tribe in hindi
- सेमांग जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक संगठन की प्रकृति
- बुशमैन जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज Bushman Janjati in hindi
- एस्किमो जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज eskimo janjati in hindi
- खिरगीज जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज kirghiz tribes in hindi
- पिग्मी जनजाति निवास स्थान Pigmi Janjaati in Hindi