भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं बताइये।
भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं- भारत में लगभग 550 जनजातियाँ हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी कुल जनसंख्या करीब 10.43 करोड है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% है। ये जनजातियाँ दुर्गम व दूरस्थ स्थानों पर निवास करती है जिस वजह से मुख्यधारा से कट जाती हैं। इनकी प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(1) दुर्गम निवास- यह एक प्रमुख समस्या है। जनजातियाँ दुर्गम एवं दूरस्थ स्थान में निवास करती हैं। जिससे आवागमन में असुविधा होती है और संचार साधनों का अभाव होने से ये मुख्यधारा से कट जाती हैं।
(2) अशिक्षा – अशिक्षा जनजाति समूह के विकास में एक प्रमुख बाधा है। शिक्षकों एवं सुविधाओं की कमी आदि ऐसे कारक हैं जो जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा के विस्तार को बाधित करते है।
(3) प्राकृतिक संसाधनों पर नियन्त्रण की समाप्ति – जनजाति समूहों का हमेशा से प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण नियन्त्रण रहा है। परन्तु ब्रिटिश शासन आने के बाद राजकीय नियन्त्रण लागू हो गया। परिणामस्वरूप परम्परागत प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियन्त्रण समाप्त हो गया।
(4) बेरोजगारी – प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियन्त्रण न होने तथ कम शिक्षित होने के कारण नई (आधुनिक) व्यवस्था में इनके लिए रोजगार के साधन भी सीमित हैं।
(5) विस्थापन एवं पुनर्वास- जनजातीय क्षेत्रों में खनिज खदाने, बिजली परियोजना, बड़े बाँध तथा विशाल औद्योगिक संयंत्र स्थापित करने हेतु व्यापक भूमि अधिग्रहण हुए हैं। जिस वजह से विस्थापन की समस्या ने जन्म लिया है। विस्थापन की समस्या से “सांस्कृतिक सम्पर्क” की समस्या ने जन्म लिया। विस्थापन, उपरान्त अपने क्षेत्र से बाहर निवास करने से इन्हें मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
(6) निर्धनता- अशिक्षा, बेरोजगारी तथा अपनी आजीविका के साधनों से वंचित होने की वजह से जनजातियाँ गरीबी, भुखमरी की समस्या का सामना करती हैं और भारी ब्याज लेने पर मजबूर होती हैं।
(7) पहचान का भय- अनुसूचित जनजातियों की परम्परागत संस्थानों एवं कानूनों का आधुनिक संस्थानों एवं कानूनी व्यवस्था के साथ टकराव होने से जनजातीय पहचान के क्षय की आशंकाओं का जन्म हुआ।
(8) स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएँ एवं कुपोषण- जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएँ व्याप्त हैं। जिनका प्रमुख कारण अशिक्षा, निर्धनता एवं असुरक्षित आजीविका का साधन है। इन क्षेत्रों में पीलिया, हैजा, मलेरिया जैसी बीमारियाँ व्याप्त हैं। इन क्षेत्रों में कुपोषण से जुड़ी हुई समस्याएँ जैसे- लौह तत्व की कमी, रक्ताल्पता तथा उच्च शिशु मृत्यु दर बड़ी समस्याएँ है।
(9) मदिरापान तथा शोषण- जनजातीय समूहों में मदिरापान, परम्परा का हिस्सा है। – जनजातीय क्षेत्रों के संसाधनों पर राजकीय नियन्त्रण होने के बाद बाहरी लोगों का इनके क्षेत्रों में प्रवेश हुआ। इन बाहरी अधिकारी, कर्मचारी एवं भूस्वामियों ने जनजातियों का शोषण किया। इन समस्याओं के अलावा अनुसूचित जनजातियों में एकीकरण की समस्या तथा राजनीतिक चेतना का भी अभाव पाया जाता रहा है। इनमें परसंस्कृति ग्रहण की वजह से भी समस्याएँ उत्पन्न हुईं, जो इस प्रकार हैं-
(1) जनजाति कला का ह्रास
(2) जनजाति संस्कृति के प्रति तिरस्कार
(3) जनजाति भाषा का ह्रास
(4) समायोजन की समस्या ।
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