समाजशास्‍त्र / Sociology

जनजातीय कल्याण हेतु संवैधानिक कार्यक्रम (Constitutional Provisions for Tribal Welfare)

जनजातीय कल्याण हेतु संवैधानिक कार्यक्रम
जनजातीय कल्याण हेतु संवैधानिक कार्यक्रम

जनजातीय कल्याण हेतु संवैधानिक कार्यक्रम (Constitutional Provisions for Tribal Welfare)

संवैधानिक कार्यक्रम का तात्पर्य यही है कि भारतीय संविधान में जनजातीय कल्याण हेतु कौन-कौन से प्रावधान रखे गए हैं, संक्षेप में जनजातीय कल्याण हेतु संवैधानिक कार्यक्रमों की व्याख्या आगे की जा रही है –

संवैधानिक कार्यक्रम (Constitutional Provisions)- भारतीय संविधान में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सरकार कमजोर वर्ग के सदस्यों विशेषकर अनुसूचित जाति-जनजातियों के लिए शैक्षणिक तथा आर्थिक क्षेत्रों को बढ़ावा देगी तथा उनको अन्याय, अत्याचार एवं शोषण से सुरक्षा प्रदान करेगी” इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि सरकार चाहे किसी भी राजनीतिक दल की हो वह जनजातीय कल्याण के लिए संविधानिक प्रवाधानों का संचालन करने के लिए बाध्य है। इन प्रावधानों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है – संविधान के अनुच्छेद 15 (1) के अन्तर्गत किसी भी नागरिक में धर्म जाति, वंश, जन्मस्थान एवं निवास स्थान के आधार पर भेदभाव किया जा सकता है परन्तु सार्वजनिक स्थानों के उपयोग करने से किसी को रोका नहीं जा सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 17 के अन्तर्गत छुआछूत व अस्पृश्यता को निषिद्ध घोषित कर दिया गया तथा इसका उन्मूलन कर दिया गया।

संविधान के अनुच्छेद 19 के अन्तर्गत अछूत जातियों की व्यावसायिक निर्योग्यताओं को समाप्त कर दिया गया तथा इन्हें किसी भी व्यवसाय को गृहण करने की स्वतन्त्रता प्रदान नहीं की गई। संविधान के अनुच्छेद 25 के अन्तर्गत सभी हिन्दुओं के लिए धार्मिक स्थलों में जाने की स्वतन्त्रता प्रदान की जानी चाहिए। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि बिना किसी पक्षपात के सभी जाति के सदस्य सार्वजनिक धार्मिक स्थलों में बिना रोक-टोक के आ-जा सकते हैं।

संविधान के अनुच्छेद 29 के अन्तर्गत कोई भी शिक्षण संस्था जोकि राज्य द्वारा पूर्ण या आंशिक सहायता प्राप्त हो ऐसी संस्था किसी भी व्यक्ति को जाति, वंश, भाषा या धर्म के आधार पर प्रवेश से नहीं रोकेगी। संविधान के अनुच्छेद 19 (5) के अन्तर्गत किसी भी अनुसूचित जनजाति के हित में स्वतन्त्रतापूर्वक आने-जाने, बसने, सम्पत्ति अर्जित करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। संविधान के अनुच्छेद 46 के अन्तर्गत राज्य सरकारों को यह आदेश दिये गये कि वह

कमजोर वर्गों की रक्षा करे तथा इनका शोषण न हो । संविधान के अनुच्छेद 33°, 332 एवं 334 में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि संविधान लागू होने के 20 वर्षों तक लोकसभा, विधानसभाओं, ग्राम पंचायतों तथा स्थानीय निकायों में अनुसूचित जाति तथा जनजातियों के सदस्यों के लिए स्थान सुरक्षित रहेंगे।

संविधान के अनुच्छेद 335 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें शासकीय सेवाओं व पदों की भर्ती करने में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति सदस्यों के हितों के ध्यान में रखेगी।

संविधान के अनुच्छेद 338 के अन्तर्गत राष्ट्रपति द्वारा केन्द्र में एक विशेषाधिकारी की नियुक्ति की जाएगी तथा इन पिछड़ी जातियों के कल्याण तथा हितों के रक्षार्थ हेतु राज्य सलाहकार परिषदों तथा विभागों की स्थापना करेगा।

  1. जनजाति का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएँ (Tribes in Hindi)
  2. भारत की जनजातियों का वर्गीकरण | Classification of Indian Tribes in Hindi
  3. भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं | Major Problems of Indian Tribes in Hindi

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