समाजशास्‍त्र / Sociology

संस्कृति का अर्थ- भौतिक संस्कृति एवं अभौतिक संस्कृति

संस्कृति का अर्थ
संस्कृति का अर्थ

संस्कृति का अर्थ

शाब्दिक अर्थ

संस्कृति का अंग्रेजी पर्याय Culture लैटिन भाषा के Cultura से निर्मित है। जर्मन भाषा में इसके लिये kultur शब्द है। इनका शाब्दिक अर्थ परिष्कार (refine or cultivate) करना है। इसी प्रकार संस्कृत भाषा में संस्कृति शब्द की व्युत्पत्ति पर विचार करने से यह ज्ञात होता है कि संस्कृति शब्द सम उपसर्ग तथा ‘कृ’ धातु से मिलकर बना है, जिसका अर्थ संस्कार करना, शोधन करना या दोषों से मुक्त करना है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि संस्कृति की यह शाब्दिक व्याख्या सीमित व संकुचित है। अब संस्कृति का प्रयोग व्यापक और विस्तृत अर्थ में होता है। है

पारिभाषिक अर्थ

मानवशास्त्र में संस्कृति पर विस्तार से विचार हुआ है तथा इस अवधारणा की व्याख्या व्यापक अर्थ में की गई है। टायलर ने संवेदनात्मक दृष्टि से संस्कृति की व्याख्या करते हुए लिखा हैं-“संस्कृति यह जटिल पूर्णता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून तथा सभी प्रकार की क्षमतायें व आदतें सम्मिलित हैं, जिन्हें समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त किया जाता है।”

रेडफील्ड आदि अनेक मानवशास्त्रियों ने लाक्षणिक दृष्टि से संस्कृति का अर्थ स्पष्ट किया है। इनकी दृष्टि से संस्कृति का जन्म लक्षण (symbol) प्रयोग करने वाले मनुष्यों से हुआ है। इसके अनुसार, “संस्कृति परम्परागत अर्थों का योग है, जो कलाकृतियों, सामाजिक संरचना और प्रतीकों में मिलता है।”

भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति (Material and Non-Material Culture)

अमरीकन समाजशास्त्रीय ऑगबर्न ने संस्कृति को भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति को दो भागों में विभक्त किया है, जिसे अन्य वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है।

भौतिक संस्कृति Material Culture)

इसके अन्तर्गत मानव द्वारा निर्मित सभी भौतिक एवं मूर्त वस्तुओं को शामिल किया जाता है। इन वस्तुओं को हम देख सकते हैं, स्पर्श कर सकते हैं एवं आभास कर सकते हैं, जैसे- पेन, रेडियो, मेज, साइकिल एवं स्कूटर आदि। इसके सभी तत्वों को गिनना आसान नहीं है अर्थात् कठिन है पुरानी पीढ़ी की तुलना में नयी पीढ़ी के पास अधिक भौतिक संस्कृति है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) भौतिक संस्कृति मूर्त होती है। अतः इसकी माप सम्भव है।

(ii) इसकी उपयोगिता एवं लाभ का मूल्यांकन करना आसान है।

(iii) भौतिक संस्कृति संचयी है अतः इसके अंगों में निरन्तर वृद्धि होती जाती है।

(iv) इसमें शीघ्र परिवर्तन होते हैं।

(v) एक स्थान से दूसरे स्थान में संस्कृति का प्रचार होने पर भौतिक संस्कृति में बिना परिवर्तन हुए ही ग्रहण किया जा सकता है।

अभौतिक संस्कृति (Non-Material Culture)

इसके अन्तर्गत सभी अमूर्त सामाजिक तथ्यों को शामिल किया जाता है, जिनका कोई आकार, रंग व रूप नहीं होता है। अतः इन्हें न तो देखा जा सकता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है, इन्हें केवल महसूस किया जा सकता है जैसे विश्वास व्यवहार, प्रथा, रीति-रिवाज, कानून, भाषा,- नैतिकता एवं विरासत में प्राप्त विचार आदि। अभौतिक संस्कृति समाजीकरण एवं सीखने की प्रक्रिया द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होती है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) अभौतिक संस्कृति अमूर्त होती है। अतः इसकी माप असम्भव है।

(ii) इसकी उपयोगिता एवं लाभ का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।

(iii) यह जटिल होती हैं।

(iv) इसका सम्बन्ध मानव की आध्यात्मिक एवं आन्तरिक जीवन से है।

(v) इसके परिवर्तन बहुत धीमी गति से एवं कम होते हैं।

(vi) सांस्कृतिक प्रसार के दौरान इसके तत्वों को उसी रूप में ग्रहण नहीं किया जा सकता है।

  1. अल्फ्रेड रेडक्लिफ- ब्राउन के प्रकार्यवाद की आलोचना
  2. पारसन्स के प्रकार्यवाद | Functionalism Parsons in Hindi
  3. मैलीनॉस्की के प्रकार्यवाद | Malinaski’s functionalism in Hindi

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment