गैट का अर्थ | GATT Full Form in Hindi
गैट (GATT) का अर्थ- 30 अक्टूबर 1947 को जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में 23 देशों द्वारा सीमा शुल्क से सम्बन्धित एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये जिसे प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता (GATT का अंग्रेजी में फुल फॉर्म General Agreement on Tariffs and Trade होती है और इसे हिंदी में टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता कहते हैं।) के नाम से जाना गया। यह समझौता (GATT) 1 जनवरी, 1948 से लागू हुआ। इसका मुख्यालय जेनेवा में हैं।
1 जनवरी, 1995 को इसका स्थान विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने ले लिया और 12 दिसम्बर 1995 को इसका अस्तित्व समाप्त कर दिया गया।
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गैट के उद्देश्य (Objectives)
(1) व्यापारिक क्षेत्र से पक्षपात हटाकर सभी देशों को बाजार की प्राप्ति के लिए समान अवसर प्रदान करना।
(2) वास्तविक आय वृद्धि तथा वस्तुओं के लिए प्रभावी माँग को बढ़ाना।
(3) विश्व संसाधनों का विकास करना और उनका पूर्ण विदोहन सुनिश्चित करना।
(4) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का विस्तार करना।
(5) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धी समस्याओं को पारस्परिक सहयोग एवं परामर्श द्वारा सुविधापूर्वक सुलझाना।
गैट के प्रावधान (Provisions )
(1) टैरिफ रियायतों की सारणियाँ-अनुबन्ध करने वाले देश करार के अनुच्छेद 11वें में उल्लिखित रियायतों की सारणियों में निर्धारित वार्ताकृत दरों से अधिक आयात सीमा शुल्क न लेने के लिए प्रतिबन्धित होते हैं। वार्ताकृत निर्धारित टैरिफ दरों को परममित्र राष्ट्र के सिद्धान्त के जरिए सभी अनुबन्ध रखने वाले देशों में सामान्यीकृत किया जाता है।
(2) आयात सुरक्षा संहिता गैट का 19वां अनुच्छेद आयात सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत एक देश आयातों को रोकने हेतु टैरिफ या कोटा लगा सकता है जो आयात घरेलू उत्पादकर्ताओं को गम्भीर क्षति पहुँचाते या पहुँचाने की आशंका रखते हैं।
(3) परम मित्र राष्ट्र धारा- भेदभाव न होने देने को सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 1 सभी आयात और निर्यात शुल्कों की बिना शर्त परम मित्र राष्ट्र धारा से सम्बन्धित हैं। इस प्रकार, परम मित्र राष्ट्र का नियम एक देश द्वारा दूसरे देश के लिए दी गई टैरिफ अधिमान व्यापार सम्बन्ध रखने वाले अन्य सभी देशों पर लागू होते हैं।
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(4) मात्रात्मक प्रतिबन्धों का सामान्य उन्मूलन-करार का 11वां अनुच्छेद व्यापार के मात्रात्मक व्यापार प्रतिबन्धों पर रोक लगाता है। गैट विभिन्न देशों को उनके आयात शुल्कों पर न्यूनतम सम्भव स्तर पर अधिकतम सीमा निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
(5) सब्सिडियों और प्रतिकारी शुल्कों के नियम–सब्सिडियों और प्रतिकारी शुल्कों के वर्तमान नियमों को 1970 के टोकियो दौर में हुई बातों में एक पृथक् नियमावली में रखा गया है। वर्तमान नियमों के अन्तर्गत विकासशील देशों को छोड़कर निर्मित वस्तुओं के निर्यात शुल्कों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। प्राथमिक वस्तुओं की निर्यात सब्सिडी केवल इस शर्त के अनुसार है कि इसके अन्तर्गत वे देश विश्व निर्यात व्यापार के समान अंश से अधिक न प्राप्त कर सकें।
(6) झगड़ों का निपटान-मौजूदा गैट झगड़ा निपटान प्रक्रियाओं के अन्तर्गत उन कार्यवाहियों के विरुद्ध शिकायत की जा सकती है जिनमें नियमों का उल्लंघन किया गया सामान्य करार के उद्देश्यों में रुकावट उत्पन्न हुई हो।
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