अंकटाड (UNCTAD) क्या है?
अंकटाड (UNCTAD) से आशय – 1964 में संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (United Nations Conference Trade and Development UNCTAD) का प्रथम सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका श्रेय डॉ० राउल प्रेविश को है। इसी सम्मेलन के साथ अंकटाड का जन्म हुआ। अंकटाड संयुक्त राष्ट्र महासभा का स्थाई अंग है। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है।
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UNCTAD के प्रमुख कार्य
UNCTAD के प्रमुख कार्य निम्न है-
(i) विकसित एवं विकासशील देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन देना और आर्थिक विकास को गतिशील बनाना।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार व उससे सम्बन्धित मामलों तथा आर्थिक विकास से सम्बन्धित समस्याओं के लिए सिद्धांत एवं नीतियों का निर्धारण करना।
(iii) उपर्युक्त सिद्धांत एवं नीतियों को कार्यान्वित करने के लिए प्रस्ताव तैयार करना।
(iv) UNO अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सम्बन्धित अन्य संस्थाओं के साथ अंकटाड से समन्वय स्थापित करने हेतु एक केन्द्र बिन्दु के रूप में कार्य करना।
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अंकटाड की सफलताएँ
अंकटाड के विभिन्न सम्मेलनों में निम्नलिखित सुझाव दिये गये-
(1) प्राथमिक उत्पादों के न बिके हुए स्टॉक को समाप्त करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहमति द्वारा उपाय किया जाना चाहिए। इस स्टॉक को इस प्रकार प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे सभी विकासशील राष्ट्रों के आर्थिक विकास पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
(2) विकसित राष्ट्रों को कम विकासशील राष्ट्रों के लिए टैरिफ में कटौती करनी चाहिए।
इस प्रकार कम किये गये टैरिफ से कम विकासशील राष्ट्रों का निर्यात बढ़ेगा तथा विकसित राष्ट्रों का आयात बढ़ेगा तथा विश्व व्यापार का विस्तार होगा।
(3) कम विकसित राष्ट्रों को निम्न ब्याज दर पर अन्तर्राष्ट्रीय ऋण दिये जाने चाहिए।
(4) विकसित राष्ट्रों को अन्तर्राष्ट्रीय वित्त संस्थायें तथा यातायात व संचार के साधनों को विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
(5) विकासशील राष्ट्रों को अपने क्षेत्रों में अच्छा व्यापार सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
अंकटाड की असफलताएँ (Demerits)
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन जिसे संक्षेप में अंकटाड के नाम से जाना जाता है अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं पारस्परिक आर्थिक सहयोग की समस्याओं पर विचार-विमर्श के समाधान के उपायों का एक अन्तर्राष्ट्रीय रंगमंच है। इसका प्रमुख उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वृद्धि करना तथा अन्य विकसित देशों के आर्थिक विकास में पारस्परिक सहयोग के लिए सदस्य में देशों का सहयोग करना था। परन्तु अंकटाड द्वारा लिए गये निर्णयों को कार्यान्वित करने का इसे कोई अधिकार न होने के कारण यह अपने उद्देश्यों में सफल नहीं रहा, यहाँ तक कि कुछ उद्देश्यों को छोड़कर यह असफल ही रहा है।
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