वाणिज्य / Commerce

यूरोपीय साझा बाजार | यूरोपीय साझा बाजार के उद्देश्य | European Common Market in Hindi

यूरोपीय साझा बाजार
यूरोपीय साझा बाजार

यूरोपीय साझा बाजार

यूरोपीय साझा बाजार की उत्पत्ति यूरोप के देशों में एकता की स्थापना करने हेतु किया गया। इसने 1 जनवरी 1958 को स्वयं का कार्य प्रारम्भ किया। वर्तमान समय में यूरोपीय साझा बाजार की संख्या 10 है।

यूरोपीय साझा बाजार के उद्देश्य (Objectives)

यूरोपीय साझा बाजार के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

(1) व्यापार का विस्तार करने एवं परस्पर सहयोग के माध्यम से आर्थिक एवं सामाजिक विकास को प्रोत्साहन देने हेतु समुद्रपारीय देशों के क्षेत्रों एवं साझा बाजार के मध्य सहयोग लाना।

(2) यूरोपियन निवेश बैंक को स्थापित करना।

(3) बाह्य देशों के साथ समान प्रशुल्क एवं समान व्यापारिक नीति का निर्धारण।

(4) समान कृषि नीति को प्रतिपादित करना।

(5) सदस्य देशों में रोजगार को सम्भव बनाने एवं उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने हेतु यूरोपीय सामाजिक कोष को स्थापित करना

(6) सदस्य देशों के मध्य सीमा शुल्कों, परिमाणात्मक व्यापार प्रतिबन्धों इसी प्रकार के प्रभाव डालने वाले अन्य साधनों को हटाना।

(7) ऐसे अनुभवी व्यक्तियों का चयन करना जो कि सदस्य देशों की आर्थिक नीतियों में समन्वय स्थापित करें एवं उनके भुगतान सन्तुलन में असामान्य की स्थिति को दूर करने में सहायता करें।

(8) साझा बाजार में ऐसी प्रणाली को स्थापित करना जो कि प्रतियोगिता के क्षेत्र में बाधित न हों।

(9) सदस्य देशों के मध्य सेवाओं, वस्तुओं एवं पूँजी के स्वतन्त्र आवागमन में आने वाली बाधाओं को दूर करना।

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उद्देश्यों में सफलता की समीक्षा

यूरोपीय साझा बाजारों के द्वारा विकसित देशों की सहायता के लिए ब्रूसलेन सम्मेलन के अन्तर्गत दो प्रस्तावों को पारित किया गया-

(1) विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।

(2) विकासशील राष्ट्रों को उन्नत तकनीकी विधियों का प्रयोग करके आवश्यकता की सस्ती वस्तुएँ प्रदान करना।

इन सभी के अतिरिक्त भारत को मिलाकर राष्ट्रमण्डलीय विकासशील देश साझा बाजार के साथ व्यापारिक एवं आर्थिक सम्बन्धों को मधुर बनाने में पूर्ण रूप से असफल रहे। किन्तु इसके पश्चात् आज भी भारत के निर्यात पर 20% शुल्क लगाये जाते हैं। लेकिन फिर भी बाजारों के साथ आयात तथा निर्यात की मात्रा में सदैव वृद्धि होती रही है। यह सत्य है कि निर्यातों की तुलना में आयातों की मात्रा में अधिक वृद्धि हुई है। यही कारण है कि भारत का भुगतान सन्तुलन प्रतिकूल रहा है। 1980 में इस सम्बन्ध में अनेक विकासशील कदम उठाये गये हैं

(1) भारत व्यापार केन्द्र – इस केन्द्र के अन्तर्गत जूट से निर्मित वस्तुएँ, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, इन्जीनियरिंग, सूती कपड़ा एवं चमड़े के सामान के निर्यात से सम्बन्धित पाँच विशेषज्ञों की नियुक्ति से भारतीय व्यापार का संवर्द्धन कार्यक्रम अधिक सुदृढ़ हुआ है। भारत सरकार द्वारा यूरोपीय आयोग के साझे में फरवरी 1980 में ब्रुसेल्स में “भारत व्यापार केन्द्र” को स्थापित किया गया।

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(2) खाद्य सहायता – खाद्य सहायता में “ऑप्रेशन फ्लड्” हेतु 45 मिलियन डॉलर का दूध का पाउडर एवं मक्खन, तेल साझा बाजार द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है ।

(3) सेमिनार व व्यापार सम्मेलन- साझा बाजार ने सेमिनार एवं व्यापार सम्मेलन का आयोजन किया। इन समस्त सेमिनार एवं व्यापार सम्मेलन में भाग लेने वाली भारत की सभी फर्मों द्वारा अनेक प्रावधान किये गये हैं।

(4) व्यापार संवर्द्धन हेतु सहायता – व्यापार संवर्द्धन हेतु सहायता का प्रयोग सामान्य रूप से भारत के यूरोप में विशिष्ट व्यापार मेलों में आयेजन हेतु किया जाता है। श्री देव के शब्दानुसार, साझा बाजार प्रतिवर्ष कई लाख डॉलर की वित्तीय सहायता व्यापार संवर्द्धन हेतु प्रदान करता है।

(5) आर्थिक विकास सहायता – यूरोपीय साझा बाजार के द्वारा आर्थिक विकास से सम्बन्धित अनेक कार्यक्रमों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की गई है एवं इस सहायता का अधिकांश भाग नव-प्रवर्तन कार्यक्रमों पर व्यय होता है।

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