विद्यालयों में सूचना तकनीकी का उपयोग-
विद्यालयों में सूचना तकनीकी का उपयोग- विद्यालयों को सूचना तकनीकी से इस प्रकार से लाभान्वित किया जा सकता है-
छात्र-छात्राओं, अध्यापकों, विद्यालय कर्मचारियों, प्रशासक वर्ग तथा परामर्शदताओं आदि को लाभ पहुँचाने के लिए प्रत्येक विद्यालय में एक सूचना केन्द्र की स्थापना की जानी चाहिए। इस सूचना केन्द्र का काम होगा –
(क) सूचनाओं को एकत्रित करना ।
(ख) ये सूचनाएँ, सूचना ग्रहण करने वालों की पहुँच में होना ।
इन कार्यों के लिए निम्नलिखित साधनों या माध्यमों का सहारा लिया जा सकता है
(i) पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ, न्यूज बुलेटिन आदि ।
(ii) विभिन्न प्रकार के दृश्य-श्रव्य उपकरण और सम्बन्धित सामग्री।
(iii) संगणक, शिक्षण मशीन, माइक्रो फिल्म, ऑडियो टेप, वीडियो फिल्म आदि।
इस सूचना केन्द्र में प्राय: सूचनाओं का संश्लेषण, विश्लेषण और व्यवस्थित करने को सम्भव व्यवस्था होती है, ताकि ये उपयोग हेतु उपलब्ध हो सकें।
यह सूचना केन्द्र ठीक प्रकार से संचालित हो, इसके लिए नीचे लिखी बातें ध्यान में रखी जाएँ-
(1) इस बात का प्रयास किया जाए कि भिन्न-भिन्न स्रोतों से एकत्रित की गयी सामग्री को सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर-
(i) वह प्रयोग के लिए तुरन्त उपलब्ध हो सके
(ii) उसका सम्यक वर्गीकरण किया जा सके।
(iii) उसकी उपयुक्त व्यवस्था की जा सके।
(2) इस सूचना केन्द्र का एक उपयुक्त व्यवस्था प्रमुख होना चाहिए। इस कार्य के लिए किसी वरिष्ठ और अनुभवी अध्यापक की सेवाएँ ली जा सकती हैं। यदि शिक्षण संस्थान में कोई अनुभावी या प्रशिक्षित पुस्तकालयाध्यक्ष हो तो यह कार्य उसे भी सौंपा जा सकता है।
(3) जितने भी प्रकार के सूचना स्रोत उपलब्ध हो सकें, उनकी सहायता से भिन्न-भिन्न प्रकार की सूचनाएँ एकत्रित करने का काम किया जाना चाहिए। विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ इस प्रकार हो सकती हैं-
(i) छात्र-छात्राओं के अलग-अलग क्षेत्रों में उपलब्धियों के आँकड़े।
(ii) विद्यालय के अन्य कर्मचारियों की योग्यता, कार्यक्षमता और सेवा से सम्बन्धित आँकड़े।
(iii) विद्यालय अभिलेख ।
(iv) विभिन्न विषयों से सम्बन्धित पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ आदि।
(v) अनुसन्धान सामग्री, सन्दर्भ ग्रन्थ ।
(vi) शिक्षण अधिगम सम्बन्धित सहायक सामग्री, उपकरण आदि।
(vii) छात्रों द्वारा निर्मित सामग्री उपकरण आदि । समाज को भी इस सूचना केन्द्र से जोड़ा जाना चाहिए।
सूचना केन्द्र कई प्रकार के हो सकते हैं-
(i) आम विद्यालयों के सूचना केन्द्र
(ii) जिला सूचना केन्द्र
(iii) राज्य सूचना केन्द्र |
(iv) राष्ट्रीय सूचना केन्द्र |
(v) अन्तर्राष्ट्रीय सूचना केन्द्र |
विद्यालय सूचना केन्द्र को इन सबसे सम्बन्ध बनाये रखना चाहिए।
(4) शिक्षण संस्थान के सूचना केन्द्र का एक उपयुक्त नेटवर्क (Network) स्थापित किया जाय। एक संगणक पर उपलब्ध सूचना सामग्री, सभी अन्य संगणकों पर आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध होनी चाहिए। इस प्रकार के आन्तरिक नेटवर्क से विद्यालय में ही आवश्यकता पड़ने पर सूचना प्राप्त की जा सकती है।
विद्यालय के सूचना केन्द्र को समृद्ध बनाये रखने के लिए इन नेट प्रणलियों से सहायता ली जा सकती है
(i) लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)
(iii) वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)
(ii) मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)
विद्यालयों में विभिन्न स्तर पर सूचना तकनीकी का उपयोग
शिक्षा जगत की दृष्टि से सूचना तकनीकी की निम्न उपयोगिता हो सकती है-
1. छात्रों के लिए उपयोगी- छात्र-छात्राओं के लिए सूचना तकनीकी का यह उपयोग हो सकता है
(क) विद्यार्थी सूचना के स्रोतों से परिचित होंगे।
(ख) छात्र सम्यक् रूप से सूचनाओं का संग्रह करेंगे।
(ग) वे सूचनाओं को एकत्रित कर आवश्यकतानुसार उनका उपयोग उचित अवसरों पर करने का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
(घ) सूचना तकनीकी द्वारा वे सूचनाओं के आधार पर समस्या समाधान की योग्यता और निर्णय क्षमता का प्रशिक्षण हासिल करेंगे।
2. अध्यापकों के लिए उपयोगी- इससे अध्यापकों को निम्न लाभ होंगे (क) वे अपने शिक्षण दायित्वों को निभाने में मदद ले सकते हैं।
(ख) सम्यक् शिक्षण हेतु अध्यापकों को कई प्रकार की सूचनाएँ चाहिए, आँकड़े और जानकारी चाहिए। इस दृष्टि से सूचना तकनीकी उपयुक्त मदद कर सकती है।
(ग) वे विद्यार्थियों को सूचनाओं के स्रोत से परिचित कराकर उनसे आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं और इस प्रकार अपना कार्यभार हल्का कर सकते हैं।
(घ) शिक्षण मशीन, संगणक निर्देशित अधिगम सामग्री और अभिक्रमित पाठ्य-पुस्तकें आदि के द्वारा वे अपना कार्य अच्छे ढंग से कर सकते हैं।
3. मार्गदर्शकों के लिए उपयोगी- इस दृष्टि से निम्न बातें कही जा सकती हैं (क) परामर्श सेवाओं के संचालन में इससे सहायता मिलती है।
(ख) व्यक्तिगत, व्यावसायिक अथवा शैक्षिक निर्देश की दृष्टि से भी यह बड़ी उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं।
4. शैक्षिक नियोजकों और प्रशासकों के लिए उपयोगी- इस सम्बन्ध में निम्न बातें कही जा सकती हैं
(क) शिक्षा सम्बन्धी गतिविधियों का ठीक प्रकार से नियोजन करना तथा प्रशास सम्बन्धी कार्यक्रमों का ठीक प्रकार से संचालन करना। इनमें सूचना तकनीकी की सहायता मूल्यवान सिद्ध हो सकती है।
(ख) किसी भी प्रकार का योजनाबद्ध कार्य बिना उचित सूचनाओं, जानकारी और आँकड़ो के आगे नहीं बढ़ सकता, यथा- छात्रों को किसी पाठ्यचर्या में प्रवेश देना, परीक्षाएँ आयोजित करना। ये कार्य सूचना तकनीकी की सहायता से भली-भाँति हो सकते हैं।
5. शैक्षिक शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी-जो शिक्षा के क्षेत्र में शोध करना चाहता है उसे
(क) विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ और आँकड़े चाहिए।
(ख) वे आँकड़े विश्वसनीय हों। क्या किसी प्रकार का शोध कार्य अब तक हो चुका है? क्या हो रहा है और आगे कैसे कार्य की आवश्यकता है? इस दृष्टि से समुचित सूचनाओं और आँकड़ों की नितान्त आवश्यकता है।
इन सब कार्यों में सूचना तकनीकी की सहायता बड़ी उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
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