समुदाय का क्या अर्थ है? परिभाषित करते हुए इसके प्रभाव को स्पष्ट कीजिए। अथवा समुदाय से आप क्या समझते हैं? समुदाय और विद्यालय किस प्रकार एक दूसरे को प्रभावित करते हैं? व्याख्या कीजिए।
समुदाय का अर्थ– ‘समुदाय शब्द आंग्ल भाषा के ‘कम्युनिटी’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। ‘कम्युनिटी’ शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘कॉम’ तथा ‘म्यूनिस’ दो शब्दों से हुई है। ‘कॉम’ शब्द का अभिप्राय है—‘एक साथ’ तथा ‘म्यूनिस’ शब्द का अभिप्राय कर्तव्यों को निभाना।’ इस दृष्टिकोण से जब कोई व्यक्ति-समूह एक साथ संगठित रूप से किसी ‘विशेष उद्देश्य’ की पूर्ति के लिए नहीं अपितु ‘सामान्य जीवन बिताने के लिए ‘किसी निश्चित भू-भाग में रहता है, तो इस प्रकार के संगठित व्यक्ति-समूह को ‘समुदाय’ के नाम से सम्बोधित किया जाता है। समुदाय के उपर्युक्त आशय से पता चलता है कि इसके दो पहलू हैं—(1) भौतिक अथवा भौगोलिक पहलू तथा (2) सामाजिक अथवा सांस्कृतिक पहलू। भौतिक अथवा भौगोलिक पहलू के अन्तर्गत समुदाय के निश्चत भू-भाग का समावेश होता है और सामाजिक अथवा संस्कृतिक अंग के अन्तर्गत व्यक्तियों का संगठित होकर एक साथ रहकर एक-दूसरे को प्रभावित कर सामान्य जीवन बिताने का समावेश होता है। ग्राम, नगर, देश इत्यादि समुदाय ही तो हैं, जो निश्चित भू-भाग में बसे होते हैं, जिसके रहने वाले सामान्य जीवन बिताते हैं। अतः हम संक्षेप में कह सकते हैं कि कुछ व्यक्तियों का संगठित होकर किसी निश्चित भू-भाग में सामान्य जीवन बिताने को समुदाय कहते हैं।
समुदाय की परिभाषा
किम्बाल यंग के अनुसार- “समुदाय एक ऐसा समूह है जो एक ही संस्कृति के अन्तर्गत एक स्थान क्षेत्र में रहता है तथा अपनी प्रमुख क्रियाओं के लिए कोई सामान्य भौगोलिक केन्द्र रखता है।”
जिन्सबर्ग के अनुसार- “समुदाय को एक निश्चित भू-भाग पर रहने वाली उस समस्त जनसंख्या के रूप में (अथवा साथ-साथ भ्रमण करने वली भ्रमणकारियों के रूप में) वर्णित किया जा सकता है, जो उनके जीवन को नियंत्रित करने वाला सामान्य अवस्था से बँधी हुई होती है।”
ग्रीन के शब्दों में- “समुदाय संर्कीण प्रादेशिक घेरे में रहने वाले उन व्यक्तियों का एक समूह है, जो जीवन के सामान्य ढंग को अपनाते हैं। एक समुदाय एक स्थानीय समूह है।”
समुदाय एवं विद्यालय का परस्पर प्रभाव
(अ) समुदाय का विद्यालय पर प्रभाव-
समुदाय अपनी आवश्यकताओं, आदर्शों एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विद्यालयों की स्थापना करता है और वह अपने द्वारा उन विद्यालयों को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है। विद्यालयों पर समुदाय के प्रभाव को निम्नलिखित रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है-
(1) समुदाय के आदर्शों, मान्यताओं एवं आवश्यकताओं पर प्रभाव- कोई भी समुदाय क्यों न हो प्रत्येक के अपने-अपने आदर्श, मान्यताएँ एवं आवश्यकताएँ होती हैं जिनकी पूर्ति और अपने अस्तित्व के लिए वह विद्यालयों की स्थापना करता है। इस प्रकार समुदाय आदर्शो, मान्यताओं एवं आवश्यकताओं का विद्यालयों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव शिक्षा के सभी पहलुओं यथा-शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि आदि में देखने को मिलता है। समुदाय के आदर्शों, मान्यताओं एवं आवश्यकताओं में परिवर्तन होने के कारण शिक्षा के इन पहलुओं में भी परिवर्तन होता रहता है। उदाहरण के लिए वर्तमान समय में भारतीय समुदाय आवश्यकताओं एवं माँगों में तीव्र गति से परिवर्तन कर रहा है। अतः आज भारतीय समुदाय ‘औद्योगीकरण’ की माँग कर रहा है। इस माँग की पूर्ति की दृष्टि से आज भारतीय समुदाय के विद्यालयों में ‘कार्य-अनुभव’ को महत्वपूर्ण स्थान देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त भारतीय समुदाय विभिन्न प्रकार के ‘व्यावसायिक विद्यालयों’ की स्थापना कर रहा है।
(2) समुदाय की आर्थिक दशाओं का प्रभाव- वस्तुतः समुदाय एक प्रकार से विश्व का ही संक्षिप्त रूप है। वह प्रत्येक मूलभूत क्रिया के लिए अवसर प्रदान करता है चाहे वह क्रिया अतीत वर्तमान व भविष्य आदि किसी से भी सम्बन्धित क्यों न हो। समुदाय की छोटी- छोटी दुकानें व उनके छोटे-छोटे व्यवसाय विश्व की आर्थिक व्यवस्था के परिचायक हैं। विद्यालयों पर समुदाय की आर्थिक व्यवस्था का गहरा प्रभाव पड़ता है। जिस समुदाय की जैसी आर्थिक व्यवस्था व आर्थिक स्थिति होती है। उसके विद्यालयों का पाठ्यक्रम भी वैसा ही होता है। उदाहरणार्थ, भारतीय समुदाय की आर्थिक व्यवस्था कृषि प्रधान है। अतः भारतीय समुदाय की शिक्षा में कृषि कॉलेजों’, ‘कृषि विश्वविद्यालयों’ को स्थापित करने पर विशेष बल दिया जाता है।
(3) समुदाय की राजनीतिक दशाओं का प्रभाव- समुदाय की राजनीतिक दशाओं का भी विद्यालयों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक समुदाय के विद्यालयों की शिक्षा की व्यवस्था कैसी होगी, यह बहुत कुछ उसकी राजनीतिक व्यवस्था पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् भारतीय समुदाय ने ‘लोकतांत्रिक प्रणाली’ को अपनाया, जिसकी सफलता योग्य नागरिकों पर निर्भर है। अतः भारतीय विद्यालयों का एक प्रमुख कार्य योग्य नागरिकों का निर्माण करना भी है।
(4) समुदाय के गुणों व दोषों का प्रभाव- प्रत्येक समुदाय के अपने कुछ विशिष्ट गुण व दोष होते हैं जिनका प्रभाव उसके विद्यालयों पर अवश्य पड़ता है। आज हमारा समुदाय अनेक सामाजिक बुराइयों व कुप्रथाओं से ग्रसित है जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव विद्यालयों पर भी दृष्टिगोचर होता है। भारतीय समुदाय के ‘साम्प्रदायिक विद्यालय’ इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
(ब) विद्यालय का समुदाय पर प्रभाव-
जिस प्रकार समुदाय विद्यालय को प्रभावित करता है उसी प्रकार विद्यालय का भी समुदाय पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव को हम निम्न प्रकार प्रस्तुत कर सकते हैं-
(1) समुदाय की संस्कृति या सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण– प्रत्येक समुदाय के अपने-अपने रीति-रिवाज, प्रथाएँ, परम्पराएँ, विश्वास, नैतिकता, आदर्श, मूल्य, नियम आदि होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होते रहते हैं और उस प्रकार से संरक्षित बने रहते है। इस कार्य में विद्यालय की अति महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय समुदाय की इस संस्कृति को न केवल आने वाली सन्तति को प्रदान करती बल्कि उनमें इस सांस्कृतिक विरासत में योगदान देने की क्षमता भी विकसित करता है। विद्यालयों के अभाव में इस विस्तृत, जटिल एवं उपयोगी विरासत को थोड़े से जीवनकाल में सीखना असम्भव है।
(2) समुदाय की आवश्यकताओं एवं माँगों की पूर्ति- प्रत्येक समुदाय की अपनी कुछ आवश्यकताएँ एवं माँगें होती हैं जिनकी पूर्ति के बगैर समुदाय के सदस्यों का अस्तित्व सम्भव नहीं है। विद्यालय अपनी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के द्वारा समुदाय की इन आवश्यकताओं एवं माँगों की पूर्ति में सहायक होता है।
(3) समुदाय के भावी स्वरूप का निर्धारण- विद्यालय न केवल समुदाय की आवश्यकताओं एवं माँगों की पूर्ति करता है बल्कि वह उसके भावी स्वरूप का भी निर्धारण करता है। चूंकि समय एवं परिस्थिति के अनुसार समुदाय की आवश्यकताएँ, माँगें, आदर्श, मान्यताएँ आदि बदलते रहते हैं। अतः उन्हीं के अनुसार समुदाय को भी बदलना आवश्यक हो जाता है अन्यथा वह गतिहीन हो जायेगा। ऐसी स्थिति में विद्यालय समुदाय के दोषों की आलोचना करके उसके समक्ष नवीन कार्यक्रम व विचार प्रस्तुत करते हैं, इससे ऐसे भावी नागरिकों का निर्माण होता है जो समुदाय की प्रगति एवं सुधार के लिए कार्य करके उसने भावी ढाँचे को प्रस्तुत करें। आज भारतीय समुदाय के विद्यालय ‘समाजवादी समाज’ के निर्माण के लिए प्रयासरत हैं और उन्हें बहुत कुछ सफलता भी प्राप्त हुई है।
(4) समुदाय की व्यावसायिक एवं आर्थिक प्रगति में सहायक- विद्यालय समुदाय की व्यावसायिक और औद्योगिक प्रगति में सहायक होते हैं। समुदाय के लिए जो उपयोगी व्यवसाय माने जाते हैं उन्हें पाठ्यक्रम में किसी-न-किसी रूप में स्थान दिया जाता है। महात्मा गाँधी ने ‘बेसिक शिक्षा’ (Basic Education) पर समुदाय की आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए बल दिया था।
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