भारतीय संसद के कार्य एवं शक्तियां
भारतीय संसद के कार्य- केन्द्र की व्यवस्थापिका सभा को संसद कहते हैं । यह सरकार का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है, क्योंकि संसद के सदस्य ही जनता के निर्वाचित वास्तविक प्रतिनिधि होते हैं । भारतीय व्यवस्थापिका को अनेक महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं तथा उसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने पड़ते हैं ।
भारतीय संसद के प्रमुख कार्यों का ये अधिकार निम्नलिखित हैं-
1) कानून निर्माण सम्बन्धी कार्य –
संसद का सर्वप्रमुख और महत्वपूर्ण कार्य देश के लिए कानूनों का निर्माण करना है । अतः संसद को नये कानून बनाने, अनावश्यक कानूनों को समाप्त करने या कानूनों में संशोधन आदि करने का अधिकार है, परन्तु इस सम्बन्ध में संसद की शक्तियों को संविधान के द्वारा निश्चित कर दिया गया है ।
संविधान में कानून निर्माण सम्बन्धी शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित किया गया है – (i) संघ-सूची, (ii) राज्य-सूची तथा (iii) समवर्ती- सूची । संसद संघ-सूची और समवर्ती-सूची के विषयों पर कानून का निर्माण कर सकती है । संसद उन सब विषयों पर भी कानून बना सकती है, जिन विषयों का इन सूचियों में वर्णन नहीं किया गया है । इसके अतिरिक्त कुछ विशेष परिस्थितियों में संसद राज्य-सूची के विषयों पर भी कानून निर्मित कर सकती है । संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करके ही कानून का रूप धारण करता है ।
2) नीति-निर्धारण सम्बन्धी अधिकार –
भारत सरकार की गृह- नीति और विदेश नीति संसद ही निर्धारित करती है । युद्ध, सन्धि आदि के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय भी संसद द्वारा ही लिया जाता है ।
3) कार्यपालिका पर नियन्त्रण –
केन्द्रीय कार्यपालिका की वास्तविक शक्ति मन्त्रिपरिषद् के हाथ में रहती है और मन्त्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है । इस दृष्टि से संसद का कोई भी सदस्य किसी भी मन्त्री से कोई भी आवश्यक सूचना प्राप्त कर सकता है । संसद सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचना करके उस पर नियन्त्रण रखती है । संसद विभिन्न तरीकों से सरकार पर पूर्ण अधिकार व नियन्त्रण रखती है । संसद प्रश्न तथा पूरक प्रश्न पूछकर, काम रोको, निन्दा एवं स्थगन प्रस्ताव, कटौती प्रस्ताव पारित करके तथा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मन्त्रिमण्डल पर नियन्त्रण रखती है । अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा मन्त्रिपरिषद् को अपदस्थ करने का अधिकार केवल लोकसभा को प्राप्त है । राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त नहीं है । इसका प्रमुख कारण यह है कि मन्त्रिपरिषद् का उत्तरदायित्व लोकसभा के प्रति होता है, राज्यसभा के प्रति नहीं ।
4) वित्तीय अधिकार –
सरकार की आय-व्यय का वार्षिक बजट संसद ही पारित करती है । नये कर लगाना, अनावश्यक कर समाप्त करना, करों की दर में वृद्धि या कमी करना आदि सभी का अधिकार संसद को दिया गया है । संसद की अनुमति के बिना सरकार न तो नागरिकों पर कोई कर लगा सकती है और न ही संसद की स्वीकृति के बिना कोई व्यय कर सकती
5) न्याय सम्बन्धी अधिकार –
संसद को न्याय सम्बन्धी बड़े महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं । यदि राष्ट्रपति संविधान के विरुद्ध आचरण करे अथवा संविधान का उल्लंघन करे तो संसद उसके विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पारित करके उसको अपदस्थ कर सकती है । संसद अपने प्रस्ताव द्वारा राष्ट्रपति से अनुरोध करके अयोग्य और भ्रष्ट न्यायाधीशों को भी अपदस्थ करा सकती है।
6) संविधान में संशोधन का अधिकार –
भारतीय संविधान में संशोधन करने का अधिकार संसद को ही प्रदान किया गया है । साथ ही संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का भी उल्लेख कर दिया गया है ।
7) निर्वाचन सम्बन्धी अधिकार –
संसद के सदस्य एवं राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभा के सदस्य मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं तथा संसद के दोनों सदनों के सदस्य उपराष्ट्रपति का निर्वाचन करते हैं ।
8) अन्य अधिकार एवं कार्य-
(i) संसद राज्यों के निवेदन पर उन राज्यों में विधानपरिषद् की स्थापना कर सकती है या उसको समाप्त कर सकती है, जो संसद से इस सम्बन्ध में अनुरोध करते हैं ।
(ii) संसद को राष्ट्रपति द्वारा की गई संकटकाल की घोषणा को स्वीकार व अस्वीकार करने का अधिकार है।
(iii) संसद को राज्यों के नाम बदलने, उनकी सीमाओं में परिवर्तन करने तथा नया राज्य बनाने का भी अधिकार है।
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