मलिन बस्ती किसे कहते हैं? मलिन बस्ती बनने के कारण एवं प्रकार का वर्णन कीजिये।
अथवा
मलिन (गन्दी) बस्तियों का भ्रमण एवं सूचनाएँ एकत्रित कर वहाँ के बच्चों की शैक्षिक स्थिति पर आख्या तैयार कीजिये।
मलिन बस्ती किसे कहते हैं?– विकासशील देशों में मलिन बस्तियाँ नगरीय अनुस्फोट एवं औद्योगीकरण का परिणाम हैं। अनेक समाजशास्त्रियों, पर्यावरणविदों, भूगोलवेत्ताओं और नगर नियोजकों ने गन्दी बस्तियों को परिभाषित करने तथा उनके लक्षणों को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। जिस्टस और हालबर्ट ने मलिन बस्ती की परिभाषा इस प्रकार दी- “एक मलिन बस्ती निर्धन लोगों तथा मकानों का क्षेत्र है। यह संक्रमण का एवं गिरावट का क्षेत्र है। यह असंगठित क्षेत्र होता है, जो मानव अपशिष्ट से परिपूर्ण होता है। यह अपराधियों, दोषयुक्त, निम्न एवं त्यक्त लोगों के लिए सुविधाजनक क्षेत्र होता है।”
मलिन बस्तियों के कारण-
गन्दी बस्तियों के विकास के निम्न कारण हैं-(i) नगरों में आवास का अभाव, (ii) नगरों का अनुयोजित विकास, (iii) संसाधनों का अभाव, (iv) तीन औद्योगीकरण के कारण अधिक संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता, (v) गाँवों से भारी संख्या में लोगों का नगरों की ओर प्रवाह।
मलिन बस्तियों के प्रकार-
स्वामित्व के आधार पर गंदी बस्तियों को 5 वर्गों में विभक्त कर सकते हैं- 1. किराये के उद्देश्य से बनाये गये भवन, जिनमें मुम्बई की बस्ती और कानपुर के उदाहरण सम्मिलित हैं। 2. ये अधिवास जिनका पट्टा तथा संरचना अवैध है लेकिन कई इकाइयों में उपविभाजित है। मुम्बई तथा अहमदाबाद के चाल इस श्रेणी में आते हैं। 3. व झुग्गी-झोपड़ियाँ, जिन पर स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति का है तथा किराये पर उठी हुई है। 4. नजूल की जमीन पर दिल्ली की झुग्गियाँ, मद्रास की चेरी, मुम्बई की झोपड़पट्टी और खोलियाँ। 5. वे झुग्गी झोपड़ियाँ जो नेताओं के प्रभाव से अचानक बन जाती हैं।
मलिन बस्तियों की समस्याएँ-
मलिन बस्तियों की अनेक समस्याँ हैं-
1. यह संक्रमण क्षेत्र है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की फूहड़ सामाजिक पद्धतियाँ, तनाव एवं संघर्ष के तत्व मौजूद रहते हैं। नगरीय परिवेश में समायोजन इस क्षेत्र की मुख्य समस्या है।
2. ये समाज विरोधी तत्वों तथा जुआ, शराब, वेश्यावृत्ति, बाल-अपराध आदि के क्षेत्र होते हैं।
3. मलिन बस्तियों का समाज असंगठित होता है।
4. जातीय संघर्ष, तनाव, आतंक आदि समस्याएँ मलिन बस्तियों की सामान्य समस्याएँ हैं।
5. मलिन बस्तियों में पुरुषों की संख्या अधिक तथा स्त्रियों की संख्या कम होती है। अतः इस क्षेत्र में व्यभिचार और वेश्यावृत्ति भी पनप जाती है।
6. ये दुर्व्यवस्था के क्षेत्र हैं।
गन्दी बस्तियों के बच्चों की शैक्षिक समस्याएँ-
गन्दी बस्तियों के बच्चों की शैक्षिक समस्याएँ निम्न हैं-
1. मलिन बस्तियों में निर्धनता व्याप्त है। बच्चों की शिक्षा पर वे व्यय नहीं कर पाते हैं। निर्धनता के कारण वे अपने बच्चों को कार्य रोजगार में बचपन से लगा देते हैं। इस कारण बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं।
2. मलिन बस्तियों में शिक्षा का वातावरण नहीं होता है, जिस कारण बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए न प्रेरित होते हैं और न ही उत्साहित।
3. मलिन बस्तियों में जागरूकता का अभाव पाया जाता है। बच्चे छात्रवृत्ति तथा निःशुल्क पुस्तकें एवं अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
4. ज्ञान के अभाव के कारण बच्चे लिख नहीं पाते हैं।
5. मलिन बस्तियों में स्कूल नहीं होते हैं। बच्चे घरों से दूर विद्यालय नहीं जा पाते हैं। मलिन
बस्तियों का सुधार एवं नियोजन-
प्रथम पंचवर्षीय योजना में मलिन वस्तियाँ नियोजकों का ध्यान आकृष्ट न कर सकीं। सर्वप्रथम 1957 से मलिन बस्ती उन्मूलन एवं सुधार हेतु केन्द्रीय योजना बनाई तथा आठ लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों- अहमदाबाद, पूना, मुम्बई, नागपुर, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ जैसे नगरों में लागू की गई।
मलिन बस्तियों के सुधार कार्यक्रम में आवासीय समस्या का निदान सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है। मलिन बस्तियों का विकास एक जटिल समस्या है। इसके अन्तर्गत मलिन बस्ती के प्रसार को रोकना, संरक्षण करना एवं पुनर्वास सम्मिलित है। नगर के प्राचीन क्षेत्रों में मकान को गिराकर सुविधाजनक मकान बनाना, जन सुविधाएँ जुटाना, सड़क, सीवर, प्रकाश मनोरंजन आदि की व्यवस्था करना सम्मिलित है। कुछ मलिन बस्तियों में निम्न आय वर्ग के मकान बनाना, प्रकाश व्यवस्था को चुस्त बनाना, सड़कों को चौड़ा करना तटबन्ध बनाना भी आवश्यक है।
विभिन्न प्रकार के अपराध सामाजिक प्रदूषण के अंग हैं। अपराध मलिन क्षेत्रों में अधिक होते हैं। मलिन क्षेत्रों का पर्यावरण कुण्ठाप्रद होता है। इनके निकट कसाई घर, शराब के ठेके, कब्रगाह, गन्दगी होती है। पशु और सुअर इसे और गन्दा कर देते हैं। कमरों में भीड़ होने के कारण पारिवारिक टकराव, बाल-अपराध, शराब, जुआ इस क्षेत्र के सामान्य अराध होते हैं।
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