पाठ योजना / Lesson Plan

वैदिक काल वर्ण व्यवस्था इतिहास का लेसन प्लान Vedic Period Varna System History lesson plan for B.Ed.

वैदिक काल वर्ण व्यवस्था इतिहास का लेसन प्लान Vedic Period Varna System History lesson plan for B.Ed.
वैदिक काल वर्ण व्यवस्था इतिहास का लेसन प्लान Vedic Period Varna System History lesson plan for B.Ed.

वैदिक काल वर्ण व्यवस्था इतिहास का लेसन प्लान Vedic Period Varna System History lesson plan for B.Ed.

वैदिक काल वर्ण व्यवस्था इतिहास का लेसन प्लान Vedic Period Varna System History lesson plan for B.Ed. – प्रिय मित्रों, इस पोस्ट में हम BTC/DELED, B.ED, M.ED के तहत वैदिक काल व्यवस्था इतिहास का लेसन प्लान Vedic Period Varna System History lesson plan of B.Ed. btc/d.el.ed, b.ed आदि के बारे में हिन्दी में विस्तार से बात करेंगे.

विद्यालय का नाम- अपनी स्कूल का नाम व स्थान लिखें

दिनांक-

विषय-  इतिहास

चक्र- 8

कक्षा –6th

प्रकरण- वैदिक काल वर्ण व्यवस्था

अवधि- 30 मिनट

सामान्य उद्देश्य :- 

  1. छात्राओं में इतिहास के प्रति रुचि जागृत करना |
  2. छात्राओं में देश भक्ति तथा विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास करना |
  3. छात्राओं में आदर्श नागरिक के गुणों का विकास करना |
  4. छात्राओं में वैज्ञानिक अभिवृत्ति का विकास करना |
  5. छात्राओं में बौधिक एवं तार्किक चिन्तन का विकास करना |
  6. छात्राओं में आत्मनिर्भरता का विकास करना |
  7. छात्राओं को भविष्य के लिए तैयार करना |
  8. छात्राओं में नेतृत्व के गुणों का विकास करना |

➤विशिष्ट उद्देश्य :- 

  1. छात्राएँ ‘वैदिक काल’ की वर्ण व्यवस्था का प्रत्यास्मरण कर सकेंगी|
  2. छात्राएँ ‘वैदिक काल’ के आश्रम व्यवस्था का प्रत्याभिज्ञान कर सकेंगी |
  3. छात्राएँ ‘वैदिक काल’ के खेती के महत्व के बारे में व्याख्या कर सकेंगी |
  4. छात्राएँ ‘वैदिक काल’ में आर्यो के जन के बारे में विवरण प्रस्तुत कर सकेंगी |
  5. छात्राएँ ‘वैदिक काल’ की संस्कृति को अपने जीवन में प्रयोग कर सकेंगी |

➤सहायक सामग्री-  चाक, डस्टर, रोलर बोर्ड, चार्ट अन्य कक्षोपयोगी शिक्षण सामग्री|

➤पूर्वज्ञान-  छात्राएँ ‘वैदिक काल’ के वर्ण-व्यवस्था के विषय में पहले से सामान्य जानकारी रखती होगी |

 ➤प्रस्तावना :-

क्र. स.

छात्र अध्यापक क्रियाएं

छात्र क्रियाए

1.

वैदिक काल में समाज को कितने वर्गों में बाँटा गया था ?

चार वर्गों में

2.

वैदिक काल के वे चार वर्गों के नाम बताओ ?

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र

3.

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शुद्रो का विभाजन किस आधार पर किया गया था ?

वर्ण व्यवस्था

➤उद्देश्य कथन :- आज हम लोग ‘वैदिक काल’ के ‘वर्ण व्यवस्था’ के विषय में अध्ययन करेंगे।

➤प्रस्तुतीकरण :-

शिक्षण बिन्दु

छात्र अध्यापक क्रियाएं

छात्र क्रियाए

1. वर्ण-व्यवस्था का आरम्भ

शिक्षिका कथन- आरम्भ में आर्य तीन वर्णों में विभाजित थे राजा पुरोहित तथा अन्य जन यह विभाजन उनके व्यवसाय पर आधारित था परन्तु कठोर नहीं था किन्तु धीरे-2 जो यज्ञ करवाते थे, वे ब्राहमण कहलाए | जो युद्ध करते थे , वे क्षत्रिय कहलाए | जो व्यापार करते थे, वे वैश्य कहलाए | बाद में शुद्र नामक चौथा वर्ण भी मिलता है, जिसमे युद्ध में हारे लोग शामिल किये गए | धीरे-धीरे वर्ण व्यवस्था कठोर हो गई | अब कार्य रुचि के आधार पर ना होकर वंश के आधार पर हो गए |

छात्रा ध्यानपूर्वक सुनेगी |

2. खेती का महत्व बढ़ा

 

पशुपालक आर्य अपनी बढ़ती हुई जरूरतों के लिए सिर्फ युद्ध से प्राप्त संपत्ति पर ही हमेशा निर्भर नहीं रह सकते थे | अतः उन्हें अपनी आवश्यकताओ के लिए कृषि पर ध्यान देना पड़ेगा | अब वे गंगा, यमुना के दो आब क्षेत्र में फ़ैलने लगें | इन्होने लोहे के औजार से जंगलों को काटकर कृषि योग्य बनाया | पशु पालक आर्य पहले केवल जौ ही उगाते थे | अब इन नदियों के किनारे वे गेंहूँ, धान, तिलहन व दाल भी उगाने लगे | अब उनके लिए खेती प्रमुख हो गई | धीरे-धीरे वे आत्मनिर्भर होने लगे तथा अन्य कौशलों के विकास का समय उन्हें मिलने लगा जिससे वे धातु कर्म, बढ़ई गीरि , हस्तशिल्प, चमड़े का काम मिट्टी के बर्तन आदि बनाने लगे जसे उनका व्यापार बढ़ने लगा |

छात्रा ध्यानपूर्वक सुनेगी |

3. आश्रम व्यवस्था

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को व्यवस्थित करने के लिए आर्यो ने जीवन को चार अवस्थाओं में बाँट दिया था | पहली अवस्था ब्रह्मचर्य की थी | इसमें बच्चा आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त कर पाता था |दूसरी व्यवस्था गृहस्थ थी | यह अवस्था पारिवारिक जीवन से सम्बंधित थी | तीसरी तथा चौथी अवस्था वानप्रस्थ तथा सन्यास की थी जिसमे व्यक्ति वन में जाता था तथा आत्म चिंतन करता था | तथा आत्म चिंतन के द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करता था | महिलाएँ घर में ही रहकर घरेलु कार्यों संगीत व नृत्य की शिक्षा प्राप्त करती थी | यद्यपि महिलाओं की स्थिति पुरुषों के बराबर नहीं थी किन्तु घर में उनको उचित सम्मान व आदर प्राप्त था |

 


➤ श्यामपट्ट सारांश :-

1. आर्यो ने जीवन को चार अवस्थाओं में वर्गीकृत किया |

2. आर्य लोग खेती को प्रमुख मानते थे |

3. आर्यो द्वारा वर्ण व्यवस्था को चार भागो में बाँटा गया |

4. महिलाएँ घर में ही रहकर घरेलु कार्यो, संगीत व नृत्य की शिक्षा प्राप्त करती थी |

5. वैदिक काल में महिलाओं को घर में उचित आदर सम्मान प्राप्त था |

➤ निरीक्षण कार्य :-

छात्राध्यापिका छात्राओं से श्यामपट्ट सारांश को कॉपी में लिखने को कहेंगी तथा कक्षा में घूम-घूम कर निरीक्षण करते हुए उनकी समस्याओं को दूर करेंगी |

➤ मूल्यांकन प्रश्न :-

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. आर्यो ने जीवन को ______ अवस्थाओं में विभाजित किया था |
2. व्यापार करने वालो को _____ कहा जाता था |
3. आर्य लोग पहले केवल _____ ही उगाते थे |
4. आर्य लोग _____ को प्रमुख मानते थे |
5. आर्य लोग महिलाओं का उचित _____ व आदर करते थे |
 
➤ गृहकार्य :-
 
सभी छात्राएँ चारो वर्णों के नाम तथा कार्य लिख कर लाइए |

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