सूचना एवं संचार तकनीकी की प्रकृति (Nature of Information and Communication Technology)
सूचना एवं संचार तकनीकी का संप्रत्यय अत्यंत व्यापक एवं वृहद है। इसके स्वरुप व प्रकृति से अवगत होने के लिए इस संप्रत्यय का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से लेकर वर्तमान संदर्भ तक विचार करना होगा। जब मानव आदिम अवस्था से विकसित होकर सभ्य मानव समाज की ओर अपने कदम बढ़ाया होगा तब उसे निश्चित रूप से किसी संचार माध्यम की जरुरत हुई होंगी और उसने निश्चय ही शाब्दिक व अशाब्दिक संचारों का प्रयोग किया होगा। प्रारंभ में मानव ने अपनी आवश्यकता व सुरक्षा कारणों से छोटे-छोटे समूहों में रहना शुरू किया और धीरे-धीरे उन समूहों का आकार बढता गया। उस समय के विभिन्न छोटे व बड़े समूहों के मध्य संपर्क किन्हीं न किन्हीं कारणों एवं आवश्यकताओं से स्थापित हुए। किसी समूह को जब सहायता की आवश्यकता या संकट होता था तब वह इसकी सूचना शाब्दिक माध्यमों जैसे- भाषाई सांद करके, चिल्ला कर या शोर मचाकर आदि एवं अशाब्दिक सूचना माध्यमों जैसे- इशारा करके, विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न करके, ध्वज या पताका दिखाकर, रात्रि में अग्नि मशाल जलाकर आदि संकेतों के माध्यमों से सूचानों का सम्प्रेषण किया करते थे। सूचना एवं संचार के विकसित क्रम में गया। पहले मानव द्वारा स्वयं फिर पशु-पक्षियों आदि के द्वारा संदेशों का आदान-प्रदान होने लगा। मानवीय विकासक्रम में जैसे-जैसे मानव ज्ञान और विज्ञान के नवीन आयामों को प्राप्त करता हुआ तकनीकी विकास करता रहा वैसे-वैसे सूचना एवं संचार तकनीकी में भी विविध माध्यमों तथा उपकरणों का विकास होता इस क्रम में डाक व्यवस्था, बेतार तकनीकी, रेडियो, टेलीविज़न, कंप्यूटर, मल्टीमीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया तकनीकी, इंटरनेट, मास मीडिया, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी एवं मोबाइल टेक्नोलॉजी आदि का विकास हुआ और यह प्रगति क्रम आगे भी नित्य नवीन तकनीकियों का सूचना एवं संचार के क्षेत्र में विकास करता रहेगा।
सूचना एवं संचार तकनीकी या प्रौधिगिकी की प्रकृति निम्नलिखित है-
- यह सूचनाओं का संकलन एवं संग्रह करती है।
- यह सूचनाओं का सम्प्रेषण करती है।
- यह सूचनाओं की प्रोसेसिंग करती है।
- यह सूचनाओं का पुनरुत्पादन करती है।
सूचना एवं संचार तकनीकी की प्रकृति है कि यह कम से कम समय व श्रम में अर्थपूर्ण तरीके से सूचनाओं की रचना करने, रिकॉर्डिंग करने, स्थान्तरण करने, संक्षिप्तीकरण करने, सम्प्रेषित करने तथा पुनरुत्पादन करने में सक्षम है। सूचना एवं संचार तकनीकी प्रकृति ने ही तकनीकी के विविध माध्यमों से न केवल भौतिक व भौगोलिक दूरियों को कम करके विश्व को एक वैश्विक गाँव बना दिया है अपितु मानवीय संबंधों व संपर्कों को और अधिक निकटवर्ती बना दिया है।
सूचना एवं संचार तकनीकी की आवश्यकता (Need of Information and Communication Technology)
सूचना एवं संचार तकनीकी से मानव जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जो इसके अनुप्रयोग से अछूता रह गया होगा। इसकी प्रमुख आवश्यकताओं को निम्न बिन्दुओं में व्यक्त कर सकते है-
सूचना एवं संचार तकनीकी-
- शिक्षा की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति हेतु व विद्यार्थियों की शैक्षिक एवं व्यावसायिक आवश्यकताओं पूरा करने के लिए।
- शिक्षा क्षेत्र से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की प्रमाणिक एवं अधतन सूचानों की प्राप्ति हेतु।
- शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को रूचिकर, सरल, सुगम एवं बोधपूर्ण बनाने हेतु। विद्यार्थियों की मानसिक योग्यता व कुशलता के अनुरूप पाठ्य सामग्री को विकसित करने एवं प्रस्तुतीकरण हेतु।
- शिक्षा के विभिन्न स्वरूपों (जैसे- औपचारिक, निरौपचारिक एवं अनौपचारिक) को सुरुचिपूर्ण, ग्रहणशील एवं प्रभावशाली बनाने हेतु। दूरस्थ शिक्षा के विभिन्न माध्यमों को सशक्त एवं प्रभावशाली बनाने हेतु।
- देश एवं राज्य के प्रत्येक दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्र तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच बनाने हेतु।
- शैक्षिक सूचनाओं एवं आकड़ों के संकलन, संग्रह व उपलब्धता का एक आधारभूत मंच बनाना जोकि सभी के लिए सर्वसुलभ हो।
- ऐसी तकनीकी एवं माध्यमों को विकसित करने हेतु जिनके द्वारा कम समय तथा न्यून लागत में अधिकतम को लाभान्वित किया जा सके।
- एक राष्ट्रीय तंत्र के सृजन एवं वेब-आधारित सामान्य व विशिष्ट मुक्त संसाधन विकसित करने
हेतु।
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