खुला विश्वविद्यालय से आपका क्या तात्पर्य है? इसकी विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए। मुक्त विश्वविद्यालय का अर्थ बताइए तथा इसकी विशेषताएँ क्या हैं? अथवा खुला विश्वविद्यालय की भारतीय शिक्षा में भूमिका/उपयोगिता को विस्तार से लिखिए।
खुला या मुक्त विश्वविद्यालय का अर्थ- खुला विश्वविद्यालय मौलिक रूप से दूरस्थ शिक्षा का ही एक स्वरूप है। दूरस्थ शिक्षा में जिन सिद्धान्तों का प्रयोग होता है लगभग उन सभी सिद्धान्तों का प्रयोग खुला विश्वविद्यालय के अन्तर्गत होता है। खुला विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तियों हेतु जो किसी कारणवश विश्वविद्यालयीय शिक्षा नहीं प्राप्त कर सके या जिसने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और अपने व्यवसाय/रोजगार से जुड़ गये, ऐसे लोगों को उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु स्थापित की गई। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम रॉबिन्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई, जिसकी रिपोर्ट में यह सिफारिश की गयी कि विश्वविद्यालयों को सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक ऐसी व्यवस्था को प्रारम्भ करना चाहिये जो देश के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके तथा समस्याओं का समाधान कर सके। 1969 में समिति की रिपोर्ट के पश्चात् रॉयल चार्टर के अन्तर्गत एक खुला विश्वविद्यालय की स्थापना लंदन में की गयी क्योंकि वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों के अन्तर्गत तत्कालीन उच्च शिक्षा समाज की आवश्यकताओं एवं समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही थी जबकि आज की परिस्थिति में ब्रिटेन में उच्च शिक्षा आवश्यक हो गयी थी। इसी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए ब्रिटेन में खुले विश्विविद्यालयों की स्थापना हुई। इन विश्वविद्यालयों में प्रवेश हेतु किसी भी प्रकार की शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं होती केवल व्यक्ति को 21 वर्ष की आयु का होना अनिवार्य है।
खुले विश्वविद्यालय की विशेषताएँ
1. मुक्त (खुला) विश्वविद्यालय सबके लिए खुला होता है। इसमें प्रवेश हेतु आधारभूत शैक्षिक योग्यता की कोई आवश्यकता नहीं होती। इसमें वे सब युवक, प्रौढ़, वृद्ध अपना पंजीकरण करा सकते हैं जो किन्हीं कारणों से उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकते। इनमें केवल पढ़ने लिखने की योग्यता का होना आवश्यक है।
2. ऐसे विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होती, वे अपने घर पर ही सुविधानुसार स्वाध्याय विधि द्वारा शिक्षा ग्रहण करते हैं।
3. ऐसे नागरिक जो किसी न किसी व्यवसाय, रोजगार, काम-धन्धों में लग जाते हैं उनको भी शिक्षा ग्रहण करने का लाभ प्राप्त हो जाता है।
4. खुले विश्वविद्यालयों द्वारा राष्ट्र के दूरस्था स्थानों पर रहने वाले व्यक्ति भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।
5. खुले विश्वविद्यालय जीवनपर्यन्त और सतत् शिक्षा में सफल हुए हैं। इनके द्वारा कोई भी व्यक्ति किसी भी समय अद्यतन (Up to date) ज्ञान, कौशल एवं तकनीकी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
6. खुले विश्वविद्यालय पत्राचार, आकाशवाणी, दूरदर्शन, टेपरिकार्डर, ऑडियो वीडियो कैसेटों इत्यादि के माध्यम से दूर बैठे लोगों को शिक्षा देते हैं। इस प्रकार शिक्षण की विविधता, नवीनता एवं रोचकता बनी रहती है।
7. खुले विश्वविद्यालय में अद्यतन पाठ्य सामग्री और अद्यतन शिक्षा तकनीकी का प्रयोग किया जाता है।
8. खुले विश्वविद्यालय श्रमिकों की शिक्षा को जीवनोपयोगी बनाने में सहायक सिद्ध
9. खुले विश्वविद्यालय के माध्यम से सामाजिक तथा आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त
खुले विश्वविद्यालय की शिक्षा में उपयोगिता
(1) भारत में सामाजिक, आर्थिक सुधार लाने एवं पिछड़े क्षेत्रों व पिछड़े वर्गों के लोगों तक उच्च शिक्षा के अवसर सुलभ कराने में खुले विश्वविद्यालय की भूमिका सराहनीय होंगे।
होगा।
होगी।
(2) कृषि व्यापार एवं अन्य उद्योगों में लगे कर्मियों के लिए मुक्त विश्वविद्यालय उपयुक्त पाठ्यक्रम व पाठ्य चर्चाओं का आयोजन कर सकते हैं।
(3) भारत में मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद है। यह व्यवस्था कम खर्चीली है।
(4) परम्परागत विश्वविद्यालयों में छात्रों की भीड़ बढ़ने से जो प्रवेश की समस्या उत्पन्न हो गयी है वह मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना से सुलझ लायेगी।
इस प्रकार खुले विश्वविद्यालयों का भारतवर्ष में बहुत ही उपयोग है।
इन्दिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर का खुला विश्वविद्यालय है और विश्व के दस मुक्त विश्वविद्यालयों में एक है जिसमें प्रति वर्ष 90,000 से अधिक नामांकन होते हैं। भारतवर्ष में कुल खुले विश्वविद्यालयों की संख्या निम्न प्रकार से है-
(1) नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय, कोलकाता-पश्चिम बंगाल।
(2) बी0आर0 अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय-हैदराबाद।
(3) इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) नई दिल्ली।
(4) पी0डी0 टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद-उत्तर प्रदेश।
(5) यशवन्तराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय, नासिक-महाराष्ट्र।
(6) कोटा मुक्त विश्वविद्यालय-राजस्थान।
(7) कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय मैसूर-कर्नाटक।
खुले विश्वविद्यालय की भारतीय शिक्षा में भूमिका-
खुले (मुक्त) विश्वविद्यालय का शिक्षण कार्य संचार के साधनों जैसे-पत्राचार दूरदर्शन, रेडियो, वीडियो कैसेट आदि दृश्य- श्रवण सामग्री द्वारा शिक्षण कार्य होता है। इस शिक्षण में नवीन शिक्षण तकनीकी और संचार पूरा करने के माध्यमों, कम्प्यूटर का प्रयोग होता है। इसमें सभी प्रश्न पत्रों की एक साथ परीक्षा देना ही बाध्यता नहीं होती है। मुक्त शिक्षा अभिकरण शिक्षा में नवाचार है। ये वर्तमान युग की बढ़ती हुई माँग को मूक्त शिक्षा साधन है।
खुले विश्वविद्यालय की इन्हीं सब विशेषताओं के कारण ही भारतीय शिक्षा में इनका अधिकतम उपयोग होने से देश की अधिकांश जनता शिक्षित होती है। शिक्षा का प्रसाद देश को उन्नति की ओर ले जाता है और इस पत्राचार रूपी खुले विश्वविद्यालय की शिक्षा भारत में नवजागरण की क्रान्ति ला सकती है।
ऐसे लोग जिनकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल कमजोर है तथा साधनहीन हैं वे शिक्षा नहीं ग्रहण कर सकते, वे लोग भी इस प्रकार के विश्वविद्यालयों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर अपने व अपने परिवार को खुशहाल बना सकते हैं। यही कारण है कि भारत जैसे विकासशील देश में खुला विश्वविद्यालय अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं क्योंकि इस शिक्षा में छात्र बंधन से मुक्त रहता है वह चहारदीवारी में बन्द नहीं रहता। इसके द्वारा सभी लोग अपना शिक्षा सम्बन्धी सपना साकार कर सकते हैं।
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