निर्विद्यालयीकरण अथवा विद्यालय रहित शिक्षा पर निबन्ध लिखिए।
निर्विद्यालयीकरण शिक्षा का अर्थ-
अमेरिकी विद्वान इवान इलिच ने एक समाज परिकल्पना प्रस्तुत की है जहाँ विद्यालय रहित शिक्षा हो। इस अवधारणा को निर्विद्यालयीकरण कहा गया है
- विद्यालय रहित शिक्षा का समर्थन करते हुए इवान इलिच ने वर्तमान विद्यालयों के दोषो को इंगित किया है।
- विद्यालय का विशिष्ट पाठ्यक्रम का न होना अलग-अलग कक्षाएं होती है और शिक्षण के लिए लम्बे घण्टों का होना।
- सर्वव्यापक शिक्षा के लिए विद्यालयों का न होना।
1. इलिच के मतानुसार, अस्त्रों– शस्त्रों की वृद्धि के समान विद्यालयों की वृद्धि भी विनाशकारी है। कितने भी धन की व्यवस्था क्यों न कर दी जाय विद्यालयों के लिए धन का अभाव सदा बना रहता है। धन के अभाव के कारण पर्याप्त मात्रा में विद्यालय खुल नहीं पाते और समान विद्यालयी शिक्षा सबकों उपलब्ध नहीं हो पाती।
2. इवान इलिच का कथन है कि अनिवार्य विद्यालयीय शिक्षा को शिक्षा के समान अवसर नहीं कह सकते हैं। आज अध्यापक द्वारा दिये जाने वाला शिक्षण प्रमाण-पत्र’ रूपी पार्सल बन गया है। व्यक्ति जब नौकरी पर जाता है तो ज्ञान को महत्व नहीं दिया जाता अपितु पूछा जाता है कि कितने लम्बे समय तक उसने विद्यालयी शिक्षा ग्रहण की है।
3. इलिच ने निर्विद्यालयीकरण का समर्थन करते हुए छिपे पाठ्यक्रम की ओर संकेत किया है। छिपा पाठ्यक्रम उस पाठ्यक्रम से भिन्न है जो किसी बार्ड या विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित होता है जिसे व्यक्ति पाठ्यक्रम कहा जाता है। व्यक्त पाठ्यक्रम का प्रयोजन वस्तुनिष्ठ गति से प्रकट किया जाता है। पाठ्य-विषय स्पष्ट और तर्कपूर्ण शब्दों में प्रकट किये जाते हैं।
4. इवान इलिच की मान्यता है कि शिक्षा में सुधार तब तक नहीं हो सकता जब तक हम यह समझ नहीं जाते कि न तो व्यक्तित्व सीखने में और न ही सामाजिक समता के विद्यालयी शिक्षण के द्वारा कोई प्रगति हो सकती है। ऐसी स्थिति में निर्विद्यालयीकरण शिक्षा का एक साधन है
निर्विद्यालयी शिक्षा के सम्बन्ध में इलिच ने निम्न सुझाव दिये हैं जो निम्न प्रकार से है-
(1) उन नियन्त्रण को समाप्त करना जो व्यक्ति एवं संस्थाएँ अपने शैक्षिक मूल्यों के ऊपर हों।
(2) सीखने की स्वतन्त्रता का अनुमोदन कर कौशल की भागीदारी को उन्मुक्त करना।
(3) व्यक्तियों के आलोचनात्मक और सृजनात्मक साधनों को स्वतन्त्र करना जो संस्थाएँ जनता की ओर से बोलने का दावा करती हैं, वे एकाधिकार की प्रवृत्ति को स्थापित कर रही हैं। इन संस्थाओं से उन्मुक्ति करना।
(4) स्थापित संस्था द्वारा दी जाने वाली मिथ्या सेवा की आशाओं से व्यक्तियों को मुक्त करना, उन्हें ऐसे अवसर देना कि वे अपने साथियों के सम्पर्क में आकर उन्हें सीख सकें।
इवान इलिच का कथन है कि शिक्षा और राजनीति के विभेद पर आज भी विश्व- व्यवस्था और राष्ट्रों का स्थायित्व टिका हुआ है। निर्विद्यालयन ऐसे विभेद को मिटाने में सफल होगा तथा विद्यालयों का विस्थापन अवश्य होगा और जल्द से जल्द होगा। विस्थापन की यह प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
निर्विद्यालयीकरण की प्रक्रिया प्रभावपूर्ण हो इसके लिए यह नियम पूर्ण हो कि विद्यालय की उपस्थिति के आधार पर नियुक्ति करने में, मत देने में तथा शिक्षण केन्द्रों के प्रवेश में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
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