साक्षात्कार के प्रकारों का वर्णन कीजिये।
साक्षात्कार के प्रकार
साक्षात्कार प्रविधि का प्रयोग केवल सामाजिक अनुसन्धान की एक प्रविधि तक ही सीमित न होकर अन्य कई क्षेत्रों में भी उपयोगी पायी जाती है। साक्षात्कार को निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
(क) कार्यों के आधार पर
- (1) कारण परीक्षक साक्षात्कार
- (2) उपचार साक्षात्कार
- (3) अन्वेषणात्मक साक्षात्कार
(ख) उत्तरदाताओं की संख्या के अनुसार
- (4) व्यक्तिगत साक्षात्कार
- (5) सामूहिक साक्षात्कार
(ग) अध्ययन पद्धति के आधार पर
- (6) अनिर्देशित साक्षात्कार
- (7) केन्द्रित साक्षात्कार
- (8) पुनरावृत्ति साक्षात्कार
(घ) औपचारिकता के अनुसार
- (9) औपचारिक साक्षात्कार
- (10) अनौपचारिक साक्षात्कार
(1) कारक परीक्षक साक्षात्कार –
इस प्रकार के साक्षात्कार का उद्देश्य सामाजिक समस्या या घटना के कार्यकारण सम्बन्धों की खोज करना होता है।
(2) उपचार साक्षात्कार –
इस प्रकार के साक्षात्कार में सामाजिक व्याधिको को दूर करने का प्रयास किया जाता है, सम्बन्धित सुझावों को प्रस्तुत किया जाता है।
(3) अन्वेषणात्मक साक्षात्कार –
इस प्रकार के साक्षात्कार का उद्देश्य सामाजिक घटनाओं से सम्बन्धित नवीन आयामों को ढूँढ़ निकालना होता है।
(4) व्यक्तिगत साक्षात्कार –
इसके अन्तर्गत साक्षात्कार के समय साक्षात्कारदाता अकेला होता है। अन्य शब्दों में साक्षात्कारकर्ता समय विशेष पर केवल एक ही साक्षात्कारदाता से प्रश्नोत्तर करता है। सिन पाओ यांग के अनुसार, “व्यक्तिगत साक्षात्कार एक व्यक्ति को दूसर व्यक्तित के साथ मिलाता है।” इस प्रविधि द्वारा सत्य, सूक्ष्म तथा पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। व्यक्तिगत पक्षपात, धन के खर्च के सिवाय यह उत्तम कोटि की प्रविधि है।
(5) सामूहिक साक्षात्कार –
इस प्रकार के साक्षात्कार में एक ही समय अनेक साक्षात्कारदाताओं का साक्षात्कार लिया जाता है। समूहवाद विवाद इसी का एक विशिष्ट स्वरूप है। इस प्रविधि में एक ही समय में, कम खर्च में अधिक संख्या में व्यक्तियों का साक्षात्कार संभव हो जाता है। व्यक्तिगत पक्षपात की सम्भावना कम हो जाती है।
(6) अनिर्देशित साक्षात्कार –
इसका स्वरूप अनियन्त्रित तथा असंचालित साक्षात्कार जैसा होता है। साक्षात्कारकर्ता साक्षात्कारदाता या साक्षात्कारदाताओं के सम्मुख कोई समस्या या विषय को प्रस्तुत कर देता है, साक्षात्कारदाता उस पर निर्मुक्त रूप से प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। साक्षात्कारकर्ता धैर्यपूर्वक उसके विचार को संकलित या स्मरण करता है।
(7) केन्द्रित साक्षात्कार –
इस प्रकार के साक्षात्कार के सम्बन्ध में प्रसिद्ध अमेरिकन समाजशास्त्री राबर्ट के० मर्टन का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में यह आवश्यक है कि साक्षात्कारदाता किसी निश्चित व परिस्थिति विशेष में रह चुका हो। साक्षात्कारकर्ता अपना ध्यान इस बात पर केन्द्रित करता है कि उस (बीती हुई) घटना या परिस्थिति का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ा? यह बहुत कुछ स्वतन्त्र साक्षात्कार के समान होता है।
(8) पुनरावृत्ति साक्षात्कार –
कुछ सामाजिक घटनाओं या तथ्यों के घटित होने में पुनरावृत्ति पायी जाती है। सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी घटनाओं में यह विशेष बात है। इस प्रकार की घटनाओं का अध्ययन करने के लिए पुनरावृत्ति साक्षात्कार का प्रयोग किया जाता है।
(9) औपचारिक साक्षात्कार –
इस प्रकार के साक्षात्कार में अनेक औपचारिकताओं यथा साक्षात्कार गाइड, साक्षात्कारकर्ता पर नियन्त्रण, अन्य पूर्ण नियोजनायें का पालन करना पड़ता है। इसे संरचित साक्षात्कार भी कहा जा सकता है। प्रश्न तथा प्रश्नों की संख्या पूर्वनिर्धारित होते हैं। इसे नियोजित साक्षात्कार की संज्ञा दी जा सकती है
(10) अनौपचारिक साक्षात्कार –
इस प्रकार की साक्षात्कार प्रविधि को अनियन्त्रित या स्वतन्त्र साक्षात्कार प्रविधि भी कहा जा सकता है। इसमें प्रश्नों की प्रकृति व संख्या के सम्बन्ध में साक्षात्कार पर कोई विशेष नियन्त्रण नहीं होता है। प्रश्नों के पूछने के बारे में साक्षात्कारकर्ता पूर्णरूपेण स्वतन्त्र होता है। इसमें किसी अनुसूची की मदद नहीं की जाती है। साक्षात्कारदाता अपने विचारों को स्वतन्त्र रूप से कहानी या दर्शन के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करता है। इसी वर्णन या विवेचन के आधार पर निष्कर्ष निकालता है। इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग मनोवैज्ञानिक अध्ययन के लिए विशेष उपयुक्त होता है।
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