प्रोटेस्टेन्ट नीति और पूँजीवाद की आत्मा सम्बन्धी मैक्स वेबर के विचार
प्रोटेस्टेन्ट आचार और पूँजीवाद की आत्मा – वेबर का मत है कि पूँजीवादी अर्थात विभिन्न ऐतिहासिक अवस्थाओं में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहे हैं किन्तु आधुनिक पूँजीवाद का स्वरूप उनसे पूर्णतया भिन्न है। इन्हीं विशेषताओं को वेबर ने ‘पूँजीवाद की आत्मा’ की संज्ञा दी है। इसका तात्पर्य धन को संचय करने वाली रुचियों और इनसे सम्बन्धित क्रियाओं से है। यह निःसन्देह एक प्रवृत्ति है जो संचयी क्रियाओं को प्रोत्साहित करती है, किन्तु प्रत्येक रूप मेंनहीं। यह एक विशेष प्रकार की प्रवृत्ति है।
मैक्स वेबर ने प्राटेस्टेन्ट नैतिकता और पूँजीवाद की प्रवृत्ति के मध्य एक सकारात्मक सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास किया है। वेबर का मत है कि पाश्चात्य पूँजीवाद ने जो स्वरूप लिया है, वह प्रोटेस्टेन्ट नैतिकता के गुणों पर आधारित है। वेबर का यह मत था कि प्रोटेस्टेन्ट नैतिकता का पूँजीवाद की प्रवृत्ति से गहरा सम्बन्ध है। इसी सम्बन्ध की व्याख्या करते हेतु उसने प्रोटेस्टेन्ट नैतिकता की प्रवृत्ति के आदर्श प्रारूप निर्माण किये हैं।
मैक्स वेबर ने जिस तरह से विभिन्न धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन का कुछ ऐसे तत्वों की ओर संकेत किया कि प्रत्येक धर्म में आर्थिक आचार निहित होते हैं। इसका जन्म अनेक कारकों के फलस्वरूप होता है, किन्तु इन सभी कारकों में धार्मिक तत्वों का प्रभाव अधिक होता है। इस तरह वेबर ने धर्म को अर्थशास्त्र के साथ जोड़ दिया। एक नयी अवधारणा को स्थापित किया कि प्रोटेस्टेन्ट धर्म का आर्थिक आचारशास्त्र आधुनिक पूँजीवाद के विकास के लिए सर्वाधिक अनुकूल था। इस अवधारणा की व्याख्या उसकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘प्रोटेस्टेन्ट इथिक एण्ड द स्प्रिट ऑफ कैपिटेलिज्म’ में देखने को मिलती है।
वेबर का मत है कि पूँजीवादी अर्थतंत्र अनेक तरह की अवस्थाओं में विद्यमान था लेकिन आधुनिक पूँजीवाद का स्वरूप इनसे पूर्णतया भिन्न है। इन्हीं विशेषताओं को वेबर ने ‘पूँजीवाद की आत्मा का नाम दिया है। मैक्स वेबर ने जिन आधुनिक पूँजीवाद की विशेषताओं की विवेचना की है वे निम्नलिखित है:-
- बड़े पैमाने पर उत्पादन
- वैज्ञानिक आधार पर व्यावसायिक संगठनों का निर्माण
- उत्पादन की वस्तुओं का संगठित बाजार
- वैयक्तिक सम्पत्ति पर आधारित व्यवसाय
- धन के लिए वस्तुओं का उत्पादन
- कार्य कुशलता और पेशे तथा व्यवसाय के प्रति निष्ठा
- कार्य की कुशलता औरव्यवस्थित उत्पादनके लिए श्रमविभाजन और विशेषीकरण
- वे व्यक्ति और श्रमिक जो अपने कार्य में दक्ष और कुशल हैं वे धन भी अर्जित करते हैं और सम्मान भी।
ये विशेषतायें पूंजीवाद की आत्मा’ है। इनके योग को मैक्स वेबर ने पूंजीवाद का आदर्श पुरुष कहा है। वेबर प्रोटेस्टेन्ट धर्म को अत्यधिक मान्यता देता है और श्रेष्ठ मानता है। इसलिए पूँजीवाद के विकास में इस धर्म की अपनी महत्ता है। वे देश जो प्रोटेस्टेन्ट धर्म के अनुयायी हैं वहाँ पूँजीवाद फलफूल रहा है और विकसित हुआ है। अपने विचार के पक्ष में वह तर्क देता है और प्रोटेस्टेन्ट आचार संहिता के आदर्श प्रारूप तैयार करता है जिसकी कुछ मुख्य विशेषतायें निम्नलिखित हैं:-
- समय ही धन है।
- कर्म ही पूजा है।
- धन कमाना धन बचाने के समान है।
- ईमानदारी सर्वोतम नीति है।
- ब्याज का महत्व है।
- व्यापार में सावधानी से हिसाब रखना।
- किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है परिश्रम, वफादारी, कार्य-कुशलता और ईमानदारी।
वेबर का यह मत है कि पूँजीपति सम्पत्ति की इच्छा इसलिए नहीं करता है कि वह और सुखी रहे और विलासिता का जीवन जिये बल्कि वह और अधिक धन अर्जित करने की इच्छा रखता है। धन के लिए धन अर्जित करने की तीव्र इच्छा आधुनिक पूँजीवाद की मुख्य विशेषता है। पूँजीवादी का एकमात्र लक्ष्य है असीमित लाभ का अर्जन करना। इस तरह पूँजीवाद की प्रवृत्ति एक ऐसी कार्य- नैतिकता पर आधारित होती है जिसका एकमात्र लक्ष्य है सम्पत्ति के लिए सम्पत्ति का संचयन करना।
प्रोटेस्टेन्टवाद क्या है?
यह विरोध का धर्म है जिसका जन्म 16वीं सदी में योरोप में सुधारवाद के युग में हुआ। इसके प्रवर्तक मर्टिन लूथर और जान काल्विन थे जिन्होंने कैथोलिक चर्च से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया था। प्रोटेस्टेन्ट धर्म के मानने वालों का यह विचार था कि कैथोलिक सम्प्रदाय के लोग रूढ़िवादी बन गये और सामान्य जनता से उनका सम्पर्क टूट गया है। चर्च भ्रष्टाचार के अड्डे बन गये। पादरी राजाओं जैसा विलासी जीवन जीने लगे हैं। प्रोटेस्टेन्ट धर्म के अनुयायियों ने अपने वैचारिक आन्दोलन के द्वारा चर्च की खोयी प्रतिष्ठा को पुनः वापस दिलाने के लिए प्रयास किया। इस धर्म के लोगों ने सादगी, सरलता और निष्ठा पर बल दिया। यह संदेश था कैथोलिक धर्म के अनयायियों के लिए जो पथ-भ्रष्ट हो रहे थे। मैक्स वेबर इस बात को दोहराता रहा कि प्रोटेस्टेन्ट धर्म के मानने वालों ने ही शिक्षा और व्यवसाय में अत्यधिक प्रगति की है। वे उच्च पदों पर आसीन है। दक्ष कारीगर और उद्योगपति हैं। इस तरह मैक्स वेबर प्रोटेस्टेन्ट आचार की नीतियों का इतना बड़ा समर्थक है कि उसे पूँजीवाद के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक मानता है। इसीलिए आधुनिक पूँजीवाद प्रोटेस्टेन्ट धर्म से जन्मा है। उसकी नीतियों ने पूँजीवाद को पनपने और विकसित पूँजीवाद की आत्मा कहा गया है। यह कहा जाता है कि होने में प्रेरणा दी है। इस सम्बन्ध में सोरोकिन ने लिखा है कि ‘आधुनिक पाश्चात्य पूँजीवाद प्रोटेस्टेन्ट धर्म और उसके आचारशास्त्र से उत्पन्न हुआ है। आधुनिक पूँजीवाद की प्रेरणा प्रोटेस्टेन्ट धर्म, उसके आचरण के नियम और व्यवहारिक आचारशास्त्र में है।’ वीरस्टीड भी मैक्स वेबर के प्रोटेस्टेन्ट धर्म के सम्बन्ध में कहते हैं ‘प्रोटेस्टेन्ट धर्म में ही कुछ ऐसी चीज है जिसकी सहायता से ऐसी आर्थिक मान्यतायें उत्पन्न हुई जिसे हम पूँजीवाद के नाम से जानते हैं, यह प्रोटेस्टेन्ट धर्म, धर्म सुधार ही था जिसने प्रत्यक्ष रूप से पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को विकसित होने की प्रेरणा दी।’
हम यह कह सकते हैं कि मैक्स वेबर ने अपने प्रोटेस्टेन्ट आचार और धर्म के आधार पर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि वे देश जहाँ प्रोटेस्टेन्ट धर्म है वे धनी भी हैं और वहाँ पूँजीवाद का विकास भी हुआ। इन देशों में अमेरिका, इंग्लैण्ड और हालैण्ड प्रमुख हैं। इसके प्रोटेस्टेन्ट धर्म के अनुयायी हैं।
मैक्स-वेबर मार्क्स के आर्थिक-बुनियादी दशाओं को महत्व तो देता है परन्तु वह यह सुझाव देता है कि अन्य चीजों की भी छान-बीन होनी चाहिए। उसका यह कहना कदापि नहीं था कि प्रोटेस्टेन्टवाद पूँजीवाद का कारण है अथवा इस तरह के बेवकूफों के तर्क देना उचित नहीं हैं। वह अन्तिम पैरा में कहता है कि उसने प्रभाव की एक निश्चित दिशा बताई है। उसकी दृष्टि में यह आधा-अधूरा काम-अधूरा काम था। वेबर को यह सर्वप्रथम स्वीकार करना चाहिए कि आर्थिक और राजनैतिक विकास धार्मिक मतों को प्रभावित करते हैं। आधुनिक आलोचक प्रोटेस्टेर धर्म और पूँजीवाद के मध्य सम्बन्ध को पूरी तरह से नकारते हैं।
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