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व्यक्तिगत अध्ययन विधि- विशेषताएँ, गुण, सीमाएँ

व्यक्तिगत अध्ययन विधि
व्यक्तिगत अध्ययन विधि

व्यक्तिगत अध्ययन (Case Study )

किसी भी व्यक्ति का अध्ययन करने के लिए व्यक्तिगत सूचनाएँ एकत्र करना आवश्यक है व्यक्तिगत अध्ययन का अर्थ है व्यक्ति के इतिहास का अध्ययन और व्यक्ति के इतिहास से आशय है व्यक्ति की नियमित, पूर्ण एवं विस्तृत जानकारी। क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, “व्यक्ति के इतिहास में व्यक्ति का भूत एवं वर्तमान दोनों काल शामिल होते हैं इसका प्रयोग विद्यार्थी की ज्वलन्त समस्याओं का समाधान करने तक सीमित रहता है।”

व्यक्ति अध्ययन एक विस्तृत अध्ययन है, जिसमें अनेक बातें, व्याख्याएँ, चर्चाएँ, वृत्तान्त, प्रस्तुतियाँ एवं संस्तुतियाँ शामिल हैं।

इंगलिश और इंगलिश के अनुसार, “व्यक्ति अध्ययन उन सभी उपलब्ध सूचनाओं जैसे- सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक जीवन सम्बन्धी, वातावरण सम्बन्धी तथा व्यवसायिक, का संग्रह है जिनसे एक व्यक्ति या परिवार जैसी इकाई की सहायता की जा सके।”

ट्रैक्सलर (Traxler) के अनुसार,- व्यक्ति अध्ययन किसी व्यक्ति का उसके उत्तम समायोजन के लिए किया गया विस्तृत अध्ययन है।”

वाई.एच. पाओ (Y.H. Pao) के अनुसार, “व्यक्ति अध्ययन किसी व्यक्ति का लघु लेकिन विस्तृत अध्ययन होता है जिसमें अध्ययनकर्ता अपने सभी कौशलों और विधियों का प्रयोग करता है या किसी व्यक्ति के बारे में पर्याप्त सूचना को क्रमबद्ध तरीके से एकत्रित करता है, जिससे कोई भी यह समझ सके कि वह व्यक्ति या स्त्री सामाजिक इकाई के रूप में किस प्रकार कार्य करेगा या करेगी।”

पी.सी. यंग. (P.C. Young) के अनुसार, किसी व्यक्ति या समूह का विस्तृत अध्ययन ही व्यक्ति अध्ययन का जीवन होता है।

व्यक्ति अध्ययन तथा व्यक्ति इतिहास में अन्तर होता है। व्यक्ति इतिहास में किसी व्यक्ति के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं का रिकार्ड होता है, उसके भूतकाल से जुड़ी समस्याओं का रिकार्ड होता है किन्तु उसके निवारण और विकास के विषय में कोई उपक्रम नहीं किया जाता है।

जबकि व्यक्ति अध्ययन में व्यक्ति के इतिहास से प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण किया जाता है और उसकी समस्याओं के कारणों की खोज की जाती है तथा व्यक्ति के व्यवहार व क्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है। व्यक्ति के समायोजन का भी निरीक्षण किया जाता है और उसका विकास एक सम्पूर्ण व्यक्ति के रूप में किया जाता है।

सही अर्थों में व्यक्ति अध्ययन व्यक्ति की उन सूचनाओं का संकलन है जिनको जानने के बाद व्यक्ति को सही निर्देशन व परामर्श प्रदान किया जाता है। अतः इस अध्ययन के द्वारा व्यक्ति की रुचियाँ, योग्यताएँ, शौक्षिक योग्यताएँ, मानसिक योग्यताएँ, कुशलताओं की जानकारी प्राप्त की जाती है। इसके साथ-साथ व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिति, सामाजिक परिपक्वता से सम्बन्धित सूचनाएँ एकत्रित कर उसकी समस्याओं की जानकारी प्राप्त की जाती है और उसका समाधान प्रस्तुत किया जाता है। व्यक्ति अध्ययन के द्वारा व्यक्ति के अतीत की जानकारी ली जाती है, वर्तमान की कार्य प्रणाली निर्धारित की जाती है और भविष्य के विषय में योजना बनायी जाती है।

व्यक्तिगत अध्ययन की विशेषताएँ (Characteristics of Case Study)

व्यक्तिगत अध्ययन में निम्नलिखित विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है-

(1) व्यक्तिगत अध्ययन एकत्रित किए आँकड़ों का विस्तृत रूप है।

(2) इस अध्ययन में सभी उपलब्ध सूचनाओं का संकलन किया जाता है।

(3) व्यक्तिगत अध्ययन का प्रयोग जटिल समस्याओं के समाधान में किया जाता है।

(4) इस अध्ययन का संचालन बेहतर समायोजन लाने के लिए किया जाता है।

(5) व्यक्ति अध्ययन में व्यक्ति का सम्पूर्ण निरीक्षण किया जाता है और एक सम्पूर्ण व्यक्ति के रूप में विकास किया जाता है।

(6) शिक्षा में इस अध्ययन का उपयोग कुसमायोजित बच्चों के अध्ययन में किया जाता है।

(7) व्यक्ति अध्ययन में जन्म से लेकर आगे तक के व्यक्तिगत इतिहास से जुड़े तथ्यों को सम्मिलित किया जाता है।

(8) व्यक्तिगत अध्ययन में व्यक्ति के व्यवहारों व कार्यों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है जिनकी आवश्यकता समस्या के समाधान और उपचार के लिए पड़ती है।

(9) व्यक्ति अध्ययन किसी व्यक्ति के ज्ञान तथ्यों का संक्षिप्त रूप है।

(10) व्यक्ति अध्ययन में एकत्रित आँकड़ों का विश्लेषण करके उनमें अन्तः सम्बन्धों का पता लगाया है ।

व्यक्तिगत अध्ययन विधि के गुण (Merits of Case Study Method)

व्यक्तिगत अध्ययन विधि के गुण निम्नलिखित हैं-

(1) व्यक्तियों के विकासात्मक अध्ययन के आधार पर मानव स्वभाव की व्याख्या करने में यह पद्धति अधिक सफल रही है। अध्ययन पद्धति के द्वारा मानव-स्वभाव के स्वरूप की सूक्ष्मतम व्याख्या प्रस्तुत होती है।

(2) इस अध्ययन पद्धति का विकासात्मक स्वरूप मानसिक रोगियों व अपराधियों के अध्ययन के आधार पर मानव में अभिवृत्तियों के विकास के प्रति भी महत्वपूर्ण निर्णायक प्रकाश डालता है।

(3) एक इकाई का गहन तथा दीर्घकालीन अध्ययन इस पद्धति द्वारा किया जाता है। अतः इसके इकाई का सूक्ष्मतम विश्लेषणात्मक अध्ययन साध्य रहता है।

(4) मानव व्यवहार के व्यक्तिगत भावनाएँ मनोवृत्तियाँ इच्छाएँ मूल्य एवं विचार इत्यादि अमूर्त पक्ष है। इस विधि द्वारा अमूर्त व्यवहारों का अध्ययन सूक्ष्मता एवं गहनता से किया जा सकता है।

(5) विश्लेषणात्मक अध्ययन द्वारा कुछ शीलगुणों को प्रधान तथा कुछ को गौण रूप प्रदान करती है। अतः इससे विशिष्ट प्रेरक शक्ति मानव के विभिन्न शीलगुणों के अध्ययन से प्राप्त होती है।

(6) इस विधि से प्राप्त अध्ययन परिणामों से महत्त्वपूर्ण तथा अति उपयोगी सूचनाएं प्राप्त होती है जो आगे के अध्ययन में सहायक होती है।

व्यक्ति अध्ययन की सीमाएँ (Limitations of Case Study )

व्यक्ति अध्ययन की कुछ सीमाएँ हैं जिनका प्रभाव अध्ययन पर पड़ता है-

(1) व्यक्ति अध्ययन अधिकतर व्यक्तिनिष्ठ होता है अतः वस्तुनिष्ठता का इसमें अभाव होता है जिसके कारण वैज्ञानिक शुद्धता में कमी आ जाती है।

(2) आँकड़ों के एकत्रीकरण में निश्चित क्रम का अभाव होता है जिसके कारण आँकड़ें अस्त-व्यस्त ढंग से एकत्र होते हैं परिणामस्वरूप सांख्यिकीय गणना में सही परिणाम आने की संभावना नही होती है।

(3) परिकल्पनाएँ करने में कठिनाई होती है।

(4) समय और धन अधिक लगता है।

(5) कई बार ऐसा भी होता है कि माता-पिता एवं सम्बन्धी व्यक्ति के बारे में सही सूचनाएँ नहीं प्रदान करते हैं और कमियों को छुपा लेते हैं।

(6) व्यक्ति अध्ययन ज्ञान के क्षेत्र में अपना कोई योगदान नहीं करता यह केवल संशोधन कर सकता है।

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