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सोशल मीडिया का अर्थ एवं परिभाषाएँ | शिक्षा में प्रयुक्त सोशल मीडिया साधन

सोशल मीडिया का अर्थ एवं परिभाषाएँ
सोशल मीडिया का अर्थ एवं परिभाषाएँ

सोशल मीडिया का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Social Media)

सोशल मीडिया पारस्परिक सम्बन्ध के लिए अन्तर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूहों को सन्दर्भित करता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह दूसरों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहता है। आज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया क्रान्ति के रूप में उभर कर सामने आया है फिर चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो । सोशल मीडिया ने अपनी अलग पहचान बना ली है। आज चाहे युवा वर्ग हो, राजनैतिक क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र, तकनीकी क्षेत्र हो या अन्य कोई क्षेत्र हो सोशल मीडिया ने प्रत्येक क्षेत्र को अपने में स्थापित कर लिया है। सोशल मीडिया ने वैचारिक क्रान्ति को जन्म दिया हैं, इस माध्यम ने अयोग्य सरकारों को पदविहीन करने, बेहतरीन सोच विकसित करने आदि के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के परे राजनीतिक परिदृश्य को बदल कर रख दिया है।

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, ऐसी वेबसाइट और एप्लिकेशन्स जो उपभोक्ताओं को सामग्रियाँ तैयार करने और उसे साझा करने में समर्थ बनाए या सोशल नेटवर्किंग में हिस्सा लेने में समर्थ करें उसे सोशल मीडिया कहा जाता है।

विकीपीडिया के अनुसार, सोशल मीडिया लोगों के मध्य सामाजिक विचार-विमर्श का माध्यम है जिसके अन्तर्गत वे परोक्ष समुदाय व नेटवर्क पर सूचना तैयार करते हैं तथा उन्हें शेयर व आदान-प्रदान करते हैं।

कुल मिलाकर सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट ऐसा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हैं जिसके माध्यम से लोग उक्त माध्यम में सम्मिलित सदस्यों के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। विश्वभर में 200 सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं जिनमें फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, फ्लिकर, माइ स्पेस सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।

नवीन एवं उभरती हुई तकनीकी सुविधाओं के प्रयोग से अधिगम प्रक्रिया में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। तकनीकी के प्रयोग से शिक्षा का सार्वभौमीकरण हुआ है एवं शिक्षा का प्रसार जनसामान्य तक सुचारू रूप से होने लगा है। वर्तमान समय में छात्र विश्व के किसी भी भाग से किसी विषय पर तकनीकी सुविधाओं का प्रयोग कर अधिगम प्राप्त कर सकते हैं। यह सिर्फ और सिर्फ अधिगम हेतु उपलब्ध तकनीकों के प्रयोग से ही सम्भव हो सका है। अधिगम हेतु कक्षा-कक्षा की प्रमुख तकनीकों का वर्णन आगे किया गया है।

शिक्षा में प्रयुक्त सोशल मीडिया साधन (Main Social Media Means Used in Education)

(1) इलेक्ट्रॉनिक मेल या ई-मेल (E-Mail)

प्राचीन समय में हम पत्रों या अन्य दस्तावेजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए डाक (Post) का इस्तेमाल करते थे जो कि असुरक्षित, कठिन व अधिक समय लेने वाला होता था परन्तु आज इण्टरनेट की सेवा ई-मेल द्वारा यह कार्य अधिक आसान हो गया है। आज तुरन्त एक सेकेण्ड में ही अपनी Post देश-विदेश के किसी भी कोने में पहुँचा सकते हैं। अतः इलेक्ट्रॉनिक मेल से तात्पर्य इण्टरनेट पर उपलब्ध उस साधन या सेवा से है जिसका उपयोग कहीं भी बैठे हुए व्यक्तियों के बीच सन्देश या दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। ई-मेल (E-mail) में सन्देश किसी व्यक्ति द्वारा नहीं पहुँचाया जाता बल्कि इण्टरनेट के नेटवर्क पर इलेक्ट्रॉनिक सन्देश के रूप में एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर आते हुए अपनी सही जगह पर उपलब्ध कराया जाता है। इस तरह सन्देशों को आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाया जाता है। अतः यदि कोई सूचना अथवा दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में स्थानान्तरित हो जाए तो इसे इलेक्ट्रॉनिक मेल कहा जाएगा।

E-Mail

“यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें इलेक्ट्रानिक नेटवर्क तथा उसके बाहर विभिन्न प्रकार के लिखित सन्देशों का आदान-प्रदान किया जाता है।”

“It is a system for exchanging written messages electronically through network and beyond.”

यदि हमें किसी व्यक्ति को इण्टरनेट की सहायता से मेल भेजना है तो हमें उस व्यक्ति का E-mail Address पता होना चाहिए तभी हम उसे ई-मेल कर सकते हैं। हॉटमेल (Hotmail), याहू (Yahoo ), रेडिफ मेल (Rediffmail) जीमेल (Gmail) आदि अनेक ऐसे इण्टरनेट सर्वर हैं जो मुफ्त (Free) मेल भेजने तथा अपना एकाउन्ट बनाने की सुविधा देते हैं, जैसे- shubham@yahoo.com

(2) गूगल टॉक (Google Talk)

गूगल टॉक गूगल की इण्टरनेट चैटिंग सेवा है। यह गूगल के विभिन्न प्रकल्पों (Projects) में उपलब्ध है जिनमें जी-मेल (G-mail) भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इसके लिए गूगल टॉक नाम से एक डेस्कटॉप क्लाइंट (इंस्टैंट मैसेंजर) (Instant Messenger ) तथा गूगल टॉक गैजट (Google Talk Gadget) नाम से एक Web Client वेब क्लाइंट भी उपलब्ध है। मोबाइल फोन के लिए जीटॉक मोबाइल (Gtalk Mobile) नाम से एक थर्ड पार्टी क्लाइंट हैं। गूगल टॉक, ‘Google Talk’ (GT), गूगल चैट ‘Google Chat’ (GC) और गूगल मैसेंजिंग ‘Google Messaging’ के नाम से भी जाना जाता है।

गूगल टॉक

गूगल टॉक का उपयोग केवल Gmail users ही कर सकते हैं और जो भी चैटिंग या बातचीत की जाती है वह अपने आप ही (automatic) जी-मेल एकाउन्ट (G-mail account) में सुरक्षित (Saved) हो जाती है परन्तु अधिक समय होने पर बातचीत या चैटिंग को direct download करना सम्भव नहीं होता परन्तु 2011 में नया फीचर आने से IMAP की सहायता से चैटिंग को डाउनलोड किया जाने लगा। अतः गूगल टॉक अथवा जी गूगल, गूगल चैट हेतु एक डेस्कटॉप चैट क्लाइंट (Instant Messenger) है।

(3) ऑफलाइन मैसेजिंग (Offline Messaging)

31 अक्टूबर 2006 में ने गूगल गूगल टॉक के ऑफलाइन मैसेज से अवगत कराया। ये उपभोगकर्ताओं को अपने संदेश भेजने की अनुमति देता है जो उनके contact list में है। यदि संदेश प्राप्त करने वाला व्यक्ति ऑनलाइन नहीं है फिर भी वह संदेश प्राप्त कर सकता है। वह संदेश Hold में रहेगा जब उपभोगकर्ता ऑनलाइन होता है तब वह उन प्राप्त संदेशों को पढ़ सकता है। (इसी प्रकार की सुविधा आजकल WhatsApp में भी उपलब्ध है) उन संदेशों का उत्तर भी दे सकता है कहने का तात्पर्य है कि यदि दोनों उपभोगकर्ता ऑनलाइन है तो तुरन्त संदेशों को प्राप्त कर सकते हैं भेज सकते हैं और यदि एक व्यक्ति (एक उपभोगकर्ता) ऑनलाइन नहीं है तो ऐसी स्थिति में उसके G-mail Account की ID पर संदेश जाएंगे जो कि hold में रहेंगे और ऑनलाइन आने पर वह संदेश उस व्यक्ति तक पहुँच जाएगा अतः ऑफलाइन में भी संदेश भेजने की सुविधा प्राप्त होती है।

(4) स्काइप (Skype)

इण्टरनेट कॉलिंग में स्काइप (Skype) तकनीकी का नाम प्रमुख रूप से जाना जाता है। स्काइप एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम है जो इण्टरनेट पर किसी व्यक्ति, जो कि स्काइप का प्रयोग कर रहा है, को निःशुल्क वॉइस कॉल (Free Voice Call) करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह निःशुल्क (Free) है इसे डाउनलोड करना एवं प्रयोग करना बहुत आसान है। इससे मोबाइल फोन और लैण्डलाइन फोन की तरह बातचीत की जा सकती है। बातचीत के समय आप एक दूसरे को देख भी (Face to Face) सकते हैं। आज स्काइप के माध्यम से बातचीत करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

स्काइप

एक बार स्काइप (Skype) सॉफ्टवेयर को डाउनलोड, रजिस्ट्रेशन और इन्स्टाल (Install) कर लेते हैं तो स्काइप का प्रयोग करने के लिए अपने कम्प्यूटर में एक हैण्डसेट, स्पीकर्स अथवा यू.एस.बी. फोन जोड़ना होगा। इसे हम अपने मोबाइल पर भी डाउनलोड कर सकते हैं।

स्काइप प्रयोग के आवश्यक उपकरण (Necessary Tools for the Use of Skype)

स्काइप का प्रयोग करने के लिए निम्नलिखित उपकरणों की आवश्यकता होती है-

(i) एक कम्प्यूटर, जिसकी समुचित प्रोसेसिंग पॉवर और मेमोरी हो या एनड्रॉयड / विन्डोज (Android/Windows) मोबाइल।

(ii) एक अच्छा इण्टरनेट कनेक्शन।

(iii) कम्प्यूटर में साउन्ड कार्ड उचित (Proper ) रूप से काम कर रहा हो।

(iv) स्पीकर अथवा हैडफोन

(v) माइक्रोफोन।

(vi) स्काइप सॉफ्टवेयर जो कि www.skype.com से निःशुल्क (Free) डाउनलोड किया जा सकता है।

(5) वेबिनार (Webinar)

Webinar को तकनीकी भाषा में अम्ब्रेला टर्म (Umbrella Term) के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रयोग से इण्टरनेट द्वारा विभिन्न विषयों पर बहुभाषीय व्यक्तियों को एक साथ एक ही समय में और अलग-अलग स्थानों पर भी अपने विचारों का एक-दूसरे को आदान-प्रदान किया जाता है। अतः Webinar शब्द का प्रयोग व्याख्यान, कार्यशाला एवं वेब सेमिनार के एक समूह के रूप में किया जाता है। वेब शब्द को वेबकास्ट (Webcast) के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है रेडियो एवं टीवी पर दिखाए जाने वाले प्रसारण से है।

भौगोलिक दृष्टि से यह विभिन्न स्थानों पर बैठे विशेषज्ञों को एक-दूसरे की आवाज (Voice). व्याख्यान एवं ऑडियो-वीडियो चैट आसानी से की जा सकती है और घर बैठे ही विभिन्न समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।

Webinar द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम, व्याख्यान एवं विषय विशेषज्ञों की प्रजेन्टेशन आदि को देखा या सुना जा सकता है एवं अपनी किसी भी समस्या एवं जिज्ञासा के अनुरूप पुनः विषय-विशेषज्ञों से वार्तालाप किया जा सकता है। अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए जा सकते हैं। अतः वेब कान्फ्रेन्सिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से विभिन्न प्रतिभागी एक साथ सेमिनार में भाग ले सकते हैं।

(6) ब्लॉग (Blog)

यह एक प्रकार के व्यक्तिगत वेबसाइट होते हैं जिन्हें डायरी की तरह लिखा जाता है। प्रत्येक ब्लॉग या चिट्टे में कुछ लेख, चित्र एवं बाहरी कड़ियाँ (Link) होती हैं। इनके विषय लेख- सामान्य व विशेष दोनों प्रकार के होते हैं। ब्लॉग या चिट्ठा लिखने वाले को ब्लॉगर (चिट्ठाकार) कहते हैं। यह कार्य चिट्ठाकारी या चिट्ठाकारिता (Blogging) कहा जाता है। कई ब्लॉग किसी विशेष विषय से सम्बन्धित होते हैं। ये ब्लॉग उस विषय से सम्बन्धित समाचार, जानकारी, विचारों आदि से परिचित करवाते हैं। एक ब्लॉग में उस विषय से जुड़े पाठ, चित्र, अन्य कड़ियाँ (Links) मिल सकते हैं। ब्लॉग पाठकों को अपनी टिप्पणियाँ करने की क्षमता देकर उन्हें संवादात्मक प्रारूप प्रदान करता है। अधिकांश ब्लॉग मुख्य रूप से पाठ रूप में होते हैं। कुछ ब्लॉग कलाओं (Art Blogs), छाया चित्रों (Photography Blogs). वीडियो (Video Blogs), संगीत ( MP3 Blogs) आदि पर केन्द्रित होते हैं।

अंग्रेजी शब्द ब्लॉग वेब लॉग (Web Log) का सूक्ष्म रूप है। प्रारम्भ में ब्लॉगर द्वारा इसे वी ब्लॉग (We Blog) की तरह प्रयोग किया गया था, बाद में इसे ब्लॉग के रूप में प्रयोग किया जाने लगा। हिन्दी का पहला ‘चिट्ठा’ शब्द चिट्ठाकार आलोक कुमार द्वारा प्रतिपादित किया गया था जो कि अब इण्टरनेट पर हिन्दी दुनिया में प्रचलित हो गया है। यह शब्द अब गूगल द्वारा भी अपने शब्दकोश में शामिल किया जा चुका है। वर्तमान समय में लेखन का थोड़ी सी भी रुचि रखने वाला व्यक्ति अपना ब्लॉग बना सकता है।

प्रश्न- ब्लॉगिंग का हिंदी अर्थ क्या होता है?

उत्तर- चिट्ठाकारी या चिट्ठाकारिता (Blogging)

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