प्रतिभाशाली बालक की समस्याएं (Problems of Gifted Children)
प्रतिभाशाली बालक की समस्याएं- चूँकि प्रतिभाशाली बच्चे सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं इसलिए उनमें कुछ विशिष्ट समस्याएँ उठना स्वाभाविक है। वस्तुनिष्ठ परीक्षण के अभाव में शिक्षक कभी-कभी प्रतिभाशाली बच्चों को पिछड़ा हुआ मान बैठते हैं और उन पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में उनकी प्रतिभा कुंद होने लगती है। इससे भारी हानि की संभावना रहती है। अनौपचारिक शिक्षण संस्थानों में जहाँ सामान्य बच्चों की शिक्षा पर बल दिया जाता है, वहाँ प्रतिभाशाली बच्चों की सीखने की गति उनकी योग्यताओं के अनुपात में नहीं हो पाती लिहाजा उनमें समायोजन संबंधी दोष उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। ये समस्यायें इस प्रकार हैं :
(i) धीमी प्रगति – प्रतिभाशाली बच्चों की मानसिक क्षमता औसत बच्चों से ज्यादा होती है। वह नई परिस्थिति में अपने आपको समायोजित कर लेता है। नई समस्याओं का समाधान भी वह शीघ्रता से कर लेता है लेकिन स्कूल में साधारण बच्चों के साथ वह अपने आपको समायोजित नहीं कर पाता है। वह पूरी स्कूली पाठ्यचर्या को नियत समय से पहले पूरा कर लेता है। लेकिन ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों की ‘प्रतिभा’ की पहचान समय पर नहीं हो पाने के चलते उन्हें साधारण बच्चों की गति से ही चलना पड़ता है। लिहाजा उनके सीखने की गति उनके योग्यताओं के अनुरूप नहीं हो पाती। इस तरह से स्कूल में असमायोजित हो जाते हैं।
(ii) घर में समायोजन की समस्या- प्रतिभाशाली बच्चों की आवश्यकताएँ (Needs) और रुचियाँ (Interests) अलग-अलग किस्म की होती है जिसे माता-पिता अथवा अभिभावक समझ नहीं पाते हैं। वे अपने ‘खास’ बच्चे के साथ साधारण बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं जिसके चलते घर में अक्सरहाँ लड़ाई-झगड़े की नौबत आ जाती है। प्रतिभाशाली बालक अपने परिवार वालों से आशा करते हैं कि उन्हें साधारण बालकों से अधिक मान-सम्मान मिले लेकिन ऐसा नहीं होने पर वे अपने घर में ही असमायोजित हो जाते हैं।
(iii) विद्यालय में समायोजन की समस्या- चूँकि प्रतिभाशाली बालक अमूर्त चिंतन (Abstreact Thinking) में ज्यादा रुचि लेते हैं लिहाजा साधारण वर्ग-कक्ष शिक्षण से उन्हें संतोष नहीं मिलता है। इसके अभाव में उनमें व्यवहार संबंधी समयोजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। वे कक्षा छोड़ कर भागने लगते हैं। अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
(iv) समाज में समायोजन की समस्या- अपनी रुचि के मुताबिक प्रतिभाशाली बच्चे समाज में अपने से उम्रदराज बच्चों के साथ खेलना पसंद करते हैं। लेकिन उम्रदराज लोग अपनी टीम में उन्हें प्रवेश नहीं देते। ऐसे में समाज में भी उनका सही ढंग से समायोजन नहीं हो पाता है।
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