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प्रतिभाशाली बच्चे कौन हैं? प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताएँ

प्रतिभाशाली बच्चे कौन हैं? (Who is gifted children?) 

प्रतिभाशाली बच्चे कौन हैं? इस सवाल पर मनोवैज्ञानिक मतैक्य नहीं है। कुछ मनोवैज्ञानिक उच्च बौद्धिक क्षमता को इसका आधार मानते हैं तो कुछ मनोवैज्ञानिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट प्रदर्शन को। लेकिन बुद्धि-लब्धि (IQ), सामाजिक सामर्थ्य (Social Potentiality) और सांख्यिकीय आधार पर हम प्रतिभाशाली बच्चों की परिभाषाओं को तीन श्रेणियों में विभक्त कर सकते हैं।

(i) बुद्धिलब्धि (IQ)- प्रतिभाशाली बच्चे वैसे बच्चे हैं जिनकी बुद्धिलब्धि औसत बालकों की तुलना में ज्यादा होती है। प्रतिभाशाली कहलाने के लिए बालक में कितनी बुद्धिलब्धि होनी चाहिए, इस विषय में सभी मनोवैज्ञानिक मतैक्य नहीं हैं। टरमन और मैरिल ने 140 बुद्धिलब्धि से ऊपर वाले बच्चों को प्रतिभाशाली माना है वहीं गोडार्ड ने 130 बुद्धिलब्धि से ऊपर वाले बच्चों को। यह अनुमान लगाया गया है कि इस प्रकार के बालकों की संख्या प्रति 400 बालकों में एक होती है। अत्यंत प्रतिभाशाली बच्चों की बुद्धिलब्धि 140 से 190 तक होती है।

टर्मन ने बुद्धिलब्धि के विभिन्न मूल्यमानों के निम्नलिखित अर्थ बताये हैं:

बुद्धिलब्धि का स्तर मूल्यमान
140 से अधिक प्रतिभा (‘Near’ Genius or Genius) अति उत्कृष्ट बुद्धि (Very Superior Intelligence)
110-120 उत्कृष्ट बुद्धि (Superior Intelligence)
90-110 सामान्य बुद्धि (Normal or Average Intelligence)
80-90 मन्द बुद्धि (Dullness, Rarely, Classified as Feeble mindedness)
70-80 निर्बल बुद्धि  (Border-line Deficiency, Sometimes classifi
70 से कम हीन बुद्धि  (Border-line Deficiency, Sometimes classifi able as dullness, often as Feeble-mindedness)
50-70 मूर्ख (Definite Feeble-mindedness)
20 या 20-25 मूढ़ (Imbeciles)
20 या 25 से नीचे (Idiots)

स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण द्वारा ज्ञात किया गया है कि ऐसे बालकों की बुद्धि लब्ध 130- या अधिक होती है तथा जिन बालकों की बुद्धिलब्धि 170 या उससे भी अधिक होती है, उन्हें अति प्रतिभाशाली माना जाता है

(ii) सामाजिक सामर्थ्य (Social Potentiality)- प्रतिभा का संबंध सामाजिक सामर्थ्य से भी होता है। ऐसी अवधारणा रखने वाले मनोवैज्ञानिक प्रतिभाशाली बच्चों को असाधारण सामाजिक सामर्थ्य वाले बच्चों की श्रेणी में रखते हैं। विटी (Witty) के मुताबिक “प्रतिभाशाली बच्चे वैसे बालक हैं जो संगीत, कला, सामाजिक नेतृत्व और कई अन्य क्षेत्रों में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हैं।” [Gifted children are those whose performance is consistantly remarkable in music, art and social leadership and other forms of expression-Witty]

जबकि टेलर के अनुसार ‘प्रतिभाशाली बच्चे वैसे बालक हैं जो उत्पादन क्षमता, दर और गुणवत्ता में विशिष्टता हासिल किये हों।’ जबकि कॉलसनिक (Kolesnik) ने प्रतिभाशाली को परिभाषित करते हुए कहा है कि-“वह हर बच्चा जो अपने आयु-स्तर के बच्चों में किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण नई देन दें।” [“The term gifted has been applied to every child who, in his age group, is superior in some ability which may make him an outstanding contributor to the welfare and quality, of living in our society.”- Kolesnik, W.B.]

(iii) सांख्यिकीय आधार- शिक्षाविदों के मुताबिक उच्च बुद्धि वाले 2 से 3 प्रतिशत आबादी प्रतिभाशाली बच्चों को होती है। कक्षा या विज्ञान के किसी क्षेत्र में विशिष्ट ज्ञान रखने वाले बच्चे प्रतिभाशाली बालक होते हैं।

सामान्य प्रदर्शन क्षेत्र (General Performance Areas)

गणित विजुअल आर्ट्स भौतिक विज्ञान
तर्कशास्त्र सामाजिक विज्ञान कानून/विधि
धर्म लैंग्वेज आर्ट्स संगीत
जीव विज्ञान मूवमेंट आर्ट्स

विशिष्ट प्रदर्शन क्षेत्र (Specific Performance Areas)

कार्टून निर्माण डेमोग्राफी इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक
खगोल शास्त्र माइक्रोफोटोग्राफी चाइल्ड केयर कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन
जनमत संग्रह सिटी प्लानिंग कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन
ज्वेलरी डिजाइनिंग प्रदूषण नियंत्रण कुकिंग
नक्शा निर्माण कविता लेखन आर्निथॉलॉजी
कोरियोग्राफी फैशन डिजाइनिंग फर्निचर डिजाइन
बायोग्राफी बुनकर नैविगेशन
फिल्म निर्माण पटकथा लेखन जेनियोलॉजी
सांख्यिकी एडवर्टाइजिंग स्कल्पचर
स्थानीय इतिहास कस्ट्यूम डिजाइन वाइल्ड लाईफ मैनेजमेंट
इलेक्ट्रोनिक्स मौसम विज्ञान सेट डिजाइनिंग
म्यूजिक कम्पोजर पपेट्री कृषि
लैण्डस्केप मार्केटिंग अनुसंधान
आर्किटेक्चर गेम डिजाइन एनिमल लर्निंग
रसायन शास्त्र जर्नलिज्म फिल्म समीक्षा

प्रतिभाशाली बालक की परिभाषा का ग्राफिक प्रस्तुतीकरण

रेन्जुली (Renzulli, 1981) ने प्रतिभाशाली बालक को बहु-सैद्धांतिक (multicriterism) परिभाषा देते हुए कहा है कि प्रतिभाशाली बच्चे वैसे बालक है जिनमें उच्च क्षमता (High ability), उच्च सृजनशीलता (High creativity) और उच्च कार्य समपर्ण (High task commitment) हों।

प्रतिभाशाली बच्चों की खोज एवं पहचान (Discovery & Identification of Gifted Children)

प्रतिभाशाली बालकों का अध्ययन मनोवैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचि का क्षेत्र रहा है। इस कारण ऐसे बालकों की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा संवेगात्मक विशेषताओं का वैज्ञानिक अध्ययन विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने समय-समय पर किया है । प्रतिभाशाली बालकों की खोज तथा पहचान की दिशा में टरमन का कार्य बहुत उल्लेखनीय माना जाता है। उन्होंने पच्चीस वर्षों तक 1500 प्रतिभाशाली बालक-बालिकाओं का अध्ययन आरम्भ किया और ‘प्रतिभा’ की विस्तृत व्याख्या की। कालांतर में टरमन ने 1000 प्रतिभाशाली बालक-बालिकाओं का अध्ययन किया और पाया कि सामान्य जनसंख्या के मात्र दो प्रतिशत व्यक्ति ही प्रतिभाशाली होते हैं। उनके अनुसार प्रतिभाशाली बालक सामाजिक स्तर के किसी भी सीमा पर पाये जा सकते हैं। उच्च या निम्नस्तर के परिवार का प्रश्न नहीं है। परंतु टरमन का यह भी विचार था कि प्रायः प्रतिष्ठित उत्तरदायित्व सँभालने वाले उच्च शिक्षा प्राप्त माता-पिता के परिवार प्रतिभाशाली बालकों के लिए अधिक उपयुक्त पाये जाते हैं।

प्रतिभाशाली बच्चों के चयन में शिक्षक का मत विशेष महत्व रखता है। वह छात्र के सम्पर्क में रहता है और उसकी योग्यता को अच्छी तरह जानता है। इसके अलावा चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी भी उच्च बुद्धिलब्धि वाले बच्चों की पहचान कर सकता है जो बराबर उनके सम्पर्क में रहते हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों के व्यवहारों का अध्ययन कर उनमें छिपी प्रतिभा को पहचान सकते हैं क्योंकि ऐसे बच्चों में भाषा का विकास भी बहुत पहले शुरू हो जाता है। वे भोजन की ओर भी अतिशीघ्र आकर्षित होते हैं। साथ ही 10 से 11 महीने की आयु में वे चलने-फिरने लगते हैं।

सामूहिक बुद्धि-परीक्षण (Group Intelligence Test) के जरिये बुद्धिलब्धि का पता लगाकर ऐसे बालक की पहचान की जा सकती है। पठन-अक्षमताग्रस्त बच्चे को सामूहिक बुद्धि परीक्षण के जरिये पहचान करना थोड़ा कठिन काम है । सामूहिक बुद्धि परीक्षण के पश्चात् पहचाने गये प्रतिभाशाली बालकों पर वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण भी किया जा सकता है। निष्पति परीक्षण (Achievement Test) से यह पता चल जाता है कि बालक की सफलता का प्रसार क्षेत्र (Range) कहाँ तक है?

प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताएँ (Characterstics of Gifted Children)

प्रतिभावन बालकों में निम्नलिखित विशेषतायें पाई जाती हैं-

(क) उच्च बुद्धिलबंध ( Higher IQ) – प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि 140 से अधिक ही होती है। कुछ विद्वान् 130 से अधिक बुद्धिलब्धि वाले बच्चों को प्रतिभाशाली मानते हैं।

(ख) शारीरिक विशेषता – शारीरिक दृष्टि से वे स्थायी संवेग वाले, स्वस्थ तथा लम्बे आकार वाले होते हैं। जन्म के समय 1 पौंड भारी, 1-1/2 इंच लम्बा, चलना, फिरना, बोलना इत्यादि दूसरे बच्चों से पहले सीख लेते हैं।

(ग) उच्च वंश परम्परा- अधिकतर प्रतिभाशाली बालक उन परिवारों में जन्म लेते हैं जिनमें लगातार कई पीढ़ियों तक महान् व्यक्ति हो चुके हैं यानी अधिकांश प्रतिभाशाली बालक समृद्ध परिवारों से आते हैं। स्पष्ट है कि खान-पान, चिकित्सा, देख-भाल आदि में वे दूसरे बालकों से अच्छे रहते हैं। साथ ही साथ उनकी आदतों और संवेगों के नियंत्रण की अच्छी शिक्षा मिलती है। इससे उनमें उत्तम चरित्र और व्यक्तित्व के बहुत से गुण उत्पन्न होते हैं। लेकिन कुछ मामलों में प्रतिभाशाली बच्चे बहुत गरीब घरों से भी आते हैं।

(घ) अध्ययन की योग्यता- प्रतिभाशाली बालकों में अधिक अध्ययन करने की योग्यता होती है। कम समय में अधिक पाठ्य सामग्री को समझने की क्षमता रखते हैं। उनमें कार्यक्षमता अधिक होती है। प्रतिभाशाली बालक किसी वस्तु पर अधिक समय तक ध्यान एकाग्र कर सकते हैं। उनकी चिंतन, मनन तथा कल्पना शक्ति अधिक विकसित होती है।

(ङ) अमूर्त चिंतन में रुचि- प्रतिभावान बालक अमूर्त चिंतन में अधिक रुचि लेते हैं। वे कठिन समस्याओं को समझने तथा हल करने में अधिक कुशाग्र होते हैं। अपने वातावरण की प्रत्येक वस्तु के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहते हैं। वे नियमों और सिद्धांतों का सामान्यीकरण स्वयं कर लेते हैं। रुचि का प्रसार क्षेत्र विकसित होता है।

(च) सामाजिक तथा संवेगात्मक दृढ़ता- प्रतिभावान बालकों की सामाजिक तथा संवेगात्मकता विकास पर अनेकों प्रयोग किये गये हैं जिनमें यह पता चलता है कि ये बालक सामाजिक तथा संवेगात्मक दृष्टि से अधिक दृढ़ होते हैं। विटी ( Witty) ने सौ प्रतिभावान बालकों के अध्ययन से निम्न परिणाम निकाले :

(i) खेल- 45 प्रतिशत सामान्य बालकों से अधिक पसंद करते हैं। 47 प्रतिशत साधारण रूप से पसंद करते हैं। 8 प्रतिशत सामान्य बालकों से कम पसंद करते हैं।

(ii) अनुशासन- 96 प्रतिशत अनुशासित रहते हैं। केवल 4 प्रतिशत ही अनुशासहीन रहते हैं।

(iii) 58 प्रतिशत मित्र बनना चाहते हैं, जबकि 25 प्रतिशत न मित्र खोजते हैं और न टालते हैं।

(iv) संवेगात्मक स्थिरता – 80 प्रतिशत शायद ही कभी धैर्य खोते हैं। 15 प्रतिशत कभी-कभी धैर्य खो देते हैं। 5 प्रतिशत को संवेगात्मक दौरे पड़ते हैं।

(v) मार्ग-प्रदर्शन की कम आवश्यकता- प्रतिभावान बालकों को किसी कार्य के करने के लिए मार्ग-प्रदर्शन की आवश्यकता कम होती है, क्योंकि इनमें सामान्य बालकों की अपेक्षा सूझ-बूझ और पूर्व अनुभव से लाभ उठाने की अधिक योग्यता होती है। किसी नये काम को एक बार बताने भर आवश्यकता होती है।

(vi) टर्मन (Terman) के अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि जन्म के समय भी सामान्य और प्रतिभावान बालक में अंतर पाया जाता है। प्रतिभावान नवजात शिशु लगभग 1-1/2 इंच अधिक लम्बा और 1 पौण्ड अधिक भारी होता है। बालिकाओं में 46.4 प्रतिशत स्कूल जाने से पहले पढ़ना सीख लेती हैं, जबकि लड़कों में इनकी संख्या केवल 43.3 प्रतिशत होती है। सामान्य बालक-बालिकाओं की तरह प्रतिभावान लड़के साहसी जीवन और बालिकायें घर का वातावरण पसंद करती हैं। प्रतिभावान लड़कियाँ भी प्रतिभावान लड़कों के समान जन्म के समय सामान्य लड़कियों से भारी होती हैं।

अवेरिल (Averill) के मुताबिक प्रतिभाशाली बच्चों की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं- (i) मानसिक क्रियाओं की शीघ्रता ।, (ii) अमूर्त विषयों में रुचि।, (iii) उच्च एवं विकसित शब्द-भंडार ।, (iv) देदीप्यमान अर्न्तदृष्टि (Brilliant Insight), (v) अवकाश से नीरसता का अनुभव ।, (vi) बुद्धि मापनी पर उच्च प्राप्तांक।

हिल (Hill) के अनुसार प्रतिभाशाली बालक की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं- (i) एकाग्रता की अत्यधिक क्षमता ।, (ii) मौलिकता ( Originality) ।, (iii) सामान्यीकरण की अत्यधिक क्षमता ।, (iv) अल्प प्रतिक्रिया काल ।, (v) विषयों को समझने की अत्यधिक योग्यता ।, (vi) स्वमूल्यांकन करने की क्षमता ।

पाउल विटी ने प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताओं का निम्नलिखित तरीके से बिन्दुवार वर्णन किया है- (i) व्यापक शब्द भंडार ।, (ii) भाषायी महारत ।, (iii) पैनी दृष्टि ।, (iv) पुस्तक के प्रति प्रेम ।, (v) कैलेण्डर, घड़ी आदि देखने में रुचि । (vi) अत्यधिक एकाग्रता क्षमता । (vii) चित्रकारी, संगीत और अन्य कला में महारत । (viii) कारण- परिणाम के खोज में रुचि । (ix) पठन क्षमता का जल्द विकास ।

डनलप (James M. Dunlop) के मुताबिक प्रतिशाली बालकों के धनात्मक और ऋणात्मक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. धनात्मक विशेषताएँ (Positive Characteristics) – (i) तीव्र गति से सीखना । (ii) आसानी से सीखी गई बातों को याद रखना । (iii) प्रश्न करने के प्रति कैतूहलता दर्शाना । (iv) व्यापक शब्द भंडार (Rich Vocabulary) । (v) पठन-पाठन का आनन्द उठाना । (vi) शब्दों और कल्पनाशीलता में रुचि दर्शाना । (vii) तार्किक महारत । (viii) सामान्यीकरण करने की अलौकिक क्षमता ।, (ix) मानव के स्वरूप और ब्रह्माणु में रुचि दिखाना । (x) उम्रदराज लोगों से मित्रता ।

2. ऋणात्मकता विशेषताएँ (Negative Characteristics) (i) अशांत, उपद्रवी, उपेक्षाकारी । (ii) हस्तलेखन में लापरवाह । (iii) उपेक्षित वर्ग कार्य। (iv) आलोचनात्मक स्पष्टवादी ।

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