मणिपुरी की कढ़ाई (Manipuri Embroidery)
मणिपुरी की कढ़ाई (Manipuri Embroidery)- मणिपुर के पर्वतीय प्रदेश मणिपुरी कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध थे। इस कढ़ाई में वहाँ की प्रकृति प्रियता प्रदर्शित होती थी। साधारणतः सेटिन टाँके से इन्हें टाँका जाता था। चटक रंग के धागों का बड़े ही सुन्दर ढंग से इनमें प्रयोग किया जाता था। मणिपुर की कढ़ाई की अपनी ही छटा है। इसके डिजाइनों में बारीकी कम है परन्तु उसमें गहरे रंगों व सशक्त डिजाइनों का प्रभाव अधिक होता है। भोपाल में कलावत और सल्में सितारे की बहुत उत्तम कढ़ाई की जाती है। मोतियों (Beads) से भी वस्त्रों को सजाया जाता है।
मणिपुर की कढ़ाई में कुछ ही टाँकों (Stitch) का प्रयोग किया जाता है। सैटिन एवं कच्चा टाँका मुख्य रूप से काम में लाये जाते हैं। वस्त्र को एटनीक वर्क से भी अलंकृत किया जाता है। कुछ-कुछ वस्त्रों पर नमूने के अनुसार काँच अथवा अभ्रक के छोटे-छोटे टुकड़ों को भी काज टाँके से लगाया जाता है। श्वेत मलमल के वस्त्र पर श्वेत मलमल के वस्त्र के उपयोग से टखन बनाया जाता है। यह देखने में अत्यन्त सुन्दर तथा वैभावशाली लगता है।
मणिपुर की कढ़ाई में नमूने प्राकृतिक स्रोत से लिये जाते हैं। फूल-पत्तियों, पशु- पक्षियों, लताओं आदि को इतने सुन्दर तरीके से काढ़ा जाता है कि दर्शक दंग हुए बिना नहीं रह पाते। नमूने बनाने के लिए रंग-बिरंगे, चटकीले सूती धागों का प्रयोग किया जाता है।
मणिपुर की कढ़ाई में मुख्यतः गोलाकार नमूने बनाये जाते हैं। जैसे ‘अकोबी’ कहा जाता है। इसमें प्रत्येक गोला दूसरे गोले से जुड़ा रहता है और आगामी गोले को जोड़ने के लिए जगह (Space) कहलाता है। अकोबी मुख्यतः दो शेड के धागों (लाल एवं काला) से बनाया जाता है। कभी-कभी दूसरे रंग के धागे, भी काम में लाये जाते हैं।
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