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कश्मीर की कसीदा कढ़ाई | Kashida of Kashmir embroidery in Hindi

कश्मीर की कसीदा कढ़ाई
कश्मीर की कसीदा कढ़ाई

अनुक्रम (Contents)

कश्मीर की कसीदा कढ़ाई (Kashida of Kashmir embroidery in Hindi)

कश्मीर की कढ़ाई- कश्मीर की कढ़ाई को कशीदा (Kashida) कहते हैं। कढ़ाई का कार्य मुख्यतः पुरुषों के द्वारा किया जाता है। नमूनों में छोटी-छोटी पहाड़ियाँ, विशाल पर्वत, बहती नदियाँ, झीलें, पशु-पक्षियों, फलों, फूलों एवं पत्तियों का चित्रण बहुत ही सूक्ष्मता एवं कुशलता किया जाता है। साटिन टाँके द्वारा भराई का काम किया जाता है। कश्मीर अपने उत्कृष्ट शाल के निर्माण के लिए काफी प्रसिद्ध था तथा यहाँ के शाल ‘कानीकर’ के नाम से बनाये जाते थे।

प्रारम्भ में शाल बनाने का काम चरम पर होता था। परन्तु लूम के उपयोग पर टैक्स लग जाने से शाल निर्माण कार्य हाथ से ही सम्पादित होने लगा। शाल पर कढ़ाई के लिए पहले नमूने कागज पर छापे जाते थे। फिर उस नमूने को कोयले की पाउडर की सहायता से सादे शाल पर उतारा जाता था। दारूखाँ नामक टाँके से कढ़ाई की जाती थी। जिससे शाल के दोनों ओर एक से नमूने बनते थे। दारूखाँ कढ़ाई इतनी बारीकी, सूक्ष्मता एवं सफाई से की जाती थी कि शाल का उल्टा तथा सीधा पक्ष पहचानना अत्यन्त कठिन हो जाता था। इस कढ़ाई से बना शाल ऐसा प्रतीत होता था कि मानो शाल लूम पर तैयार किया गया हो।

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