ब्लॉक छपाई (Block Printing)
ब्लॉक छपाई (Block Printing)- भारत में छपाई की यह विधि आज भी बहुत प्रचलित है। छपाई के लिए ठप्पे (Bolck), लकड़ी, लिनोलियम (Linolium) के बनाये जाते हैं। पहले डिजाइन को लकड़ी की सतह पर एक-चौथाई इंच की गहराई में अंकित कर लिया जाता है। इसके उपरान्त अंकित की हुई सतह को समान लम्बाई-चौड़ाई वाली लकड़ी पर लगा दिया जाता है। रंग लेई के रूप में तैयार करके एक चौड़े मुँह के बर्तन में रख देते हैं। फिर जिस वस्त्र पर छपाई करनी है, उसको एक बड़ी गद्देदार मेज पर फैला लेते है। वस्त्र फैलाने के उपरान्त ठप्पे को रंग में भिगोकर वस्त्र पर लगा देते हैं तथा उसे सूखने देते हैं। यदि विभिन्न रंगों में छपाई करनी है, तो पहला रंग सूख जाने पर ही दूसरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिस वस्त्र पर छपाई करनी होती है, उसके समस्त भाग पर उसी प्राकर से प्रक्रिया की जाती है। सुन्दर एवं आकर्षक छपाई के लिए आवश्यक है कि वस्त्र पर ठप्पे को एक से दबाव से दबाया जाये।
इस विधि से साड़ियों, दुपट्टे, टेबल क्लॉथ, पर्दे, चादरे आदि छापी जाती है। यह छपाई की सबसे सरल, सस्ती एवं प्राचीन विधि है।
आवश्यक सामग्री
ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए निम्नलिखित सामानों की आवश्यकता पड़ती है-
रंग सामग्री (Colour Ingredients)
ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जाता है। 5 ग्राम रंग चूर्ण में 5 ग्राम कास्टिक सोडा तथा 200 ग्राम गोंद का चूर्ण मिलाकर पानी के साथ घोलकर पेस्ट तैयार करते हैं। लाल, पीले, हल्के, गहरे, पीले, नारंगी, सुनहरे पीले, मेरून छपाई के सर्वाधिक प्रचलित रंग हैं। नीले, हरे रंग महँगे होने के कारण कम प्रचलित हैं।
मिनी पैड (Mini Pad)
छपाई के लिए रंग का पेस्ट एक मिनी पैड में लगाया जाता है। पैड के लिए लकड़ी का छोटा चौकोर फ्रेम बनाकर उस पर रबर क्लॉथ मढ़ दिया जाता है। इस पर एक पतले प्लास्टिक की शीट बिछाकर उस पर जालीदार बोरे के टुकड़े को चौहरा तह करके रखते हैं। इस बोरे के टुकड़े पर रंग का पेस्ट फैला देते हैं।
अब तक सीमेंट के चौकोर ट्रफ (Trough) में थोड़ा सा पानी भरकर लबादा या कुतीला डाला जाता है। कतीला एक पेड़ का रस होता है। पानी में फूलकर यह रबर जैसा स्पंजी हो जाता है। कतीले पर लकड़ी का मिनी पैड रख दिया जाता है। कबीला पैड को जम्प (Jump) करने में सहायक होता है। पेस्ट पर जब ब्लॉक को रखते हैं तो नीचे से कतीले द्वारा दबाव मिलने पर उसमें रंग अच्छी तरह लगता है तथा छपाई का काम द्रुतलय में होता है।
छपाई टेबल (Printing Table)
बड़े आयताकार या चौकोर समतल टेबल पर चौहरा कम्बल बिछाकर उस पर रबर क्लॉथ तथा फिर एक सफेद चादर बिछा दी जाती हैं छपाई के समय केवल चादर गन्दी होती है। मोमजामा कम्बल को रंग से सुरक्षित रखता है।
ब्लॉक (Block)
शीशम या सागवान की लकड़ी से नमूने के ब्लॉक बनते हैं। नरम धातु या लिनोलियम के ब्लॉक भी होते हैं किन्तु हाथ-छपाई में लकड़ी के ब्लॉक अधिक प्रयुक्त होते हैं।
घरों में गृहिणियाँ कच्चे आलू को मध्य से काटकर, चाकू की सहायता से उन पर आकृतियाँ उकेरकर ब्लॉक के रूप में प्रयुक्त करती हैं। भिंडी काटकर उसके प्राकृतिक कटाव का ब्लॉक के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
वस्त्र जिस पर छपाई करनी है (Cloth for Printing)
सफेद सूती वस्त्रों पर छपाई सरलता से होती है।
ब्लॉक द्वारा छपाई की विधि (Method of Hand Block Printing)
जितने रंगों में छपाई करनी हो उतने रंगों के अलग-अलग पेस्ट बनाए जाते हैं। प्रिंटिंग टेबल पर वस्त्र बिछाकर एक सिरे से छपाई आरम्भ करते हैं। नमूने के ब्लॉक को रंग वाले पैड पर दबाकर पुनः वस्त्र पर रखकर दबाकर नमूना छापा जाता है।
एक रंग की छपाई के बाद रंग को सूखने के लिए छोड़ देते हैं। रासायनिक रंग पहले हल्के रंग के दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे हवा लगती है वे गहरे होते जाते हैं। एक रंग सूखने के बाद दूसरे रंग की छपाई की जाती है। हर रंग का बोरे का पैड अलग होता है। जो प्लास्टिक शीट के साथ लकड़ी के फ्रेम में रखा या निकाला जाता है।
छपे हुए वस्त्र को बारह से चौबीस घंटों के लिए हवा में लटकाकर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद आधी बाल्टी पानी में तीन चाय चम्मच भर तनु सल्फ्यूरिक एसिड (Dilute Sulphuric Acid) मिलाकर, छपे हुए वस्त्र को इसमें डुबोकर तुरन्त निचोड़कर सुखा लिया। जाता है। एसिड रंग बंधक का काम करता है अर्थात् ऐसा करने से रंग पक्का हो जाता है। इस घोल में वस्त्र को अधिक देर नहीं रखना चाहिए। एसिड के प्रभाव से वस्त्र कमजोर हो जाएगा।
छपे हुए वस्त्र पर सुन्दरता लाने के लिए कलफ एवं अभ्रक के घोल में डुबोकर, सुखाकर उसमें इस्तरी की जाती है।
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