प्रसार शिक्षा के साधन के रूप में पोस्टर का विस्तृत वर्णन
प्रसार शिक्षा के साधन के रूप में पोस्टर – जहाँ अपने कार्यक्रम को प्रारम्भ करना है वहाँ अपने कार्यक्रम के प्रचार प्रसार हेतु पोस्टर एक सशक्त प्रभावी साधन है। ये पोस्टर स्थानीय निवासियों तक कार्यक्रम सम्बन्धी सन्देश पहुँचाकर उनमें कार्यक्रम के प्रति उत्सुकता जगाते हैं। जागृति उत्पन्न करते हैं इसलिये पोस्टर अच्छे सन्देशवाहक माने गये हैं। पोस्टर का आशय एक निरक्षर व्यक्ति भी देखकर समझ जाता है। कार्यक्रम क स्थल पर जगह-जगह पोस्टर लगाकर उस क्षेत्र में कार्यक्रम का प्रसार किया जाता है। पोस्टर का प्रयोग प्रदर्शनी तथा मेला जैसी जगहों पर भी किया जाता है कार्यस्थल जितना बड़ा होता है वहाँ अनेक पोस्टर अलग-अलग स्थानों पर लगाये जाते हैं। पर यह ध्यान रखा जाता है कि पोस्टर की रूपरेखा एक सी होनी चाहिए। पोस्टर की रूपरेखा एक सी होती है तो वे अधिक प्रभाव छोड़ते हैं।
पोस्टर के द्वारा ग्रामीण जनता तक वे संदेश पहुँचाये जाते हैं जो उनके लिये लाभकारी होते हैं जैसे- परिवार कल्याण, टीकाकरण, सन्तुलित आहार, खेती सम्बन्धी उत्तम खाद, बीज, भण्डारण सुविधा, बैंक सुविधा आदि।
एक अच्छे पोस्टर की विशेषताएँ
(1) अच्छा पोस्टर वही है जो स्पष्ट सन्देशवाहक हो अर्थात् उसे देखते ही सन्देश स्पष्ट हो जाये।
(2) पोस्टर में बना चित्र संदेश स्पष्ट करता हो।
(3) पोस्टर में सीमित शब्द हों जो सन्देश के उद्देश्य स्पष्ट करें क्योंकि पोस्टर निरक्षरों को भी आकर्षित करता है जो पढ़ नहीं सकते।
(4) पोस्टर केवल एक विचार तक सीमित हो अर्थात् एक सन्देश देता हो।
(5) पोस्टर ऐसा हो जिसे समझने के लिये अपने दिमाग पर जोर न डालना पड़े।
(6) पोस्टर में गहरे चटक रंगों का प्रयोग हो।
(7) एक से अधिक पोस्टर, प्रयोग करने पर सबकी रूपरेखा एक ही हो।
(8) पोस्टर में ध्यान आकर्षित करने की क्षमता हो तभी वह अभिरुचि तथा जागृति उत्पन्न कर सकता है।
पोस्टर निर्माण हेतु ध्यान रहे कि पोस्टर के तीन भाग होते हैं-
(1) पहला भाग- जो सन्देश प्रकाशित करता है।
(2) दूसरा भाग – सन्देश के लाभ को दर्शाता है।
(3) तीसरा भाग – सन्देश के क्रियान्वयन को दर्शाता है।
उदाहरण- परिवार नियोजन।
पहला भाग – “छोटा परिवार सुखी परिवार।”
दूसरा भाग- छोटे परिवार से परिवार के सदस्यों के चेहरे, रहन-सहन में समृद्धि खुशहाली दर्शाना।
तीसरा भाग- क्रियान्वयन हेतु परिवार कल्याण केन्द्र तक जाना दर्शाना।
एक पोस्टर बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
(1) सफेद या रंगीन कागज या बोर्ड, गत्ते के टुकड़े, (2) पेन्सिल, (3) रंग, (4) ब्रुश, (5) स्केल तथा आवश्यकतानुसार स्टेन्सिल, स्याही तथा प्लेट पेन आदि ।
अच्छे पोस्टर के तत्व
एक अच्छे उत्तम सम्पूर्ण पोस्टर के मुख्य पाँच तत्व होते हैं- आकार, चित्र, शब्द, रंग तथा स्थान।
(1) आकार- पोस्टर का आकार कम से कम 2′ × 3′ (24 ” × 36″) का होना चाहिये। बहुत छोटा पोस्टर प्रभावी नहीं हो पाता है बहुत बड़ा आकार भी नहीं होना चाहिए।
(2) चित्र- पोस्टर की विशेषता है कि वह एक अच्छा सन्देशवाहक होता है इसलिये आवश्यक है कि चित्र ऐसा हो जो संदेश स्पष्ट करता हो। उसमें बहुत अधिक चित्र नहीं होने चाहिए। चित्र में प्रयुक्त वेशभूषा आदि स्थानीय निवासियों के समान होनी चाहिये ताकि पोस्टर प्रभावी हो।
(3) शब्द – पोस्टर की विशेषता है कि चित्र ही सन्देशवाहक होते हैं इसलिये अधिक शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिये। शब्द लिखते समय ध्यान रखें कि शब्द एक नियमित क्रम में हों उन्हें अलग-अलग तोड़कर न लिखें शब्द कम तथा अर्थपूर्ण होने चाहिये ।
(4) रंग- पोस्टर में अधिक रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिये शब्दों को लिखने के लिये एक मुख्य रंग का प्रयोग करना चाहिये तथा अधिक से अधिक 3-4 रंगों का प्रयोग करें रंग जहाँ आकर्षक, गहरे चमकदार होने चाहिए जो चित्र को उभार दें।
(5) स्थान – पोस्टर 6 से 7 फीट की ऊँचाई तक लगायें। ऐसे स्थान पर लगायें अधिक से अधिक लोग निकलते हों। एक पोस्टर लगातार एक ही स्थान पर न लगायें उसे बदलते रहना चाहिये।
पोस्टर की उपयोगिता
(1) एक विशाल समूह तक आसानी से पहुँच बनाई जा सकती है।
(2) एक उत्तम सन्देशवाहक है जो सन्देश का प्रसार प्रभावी ढंग से करता है।
(3) लोगों का ध्यान आसानी से आकर्षित कर जागृति उत्पन्न करने में सहायक होता है।
(4) अनौपचारिक शिक्षा के लिये एक प्रभावशाली माध्यम है।
(5) निरक्षरों को शिक्षित करने के लिये भी प्रभावी साधन है क्योंकि इसे समझने के लिये साक्षरता नहीं भावना की आवश्यकता है।
(6) आसानी से कम व्यय में स्वयं घर पर बना सकते हैं।
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