गृह विज्ञान में व्यवसायिकता से क्या आशय है?
वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत प्राथमिक स्तर पर ही गृह विज्ञान का शिक्षण आरम्भ कर दिया जाता है जिसमें आधारभूत विषय जैसे—शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता आदि से सम्बन्धित ज्ञान प्रदान किया जाता है। माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में छात्राओं को मुख्य विषय के रूप में गृह विज्ञान का चयन करने की स्वतन्त्रता होती है।
महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर पर भी गृह विज्ञान पाठ्यक्रम एक पृथक विषय समूह के रूप में है। जहाँ स्नातकोत्तर अध्ययन एवं अनुसंधान कार्य भी किये जाते हैं। यद्यपि विभिन्न विश्वविद्यालयों में गृह विज्ञान पाठ्यक्रम में भिन्नता पाई जाती है कि किन्तु सभी स्थानों पर गृह विज्ञान पाठ्यक्रम को पर्याप्त महत्व दिया जाता है।
गृह विज्ञान के इस नवीन पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास करना है। नई शिक्षा नीति के द्वारा इस विषय के पाठ्यक्रम को अधिक समयानुकूल और व्यवहारिक बनाया गया है। साथ ही व्यवसायिक दृष्टि से भी इसे प्रमुख स्थान प्रदान किया गया है। यह नई नीति तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा घोषित नीति है।
व्यवसाय का चयन
व्यवसाय का मनुष्य के जीवन, उसकी विचार शक्ति, सामाजिक स्थिति एवं व्यक्तित्व पर स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है। अतः मनुष्य को उचित व्यवसाय का चयन करना चाहिये। इस चयन में गृह विज्ञान सहायक होता है। गृह विज्ञान की सहायता से व्यवसाय चयन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती हैं-
1. वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार के बहुत अधिक व्यवसाय हैं। अतः विद्यार्थी को अपने शिक्षण काल में ही विषयों का सही चयन करके अपनी योग्यता व कार्यक्षमता उसी के अनुरूप विकसित करनी चाहिये।
2. प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक कार्य करने में सक्षम नहीं होता। अतः व्यक्ति को अपनी रुचि एवं योग्यता के अनुसार व्यवसाय का चयन करना चाहिए।
3. व्यवसाय द्वारा छात्रों के भावी जीवन में स्थिरता आ जाती है। अतः व्यवसाय का उचित चयन किया जाना आवश्यक है।
4. व्यवसाय चयन का एक प्रमुख कारण यह भी है कि व्यवसाय से प्राप्त आय से ही जीवन निर्वाह सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।
गृह विज्ञान किस प्रकार व्यवसाय चुनने में सहायक है?
व्यवसाय का चयन करते समय किसी भी व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये-
1. सर्वप्रथम यह देखना कि क्या उस व्यवसाय का सामाजिक महत्व है तथा व्यवसाय विकसित दशा में है अथवा हो रहा है, आवश्यक है।
2. कार्य की दशाओं के बारे में भी ज्ञान होना चाहिये जैसे कि कार्य करने के स्थान की परिस्थितियाँ कैसी हैं, उस स्थान पर प्रकाश, वायु एवं जल की क्या व्यवस्था है आदि।
3. व्यवसाय चयन से पूर्व यह जान लेना भी आवश्यक है कि कार्य शरीरिक अथवा मानसिक किस प्रकार की योग्यता से सम्बन्धित है। इस सम्बन्ध में स्वयं की योग्यता का मूल्यांकन कर लेना आवश्यक है।
4. व्यवसाय के लिए वांछित प्रशिक्षण के बारे में जानना भी आवश्यक है। साथ ही यह भी जानना चाहिये कि क्या हमारे लिये ऐसा प्रशिक्षण सम्भव है।
5. उक्त व्यवसाय में भविष्य की उन्नति के क्या आसार हैं यह ज्ञात करना आवश्यक है।
6. व्यवसाय में प्रारम्भिक वेतन क्या है, प्रतिवर्ष कितनी वृद्धि होगी तथा अन्य क्या सुविधायें प्राप्त होगी यह ध्यान देना भी आवश्यक है।
7. व्यवसाय हेतु कितने अनुभव की आवश्यकता है, इसका भी पूर्व ज्ञान होना चाहिये।
8. कार्यस्थल की दूरी, भाषा, जलवायु एवं यातायात के साधनों के बारे में भी जानकारी करना आवश्यक है।
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