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संज्ञानात्मक अधिगम के स्तर और प्रकार | संज्ञानात्मक अधिगम स्तरों के उदाहरण

संज्ञानात्मक अधिगम के स्तर और प्रकार
संज्ञानात्मक अधिगम के स्तर और प्रकार

संज्ञानात्मक अधिगम के स्तर और प्रकार 

संज्ञानात्मक अधिगम के स्तर और प्रकार- केवल तथ्यों और आँकड़ों को स्मरण करने मात्र से अधिगम कहीं अधिक है। प्रभावी अधिगम का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष संज्ञानात्मक अधिगम है। संज्ञानात्मक अधिगम वह प्रक्रिया है कि अधिगम कैसे किया जाए।

संज्ञानात्मक अधिगम में वह ज्ञान और कौशल प्राप्त करना सम्मिलित है जो तत्काल और प्रभावी अधिगम के लिए आवश्यक है। संज्ञानात्मक अधिगम में जो कौशल वांछित होता है उसमें अमूर्त चिन्तन की योग्यता, तार्किक का प्रयोग और महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता सम्मिलित होती है ।

अधिगम के संज्ञानात्मक स्तरों में छः स्तर हैं-

(i) ज्ञान (Knowledge), (ii) बोध (Comprehension), (iii) प्रयोग (Application), (iv) विश्लेषण (Analysis), (v) संश्लेषण (Synthesis), और (vi) मूल्यांकन (Evaulation)।

संज्ञानात्मक क्षेत्र के छः स्तर तथ्यों के सरल प्रत्यह्वान या प्रतिभिज्ञा (recall or recognition) के निम्नतम स्तर से मूल्यांकन के उच्चतम स्तर तक जाते हैं।

संज्ञानात्मक अधिगम स्तरों के उदाहरण (Examples of Cognitive learning Levels)

ज्ञान स्तर (Knowledge Level) – भारत का मानचित्र (स्थिति) देने पर विद्यार्थी (श्रोता) 20 मिनट में (अंश) प्रांतों की सूची (व्यवहार) प्रदान करने में सक्षम होगा।

बोध स्तर (Comprehension) — कॉलेज की कक्षा कक्ष में संरचनात्मक क्रियाओं (परिस्थिति) के उदाहरण दिया हुआ है, विद्यार्थी (श्रोता) संरचनात्मक उदाहरण पहचानने योग्य होंगे, (व्यवहार) और व्याख्या करेंगे कि उदाहरण संरचनावादी क्रिया या नहीं, 20 या कम शब्दों में (अंश)।

प्रयोग (Application) — भूत या वर्तमान काल (परिस्थिति) में एक वाक्य दिया हुआ. है, विद्यार्थी (श्रोता) वाक्य को पुनः लिखता है (व्यवहार) भविष्य काल में बिना त्रुटि के (अंश)।

संश्लेषण (Synthesis) – स्तर-विद्यार्थियों (श्रोता) की पसंद (परिस्थिति) के दो कार्टून चरित्र दिए गए विद्यार्थी को दोनों के पाँच व्यक्तियों शीलगुण की सूची (व्यवहार) तैयार करने के योग्य होंगे ? इन पाँच विशेषताओं को मिलाकर एक लघु कथा तैयार करनी थी जिसमें तीन से पाँच मुख्य व्यक्तित्व शीलगुण चित्रित हों (डिग्री या अंश)।

संज्ञानात्मक क्षेत्र के छः घटकों का आंकलन परीक्षणों में निम्नांकित प्रकार से किया जाता है-

1. ज्ञान (Knowledge) — प्रत्याह्वान ( Recall) और स्मरण करना।

(i) प्रत्यक्ष प्रश्नों द्वारा विद्यार्थी की recall और पहचानने की योग्यता का परीक्षण किया जाता है तथा दी हुई सूचना की पुनरावृत्ति करने की योग्यता देखी जाती है।

(क) सूचना का निरीक्षण और Recall

(ख) तिथि, घटना और स्थानों का ज्ञान

(ग) मुख्य विचारों का ज्ञान

(घ) विषय सामग्री की पारंगतता

(ii) प्रश्नों के संकेत – इसके लिए जो प्रश्न होते हैं उन्हें सूची तैयार करिए बताइए विवरण दीजिए, पहचानिए, विभेद करिए, अनुमान लगाइये, विवेचना करिये आदि प्रकार के प्रश्न होते हैं।

2. बोध (Comprehension) — एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में अनुवाद करना।

(i) विद्यार्थियों को दी हुई सामग्री को अपने शब्दों में व्यक्त करवाकर आंकलन करना। सविस्तार या विचारों का लेखा रखना; भविष्यवाणी करना या अनुमान लगाना। आंकलन यह दर्शाता है कि जो कुछ कह रहा है उसका बोध है।

(क) सूचनाओं को समझता है।

(ख) अर्थों को आत्मसात करता है।

(ग) ज्ञान का अनुवाद नवीन सन्दर्भों में करता है।

(घ) तथ्यों की व्याख्या करता है, उनकी तुलना और विशेषता करता है।

(ङ) व्यवस्थित, समूहबद्ध और कारणों का अनुमान करता है।

(च) परिणामों का पूर्व कथन करता है।

(ii) प्रश्नों का संकेत – सार करिये, वर्णन करिये, व्याख्या करिये, पूर्व कथन करिये, विभेद करिये, विवेचना करिये, विस्तार करिये, प्रकार के प्रश्नों द्वारा आंकलन किया जाता है ।

3. प्रयोग (Application)— सूचना का नवीन परिस्थितियों में आरोपण या प्रयोग करना।

(i) विद्यार्थियों को नवीन परिस्थिति देकर समस्या को हल करने के लिए अपने ज्ञान का प्रयोग करने का आंकलन किया जाता है या उनसे सही प्रक्रिया को प्रयोग करने का आंकलन किया जाता है।

(क) सूचना का प्रयोग

(ख) नवीन परिस्थितियों में विधियों, प्रत्ययों, सिद्धान्तों का प्रयोग करना।

(ग) समस्याओं को वांछित कौशल या ज्ञान का प्रयोग कर हल करना।

(ii) दर्शाइये, गणना करिए, पूर्ण करिए, चित्रित करिए, परीक्षण करिए, वर्गीकृत करिए, खोजिए प्रकार के प्रश्नों से आंकलन किया जाता है।

4. विश्लेषण (Analysis)- किसी प्रत्यय का परीक्षण करना और उसे भागों में विभाजित करना ।

(i) विद्यमान को अध्ययन के समय दी गई परिस्थिति के समरूप (identical) परिस्थिति न देकर उसी प्रकार की विशिष्ट परिस्थिति प्रस्तुत कर उसे विश्लेषित कर उपयुक्त प्रक्रिया का वर्ण या समस्या के हल का आंकलन किया जाता है।

(क) प्रारूप देखना

(ख) भागों को व्यवस्थित करना

(ग) छुपे हुए अर्थों को पहचानना

(घ) घटकों को पहचानना

(ii) विश्लेषण, विभक्त, क्रमबद्ध, व्याख्या, वर्गीकरण, व्यवस्थित, तुलना, चयन, अनुमान प्रकार के प्रश्न द्वारा आंकलन किया जाता है।

5. संश्लेषण (Synthesis)— सूचना को नवीन या अद्वितीय रूप में हल करने के लिए प्रस्तुत करना।

(i) विद्यार्थियों को अद्वितीय रूप में समस्या प्रस्तुत कर उपयुक्त सूचना के प्रयोग द्वारा ‘हल करने की योग्यता का आंकलन करना।

(क) नवीन विचारों को उत्पन्न करने के लिए प्राचीन विचारों का प्रयोग करना।

(ख) दिए हुए तथ्यों से सामान्यीकरण करना।

(ग) अनेक क्षेत्रों से ज्ञान को सम्बन्धित करना

(घ) पूर्वकथन करना और निष्कर्ष निकालना

(ii) सम्मिलित करिए, निर्मित करिए, सृजन करिए, पुनः व्यवस्थित करिए, अभिकल्प करिए, निर्मित सामान्यीकृत करिए, प्रकार के प्रश्नों से आंकलन किया जाता है।

6. मूल्यांकन (Evulation) — मूल्यांकन के मानकों का प्रयोग कर गुणात्मक या मात्रात्मक निर्णय करना।

(क) विचारों में तुलना या विभेद करना

(ख) प्रस्तुतीकरण और सिद्धान्तों के मूल्य का आंकलन।

(ग) तार्किक आधार चयन करना।

(घ) साक्ष्य के मूल्य का सत्यापन करना।

(ङ) आत्मगतता को पहचानना।

(ii) आंकलन निर्णय श्रेणी, ग्रेड परीक्षण, माप अनुशंसा, चयन, तुलना, सार प्रकार , के आधार पर मूल्यांकन करना।

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