आंकलन और मूल्यांकन के लिए अधिगम रचनात्मक प्रतिमान या प्रारूप (Assessment and Evaluation for Learning in a Construction Paradigm or Models)
आंकलन और मूल्यांकन के लिए अधिगम रचनात्मक प्रतिमान या प्रारूप निम्नलिखित है-
प्रारूप का विकास (Development of Evaluation Model)
मूल्यांकन प्रारूप एक ऐसी विस्तृत रूपरेखा है जिसमें पाठ्यक्रम योजना के मुख्य तत्त्व या योजना मूल्यांकन इस प्रकार से व्यक्त हों जिनसे उनके प्रकार्य तथा अन्तरसम्बन्ध स्पष्ट हो जाएँ। सेनाल्ड सी० डोल (Ronald C. Doll) के शब्दों में-
“An evaluation model is a widely applicable format in which the major elements in a program or project evaluation are expressed in such a way as to make their functions and interrelationships clear.”
वर्तमान में एक महत्त्वपूर्ण मूल्यांकन प्रारूप, मालकम प्रोवस (Malcolm Provus) द्वारा विकसित प्रारूप है। स्टेक (Stake) द्वारा विकसित योजना सामग्री की ‘टेक्सोनोमी’ का प्रयोग करते हुये, प्रोवस (Provus) ने मूल्यांकन स्तरों के अन्तर्गत अनेक चरणों (Steps) को इंगित किया।
प्रथम चरण का कार्य योजना सामग्री की टेक्सोनॉमी पर आधारित योजना को परिभाषित करना है। इसके अन्तर्गत चरणों का प्रतिनिधित्व कुछ प्रश्नों द्वारा होता है- क्या योजना परिभाषित है ? यदि नहीं, तो क्या सुधार के लिये उठाये गये उपाय उपयुक्त रूप से परिभाषित हैं ? क्या सुधारे गये उपयों को लागू किया गया है ? यदि नहीं, तो क्या सुधार के कदम को उपयुक्त रूप से परिभाषित किया गया है ? क्या इस प्रकार से सुधार के पश्चात् उसका किया गया है ? इस प्रकार प्रथम स्तर का कार्य योजना की परिभाषा प्रदान करना होता है।
द्वितीय स्तर का मुख्य कार्य योजना को लागू करना होता है। इस सम्बन्ध में भी वही प्रश्न पूछे जाते हैं जो प्रथम स्तर पर पूछे गये हैं। तृतीय स्तर का सम्बन्ध मुख्यत: प्रक्रिया से है। इस स्तर पर मुख्य प्रश्न होता है। क्या उद्देश्यों की पूर्ति हो रही है? चतुर्थ स्तर का सम्बन्ध परिणाम से होता है। इस स्तर का मुख्य प्रश्न होता है कि क्या लक्ष्य प्राप्ति हुई है ? अंत में स्तर पाँच पर लागत लाभ का विश्लेषण किया जाता है। यह प्रारूप थोड़ा जटिल और परम्पराउन्मुख है। अतः यह उन शैक्षिक प्रशासकों को अधिक भाता है जो ‘Hard’ साक्ष्य प्राप्त करने में रुचि रखते हैं।
विश्लेषक पैकेज – एक अन्य प्रारूप (Analysis Pakage-Another Model)
दूसरा प्रारूप लागत लाभ या लागत प्रभाविकता विश्लेषण को महत्त्व देता है। कम्प्यूटर की बढ़ती लोकप्रियता ने लागत प्रभाविकता विश्लेषण (Cost Effectiveness Analysis) को अधिक सम्भव बना दिया है। उदाहरणार्थ इस प्रकार का एक प्रारूप जिसे ANAPAC के नाम से जाना जाता है, FORTRANIV कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि वह सरल सांख्यिकीय और लागत प्रभाविकता विश्लेषण को शैक्षिक योजनाओं से प्राप्त प्रदत्तों को विवरणात्मक रूप में प्रस्तुत करता है ताकि सांख्यिकी व जानने वाले लोग भी उसको समझ सकें। मूल्यांकन प्रक्रिया तीन चरणों में होती है-
(i) योजना के लक्ष्यों को परिभाषित करना,
(ii) प्रासंगिक प्रदत्तों का संकलन तथा
(iii) लागत प्रभाविकता विश्लेषण।
ANAPAC में लक्ष्यों को सावधानीपूर्वक वर्णित किया जाता है। योजना तत्त्व जो नीति (Policy) का भाग होते हैं तथा वे जिनका मूल्यांकन करना है, में विभेद किया जाता ANAPAC के मूल्यांकनकर्त्ता, उद्देश्यों का निर्धारण नहीं करते हैं, वरन् उनकी रुचि यह ज्ञात करने में होती है कि योजना उद्देश्यों को प्राप्त करने में कितनी सफ रही है। वे उद्देश्यों का स्पष्ट परिणामों के संदर्भ में कथन को पसन्द करते हैं, जैसे—उच्च पठन योग्यता, अधिक ‘उपस्थिति आदि ये लोग विश्वास करते हैं कि गुणात्मक (Qualitative) उद्देश्य, शैक्षिक योजनाओं के स्पष्ट लक्ष्य होते हैं, पर उपयोगी होने के लिये जहाँ तक सम्भव हो सारगर्भित रूप में परिभाषित होना चाहिये।
योजना के लक्ष्यों को परिभाषित करने का द्वितीय पक्ष मापों को इंगित करना है। उनमें मानकीकृत उपलब्धि परीक्षण के परिणाम तथा उपस्थिति और कक्षा में भागीदारी या पुस्तकालय एवं विद्यालय की अन्य सुविधाओं के उपयोग सम्बन्धी प्रदत्त सम्मिलित हो सकते हैं। मूल्यांकनकर्त्ता यह जानता है कि इस प्रकार के प्रदत्तों में “Tightness” की मात्रा भिन्न-भिन्न होगी जिसका विस्तार वैध परीक्षणों के प्रशासन और शिक्षाविदों के निर्णय का परिणाम होगा। वे यह मानते हैं कि मापन के लिये किसी भी सूचकांक का प्रयोग किया जाये, वे योजना लक्ष्य के ग्राह्य सूचकांक तभी होंगे जब नीति निर्धारक उन्हें उसी रूप में स्वीकार करें। ग्राह्यता लिये आश्वस्त होने के वास्ते मूल्यांकनकर्त्ताओं को नीति निर्धारकों से पहले विचार-विमर्श कर लेना चाहिये।
एनोपेक (ANAPAC) मूल्यांकन का अलग स्तर प्रासंगिक प्रदत्तों का संकलन करना है। यह चार वर्गों में होता है-
1. लोगों की विशेषताएँ, जिसमें उनकी जातीय और सामाजिक, आर्थिक, पृष्ठभूमि, आयु, लिंग, व्यावहारिक प्रारूप (Pattern), परिपक्वता, अभिवृत्ति स्तर तथा उपलब्धि स्तर सम्मिलित होते हैं।
2. योजना कारक, जिसमें उपचार (Treatment) की प्रकृति एवं विस्तार, उपचार की अवधि और परिवर्तन तथा योजनाकर्त्ताओं के सम्बन्ध में सूचना सम्मिलित होती है।
3. लागत, इसमें योजना के सभी पक्षों में खर्च होने वाली लागत, वेतन तथा अन्य आर्थिक लाभ, प्रशिक्षण का खर्च, यंत्रों, सामग्री, जगह का स्थान यथा किराया आदि तथा प्रशासनिक व्यय सम्मिलित होता है।
4. प्रशासन माप जैसे, परीक्षण प्राप्तांक श्रेणी, औसत उपस्थिति दरें, उन्नति प्रदत्त (Promotion Data) तथा वास्तविक आत्मनिष्ठ प्रदत्त।
अंत में एक महत्वपूर्ण चरण ऐनापेक (ANAPAC) लागत प्रभाविकता का विश्लेषण है । इस स्तर पर योजना में प्रयुक्त साधनों और योजना से उपलब्ध लाभ के मध्य तुलना की जाती है। अधिकतम उपलब्धि और न्यूनतम साधनों द्वारा सर्वाधिक लागत प्रभाविकता प्राप्त होती है। दूसरे शब्दों में उपलब्ध साधनों में अधिकतम उपलब्धि लाभ प्राप्त कर लागत प्रभाविकता की मात्रा बढ़ायी जा सकती है। भिन्न स्तर के साधन प्रयास भिन्न स्तर की प्रगति प्रदान करेंगे। वह स्तर जहाँ साधनों को बढ़ाने पर भी प्रगति न हो, उच्चतम लाभ प्रभाविकता का स्तर होगा।
कुछ अन्य मूल्यांकन प्रारूप (Some Other Evaluation Models)
योजनाओं का मूल्यांकन एक जटिल प्रक्रिया है जो स्कूल पद्धति में शैक्षिक योजनाओं के मूल्यांकन में प्रयुक्त होती है। इस सन्दर्भ में अनेक प्रारूपों का विकास हुआ है। हर प्रारूप किसी स्थिति विशेष को ध्यान में रखकर किया जाता है। अतः यह प्रारूप शोधकर्त्ताओं को उनके अपने अभिकल्पों (Designs) की समस्याओं को सुलझाने का सुझाव मात्र दे सकते हैं। इनमें से कुछ रुचिकर प्रारूपों का उल्लेख आगे की पंक्तियों में किया गया है।
स्टफिलबीम का CIPP प्रारूप (Stufflebeam’s CIPP Model)
डेनियल एल॰ स्टफिलबीम का CIPP प्रारूप एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रारूप है। CIPP वस्तुत: Context, Input, Process और Product का सूचक है। मूल CIPP से CDPP – प्रारूप विकसित हुआ। CDPP, Context, Design, Process तथा Product का प्रतिनिधित्व करता है CIPP तथा CDPP दोनों ही अनेक अन्य मूल्यांकन प्रारूपों के विकास का आधार- रहे हैं। CDPP की अवस्था में (Context) संदर्भ का अर्थ लोगों की आवश्यकताओं तथा सम्बन्धित समस्याओं की खोज करना है तथा अन्य सम्भावित समस्याएँ जो सन्दर्भ से सम्बन्धित हों। अभिकल्प (Design) का अर्थ योजना विकास में धन, व्यक्ति की शैक्षिक आख्याएँ, अन्य सुविधाएँ सम्मिलित हैं। प्रक्रिया (Process) योजना के प्रशासन की प्रक्रिया है। परिणाम (Product) का तात्पर्य प्रभाविकता का माप तथा निष्कर्ष से है।
EPIC प्रारूप (The EPIC Model)
दूसरा महत्वपूर्ण EPIC है अर्थात् Evaluative Programms for Innovative Curriculums इस प्रारूप को एक घन (Cube ) के रूप में चित्रित किया जा सकता है जिसमें से एक पक्ष जो दृष्टिगोचर होता है, वह है व्यवहार, जिसे संज्ञानात्मक (Cognitive), भावात्मक (Affective) और क्रियात्मक (Psychomtor) के तीन उपभागों में विभाजित किया गया है। दूसरा दृष्टिगत पक्ष निर्देश (Instruction) है, जिसमें व्यवस्था ( Organization), विषय-वस्तु (Context), विधि (Method), सुविधाएँ (Facilities) तथा लागत (Cost) सम्मिलित हैं। तृतीय पक्ष, संस्था (Institution) है, जिसमे विद्यार्थी, अध्यापक, प्रशासक, शैक्षिक विशेषज्ञ परिवार एवं समाज सन्निहित हैं। EPIC का प्रयोगकर्त्ता को चरों के पाँच वर्गों का सामना करना पड़ता है-
(i) पूर्वकथनात्मक स्रोत, जिसके अन्तर्गत निर्देशों के प्रकार का परीक्षण आता है।
(ii) विवरणात्मक चर, जिसमें निर्देशों की तकनीक तथा संस्था की सीमाएँ आती हैं।
(iii) उद्देश्य।
(iv) व्यवहार, निर्देश तथा संस्था जिनको घन में इंगित किया गया है तथा
(v) प्रभाविकता की कसौटी, जिसके लिये समस्त संकलित प्रदतों के विश्लेषण की आवश्यकता होती है।
CEMREL का प्रारूप (The CEMREL Model)
हावर्ड रसेल और ल्यूस स्मिथ द्वारा विकसित इस प्रारूप का प्रतिनिधित्व एक घन के द्वारा किया जाता है जिसे CEMREL के नाम से जाना जाता है। इस घन के तीन पक्ष, मूल्यांकन की उन्मुखता, छात्र, मध्यस्थ तथा सामग्री का केन्द्रीयकरण है और प्रदत्त या आँकड़े जोकि प्रश्नावली सहभागी निरीक्षण या मापनियों से प्राप्त होते हैं।
अन्य प्रारूप (Other Models)
जी० एटकिन्सन (G. Atkinson) का प्रारूप तीन क्षेत्रों में व्यवस्थित है, जिसमें उद्देश्य (Objectives) पड़ते हैं— संरचना (Structure), विद्यालय का प्लान, विद्यालय संगठन आदि प्रक्रिया या निर्देश तथा परिणाम या लोगों का व्यवहार जो कि अधिगम का परिणाम होता है।
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