प्रत्यय का अर्थ
प्रत्यय वे शब्दांश हैं, जो किसी शब्द के अन्त में लगाये जाते हैं और उपसर्ग की भाँति एक नवीन अर्थ प्रकट करते हैं; जैसे-लौकिक में इक, मित्रता में ता तथा धनवान में वान्।
प्रत्यय के प्रकार
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं – (1) कृदन्त प्रत्यय, (2) तद्वित प्रत्यय।
तद्वित प्रत्यय के भेद
शब्दों के अन्त में आने वाले शब्द प्रत्यय कहलाते हैं। इन शब्दों में प्रत्यय लगाकर बनाये हुए शब्दों को तद्वित प्रत्यय कहते हैं। जैसे- गाड़ी वाला, चाय वाला आदि । तद्वित प्रत्यय छ: प्रकार के होते हैं-
(1) कर्तृ वाचक, (2) गुण वाचक, (3) भाव वाचक, (4) उन वाचक, (5) अपत्य वाचक एवं (6) स्त्री वाचक|
भाव वाचक तद्वित प्रत्यय- जिन शब्दों से भाव आदि का बोध हो और संज्ञा विशेषण शब्दों के अन्त में ई, वट, ता, आई, या आदि प्रत्यय आयें तो भाव वाचक संज्ञाएँ बनती हैं, उनको भाव वाचकतद्वित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
संज्ञा वाचक | भाव वाचक |
मूर्ख | मूर्खता |
बुड्ढा | बुढ़ापा |
लड़ा | लड़ाई |
काढ़ना | कढ़ाई |
पढ़ना | पढ़ाई |
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