सूचना एवं संचार तकनीकी के युग में विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों का परिवर्तित प्रतिरूप (Changing Pattern of School and University in the Age of Information are Communication)
आज सूचना एवं संचार तकनीकी का प्रवेश जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो गया है। ‘शिक्षा तकनीकी’ का पर्याय ही सूचना संचार तकनीकी बन गई है। यूनेस्को (UNESCO) ने मास्को में शिक्षा में तकनीकी की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था, इण्टरनेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीज इन एजूकेशन (Information Institute of Technologies in Education) की स्थापना की है, जो ICT से सम्बन्धित नीतियों (Policies), शैक्षिक प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों को देख रही है। यूनेस्को का क्षेत्रीय ऑफिस ‘बैंकाक’ इस समय एशिया और प्रशान्त महासागरीय क्षेत्र (Asia-Pacific Regions) में शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर सूचना – संचार तकनीकी के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रहा हैं।
भारतवर्ष में सूचना-संचार तकनीकी का शिक्षा में प्रयोग (ICT in Education in India)
भारतवर्ष में सन् 1991 में UGC ने इन्फॉर्मेशन एण्ड लाइब्रेरी नेटवर्क (Information and Library Network : INFLIBNET) नाम की योजना शुरू की थी जो कि विश्वविद्यालयों के सूचना केन्द्रों (Information Centres) और लाइब्रेरी को जोड़ने वाला कम्प्यूटर-कम्यूनिकेशन नेटवर्क था। विश्वविद्यालयों के समकक्ष उच्च शिक्षा संस्थान, राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान, यू. जी. सी. के सूचना केन्द्र, अनुसंधान और शोध-संस्थान आदि को नेटवर्क के द्वारा आपस में जोड़ने का प्रयास किया गया। INFLIBNET ने कम्प्यूटर और संचार तकनीकी का प्रयोग करके तथा अपने संसाधनों का प्रयोग कर रहे पूरे शैक्षिक जगत का एक केन्द्रीय डेटाबेस (Centralised Database) तैयार किया है, जिसमें उपरोक्त संस्थाओं से सम्बन्धित सूचनाएँ या आँकड़े भरे गए हैं। यू. जी. सी. की योजना ऑन लाइन एक्सस (On Line Access) के लिए राष्ट्रीय संयुक्त केटलॉग (National Union Catalogue) तैयार करने की है।
भारतवर्ष में दसवीं पंचवर्षीय योजना में यह सुनिश्चित किया गया है कि कॉलेज व विश्वविद्यालयी शिक्षकों को यू. जी. सी. नेट (U. G. C. Net) के द्वारा आपस में इंट्रानेट (Intranet ) और इण्टरनेट (Internet) के माध्यम से जोड़ा जाय। शिक्षकों और प्रशासकों को कम्प्यूटर व इण्टरनेट साक्षरता प्रदान की जाय । अनुसूचित जाति व जनजाति, अल्पसंख्यकों, महिलाओं व पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए कम्प्यूटर संचार तकनीकी व बायो तकनीकी के अध्ययन के लिए विशेष सहायक कार्यक्रम चलाए जाएँ। इस समय शिक्षा के क्षेत्र में सूचना व संचार तकनीकी के निवेश को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार स्वयं ही प्रयासरत है। विभिन्न मंत्रालय यू. ., मुक्त शिक्षा संस्थान, NCTE, NCERT, NIEPA स्कूल बोर्ड तथा अन्य संगठन जी. सी. भी शिक्षा के क्षेत्र में ICT के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता प्रदान कर रहे हैं। भारत सरकार का विचार है कि सन् 2003 तक सभी स्कूलों में कम्प्यूटर और इण्टरनेट की सुविधा उपलब्ध हो जाए। इन सुविधाओं का लाभ तभी मिल सकता है, जबकि विद्यालयी या विश्वविद्यालयी शिक्षक कम्प्यूटर व इण्टरनेट के प्रयोग के लिए सक्षम हो।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (National Council of Teacher Education : NCTE) ने सूचना – संचार तकनीकी से सम्बन्धित पाठ्यक्रम के लिए विभिन्न कॉम्पेक्ट डिस्क (CDs) का विकास किया । पूरे भारत में शिक्षक प्रशिक्षकों (Teacher Educators) को सूचना-प्रशिक्षण या अध्यापक शिक्षा संस्थाओं में यह अध्यादेश लागू किया गया है कि वे अपने पाठ्यक्रम में ICT को केन्द्रीय विषय के रूप में ग्रहण करें। CASE ने शिक्षा में संचार तकनीकी के प्रयोग की दृष्टि से B.Ed. स्तर पर 2002-2003 में अनिवार्य विषय के रूप में ICT को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, यहाँ तक कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम भी B.Ed. स्तर पर उपलब्ध कराया है। NCERT ने भी विद्यालयीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा ( School Curriculum Frame Work) तैयार की है, जिसमें ICT को पाठ्यक्रम के साथ समाकलित (Integrate) किया गया है। NCERT ने भी शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में ICT को सम्मिलित करने पर विशेष बल दिया है, क्योंकि ICT में कुशल (Competent) शिक्षकों के अभाव में यह योजना क्रियान्वित नहीं हो सकती।
शिक्षा में ICT के क्षेत्र में कुछ प्रयास किए जा रहे हैं जो निम्न प्रकार हैं-
भारतवर्ष में अभी तक शिक्षा में ICT के जितने भी प्रयास किए गए हैं, उनकी संख्या संतोषजनक नहीं है। भारतवर्ष में करीब 11,562 महाविद्यालय हैं, जिनमें से करीब 10% के पास ही इण्टरनेट हैं। 274 विश्वविद्यालयों में से केवल 5% के पास इण्टरनेट की सुविधा है। शायद ही कहीं विश्वविद्यालय और सम्बन्धित महाविद्यालय इण्टरनेट के माध्यम से जुड़े हों।
शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों में उपयुक्त स्तर की ICT की सुविधा उपलब्ध नहीं है। आज जबकि पूरा विश्व शिक्षण / अनुदेशन की पुरातन विधियों को छोड़कर आधुनिक शिक्षा-तकनीकियों की ओर अग्रसर है, वहीं हम कक्षा-शिक्षण की पुरानी विधि Chalk and Talk से ही काम चला रहे हैं। यदि सह शिक्षण संस्थाओं में कम्प्यूटर प्रयोगशालाएँ और ICT प्रयोगशालाएँ हैं भी तो केवल प्रदर्शनी के लिए हैं प्रयोग के लिए नहीं। कारण स्पष्ट है, विद्यालयी शिक्षा का शिक्षक प्रशिक्षक संस्थाओं, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के साथ तालमेल नहीं है, जिसके कारण ICT से सम्बन्धित नीतियों का क्रियान्वयन सम्भव नहीं होता। विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के शिक्षकों के ओरिएण्टेशन और पुनश्चर्या कार्यक्रमों का संचालन करने वाले एकेडमिक स्टॉफ कॉलेजों (ASCs) के पास भी ICT से सम्बन्धित सुविध आएँ उपयुक्त नहीं हैं।
विद्यालयी स्तर पर ‘कम्प्यूटर साइंस’ एक विषय के रूप में सम्मिलित किया गया है, लेकिन आवश्यकता है कम्प्यूटर या माध्यम (Media) की सहायता से शिक्षण की। कम्प्यूटर / माध्यम की सहायता से शिक्षण के लिए शिक्षकों को ही ICT के प्रयोग करने हेतु सक्षम बनाना होगा। शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम के साथ ICT को समाकलित करना होगा। इसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कदम होगा ‘शिक्षा’ को राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी बनाना। निजी या प्राइवेट संस्थाओं को भी शिक्षा में ICT के प्रयोग के लिए शिक्षा के क्षेत्र में उतरना होगा।
मानव संस्थान विकास मंत्रालय (MHRD), (2001) के अनुसार स्कूलों और शिक्षण संस्थाओं में कम्प्यूटर साक्षरता और ICT को समाकलित करने तथा उनका सार्वभौमीकरण (Universalisation) करने के प्रति विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ‘नेशनल टास्क फोर्स आन इन्फारमेशन टेक्नालॉजी एण्ड सॉफ्टवेयर डेवलपमेण्ट’ (National Task Force on Information Technology and Software Development) जिसकी स्थापना सन् 1998 में हुई है, उसने एक नेशनल इन्फारमेटिक्स पॉलिसी (National Informatics Policy) का निर्माण का जिसके अन्तर्गत ‘विद्यार्थी कम्प्यूटर स्कीम’ (Vidyarthi Computer Scheme), शिक्षा कम्प्यूटर स्कीम (Shiksha Computer Scheme), ‘स्कूल कम्प्यूटर स्कीम’ (School Computer Scheme), ‘वाइडर एक्सस टू कम्प्यूटर’ (Wider Access to Computer), ‘इण्टरनेट टू एजूकेशनल इन्स्टीट्यूशन’ (Internet to Educational Institution) तथा कान्सेप्ट ऑफ स्मार्ट स्कूल (Concept of Smart Schools) आदि प्रमुख हैं। भारत सरकार ने सूचना तकनीकी शिक्षा (IT Education) को स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज स्तर तक प्रोत्साहित करने के लिए राजकीय तथा निजी संस्थाओं की सहभागिता (Public-private Partnership) की नई पद्धति विकसित करने का प्रयास किया है। उच्च शिक्षा के सरकारी संस्थान जैसे कि इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (IITS) तथा क्षेत्रीय शिक्षा-महाविद्यालयों (RECs) को IT में मानव संसाधन तथा शिक्षक तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी क्रम में NCERT में नेशनल सेंटर फॉर कम्प्यूटर एजूकेशन (National Centre For Computer Education) की स्थापना हुई है। शिक्षण-प्रशिक्षण तथा पाठ्यक्रम पर आधारित सॉफ्टवेयर के निर्माण के लिए TEL की सहायता से प्रोजेक्ट विद्या (Project Vidya) का शुभारम्भ हुआ है। केन्द्रीय विद्यालय संगठन तथा नवोदय विद्यालय समिति को क्षेत्रीय केन्द्रों की सहायता से IT की सुविधा तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध किए जा रहे हैं, तात्पर्य यह है कि भारतवर्ष में भी शिक्षा तकनीकी का मार्ग प्रशस्त हो रहा है जो कि एक शुभ संकेत है।
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