त्वरित पाठ्यक्रम (Accelerated Curriculum )
त्वरित पाठ्यक्रम बालक के गतिशीलता में परिवर्तन की दर से सम्बन्धित है। पाठ्यक्रम द्वारा उसमें कितना परिवर्तन हो रहा है। इस पर आधारित है। सभी बालकों में वैयक्तिक भिन्नताएँ (Individual differences) पायी जाती हैं, किन्तु प्रतिभाशाली बालक सामान्य बालकों से अपनी बहिर्मुखी विशेषताओं एवं आवश्यकताओं के कारण अधिक भिन्न दिखाई पड़ते हैं। एक सामान्य कक्षा का शिक्षण मुख्यतः औसत बुद्धि एवं योग्यता वाले छात्रों को ध्यान में रखते हुए नियमित एवं व्यवस्थित किया जाता है। इन कक्षाओं में शिक्षक का ध्यान आकर्षित करने वाले बालक या तो शारीरिक रूप से अक्षम होते हैं अथवा शैक्षिक रूप पिछड़े व मंद बुद्धि जिनको कि शिक्षक अन्य औसत एवं सामान्य छात्रों की उपलब्धि के स्तर तक लाने के प्रयास में अधिक समय व ध्यान देता है। प्रतिभाशाली बालक अपनी कक्षा स्तर के सभी कार्यो को समय से पहले तथा बिना किसी की सहायता से हल कर लेने के कारण शिक्षक की नजर में तो रहते हैं, किन्तु उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाते हैं। अतः यह स्वाभाविक है कि असाधारण योग्यताओं के धनी इन प्रतिभाशाली बालकों को जितना विशिष्ट निर्देशन मिलना चाहिए उतना नहीं मिल पाता और इस प्रकार वांछनीय अवसरों के अभाव में उनका व्यक्तित्व कुण्ठित हो जाता है।
इसके अतिरिक्त अपनी विशिष्ट उच्च योग्यताओं के कारण ये बालक शिक्षक से अधिकाधिक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा को शान्त करना चाहते हैं, किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि औसत क्षमताओं वाला शिक्षक प्रतिभाशाली बालक की जिज्ञासा को शान्त कर सकने की योग्यता रखता हो। ऐसी दशाओं में प्रतिभाशाली बालक या तो आलसी प्रवृति के अथवा कक्षा में पढ़ाये जाने वाले विषयों के प्रति अरुचि रखने वाले बन जाते हैं। प्रायः ऐसा भी देखा जाता है कि ये बालक सामान्य कक्षाओं में औसत छात्रों के अध्ययन एवं विकास में व्यवधान उपस्थित करते हैं। औसत छात्र इनकी उपस्थिति में अपने आपको सदैव पिछड़ा हुआ पाते हैं। अतः यदि समन्वित रूप से देखा जाये तो प्रतिभाशाली बालक सामान्य कक्षाओं में स्वयं तो लाभान्वित नहीं हो पाते हैं साथ ही अन्य औसत छात्रों के विकास में भी बाधा बन जाते हैं।
इस प्रकार के बालकों के लिए विद्यालय में विशेष पाठ्यक्रम निर्मित किये जाते हैं जिन्हें त्वरित पाठ्यक्रम (Accelerated curriculum) कहते हैं। इसके तहत किसी भी बच्चे को या तो उसकी निश्चित विद्यालयी आयु पूर्ण होने के पहले किण्डरगार्टन या बचपन में जो पढ़ाया जाता है उस पाठ्यक्रम को ले सकते हैं अथवा एक ही कक्षा काल में दो कक्षाओं का पाठ्यक्रम पूरा किया जा सकता है। ऐसा तभी सम्भव होता है जब विद्यार्थी पढ़ाई में अत्यधिक तीव्र बुद्धि का हो। कभी-कभी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में कक्षोन्नति साल के अन्त में भी दे दी जाती है जिसका निर्णय एक विशेष प्रकार की परीक्षा लेकर किया जाता है। इस प्रकार यदि बालक अगली कक्षा के पाठ्यक्रम में बनी परीक्षा प्रणाली को उत्तीर्ण कर लेते हैं तो भी इसे त्वरित पाठ्यक्रम कहा जाता है।
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