सम्मिश्रण या फ्यूजन पाठ्यक्रम (Fusion Curriculum )
प्रारम्भ से ही सामाजिक जीवन की उत्तरोत्तर बढ़ती हुई जटिलताओं के समाधान के लिए शिक्षाविद् एवं विषय–विशेषज्ञ सदैव नवीन ज्ञान की खोज में रत रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनेक नये विषयों एवं उप-विषयों का उदय हुआ है तथा ज्ञान के भण्डार की सतत् वृद्धि होती जा रही है। ज्ञान के नवीन क्षेत्रों ने विशिष्टीकरण को जन्म दिया है जिसके परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है जो न केवल किसी क्षेत्र विशेष बल्कि उसकी भी किसी एक विशिष्ट लघुतम इकाई के विस्तृत एवं सूक्ष्म अध्ययन में लगे हुए हैं। इन अध्ययनों के फलस्वरूप ज्ञान के भण्डार में और बढ़ोत्तरी होती जा रही है। अतः मनुष्य को अपने सफल दैनन्दिन जीवन के लिए अधिक-से-अधिक विविध प्रकार के ज्ञान को प्राप्त करना आवश्यक होता जा रहा हैं । मनुष्य के लिए ज्ञान की इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु अनिवार्य सामान्य पाठ्यक्रम के पाठ्य-विषयों में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है तथा बालकों के बस्ते का बोझ बढ़ता ही जा रहा है । इस प्रकार पाठ्यक्रम बहुत अधिक बोझिल हो गया है। पाठ्यक्रम की बोझिलता का एक प्रमुख कारण यह भी है कि किसी भी विषय को, उसकी उपादेयता को कम किये बिना पाठ्यक्रम से निकाल पाना कठिन होता है।
इस स्थिति का विभिन्न दृष्टिकोणों से विश्लेषण करने के उपरान्त शिक्षाविदों तथा विषय विशेषज्ञों ने इसका समाधान इस रूप में प्रस्तुत किया कि अधिकाधिक आवश्यक ज्ञान को कम समय में प्रदान करने हेतु मिलते-जुलते विषयों का सम्मिश्रण या समूहीकरण करके उन्हें एक अध्ययन-क्षेत्र के रूप में पढ़ाया जाये। पाठ्यक्रम की बोझिलता को कम करने की दृष्टि से पाठ्य-विषयों का विश्लेषण करने पर यह अनुभव किया गया है कि जहाँ एक ओर कोई भी विषय ऐसा नहीं लगता जिसे अनिवार्य सामान्य पाठ्यक्रम (कोर करीक्यूलम) से पूर्णतया बाहर निकाल दिया जाए वहीं दूसरी ओर लगभग सभी विषयों में कुछ प्रकरण अथवा अंश ऐसे हैं जिन्हें निकालने से कोई विशेष नुकसान नहीं है। इसी प्रकार कुछ प्रकरणों की विस्तृत विवेचना के स्थान पर उनकी सामान्य चर्चा से भी काम चल सकता है।
इन निष्कर्षो ने सम्मिश्रण अथवा समूहीकरण (Fusion) की अवधारणा को जन्म दिया। अतः फ्यूजन से तात्पर्य ज्ञान के विस्तृत क्षेत्र के आवश्यक अंगों को सम्मिश्रित ढंग से प्रस्तुत करना है। इस प्रकार फ्यूजन के अन्तर्गत स्कूल स्तर पर इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र विषयों को सम्मिश्रित पा समूहीकृत करके ‘सामाजिक विज्ञान के रूप में तथा भौतिकी, रसायन, वनस्पति विज्ञान, प्राणि तान आदि वैज्ञानिक विषयों को सम्मिश्रित कर ‘सामान्य विज्ञान विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया है। फ्यूजन के अन्तर्गत विभिन्न अधिगम क्षेत्रों का भी समूहीकरण किया जाता है। उदाहरण के लिए, सुलेख वर्तनी, उच्चारण, पठन तथा अन्य भाषा – कौशल भाषा-कला के रूप में पढ़ाया जाता है। इसी प्रकार कुछ विषयों को उप-विषयों के रूप में समूहीकृत किया जाता है, जैसे- अंकगणित, बीजगणित एवं रेखागणित को गणित के अन्तर्गत ही पढ़ाया जाता है।
इस प्रकार ‘फ्यूजन’ की अवधारणा से मिश्रित पाठ्यक्रम (Fused Curriculum) अथवा व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यक्रम (Broad Field Curriculum) का उदय हुआ है।
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